परिचय(Introduction) टमाटर वर्ष भर उगाया जा सकता हैं तथा इसका उत्पादन करना बहुत सरल हैं। टमाटर का उपयोग सब्जी सूप, सलाद, अचार, केचप, फ्यूरी एवं सास बनाने में किया जाता हैं। यह विटामिन ए., बी. और सी का अच्छा स्त्रोत हैं। इसके उपयोग से कब्ज...
भूमि का चयन एवं खेत की तैयारी सरसों के उत्पादन हेतु अच्छी जलधारण क्षमता वाली बलुई दोमट से दोमट भूमि होना चाहिए। सिंचित क्षेत्र में खरीफ फसलों की कटाई के तुरंत बाद 1 से 2 बार कल्टीवेटर द्वारा आड़ी खड़ी जमीन की जुताई करे। उसके...
सरसों हमारे देश की रबी के मौसम की प्रमुख तिलहनी फसल है ! कम वर्षा वाले क्षेत्रो और जहाँ सिंचाई सुविधा नहीं है वहाँ पर भी इस फसल को आसानी से लगाया जा सकता है ! सरसों हर द्रष्टि से ऊपयोगी है ! इसके पत्तों...
अधिक उत्पादन के लिये मसूर की उन्नत खेती(Lentil cultivation) रबी मौसम में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में मसूर का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसके दानों में 24-26 प्रतिशत प्रोटीन, 1.3 प्रतिशत वसा, 3.2 प्रतिशत रेशा व 57 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा कैल्सि
परिचय(Introduction for Wheat cultivation) भारत वर्ष में 1965 के बाद गेहूं/Wheat के उत्पादन में कई गुना वृद्धि होने से देश आयात से निर्यात की स्थिति में आ गया हैं। इस उत्पादन वृद्धि को हरित क्रान्ति की संज्ञा दी गई हैं। आज भारत 93.9 मिलियन टन...
परिचय (Introduction) चना एक मुख्य रबी दलहनी फसल है म.प्र. में लगभग 25.6 लाख हेक्टेयर में चने की खेती की जाती है जिससे लगभग 17.30 लाख टन उत्पादन मिलता है म.प्र. में चने का 944 किग्रा/हे. औसत उत्पादन है जबकि उन्नत किस्मों की क्षमता 18-20...
रबी की दलहनी फसलों में चना मध्यप्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषकों का सर्वाधिक ध्यानाकर्षण का केन्द्र है। यही कारण है कि चने का महत्व एक अच्छी आमदानी वाली फसल के रूप में उभरकर सामने आया हैं। भारत विश्व का सबसे अधिक चना (लगभग 75...
खरबूजा की खेती मुख्यतः ग्रीष्म कालीन फलस के रूप में की जाती है । खरबूजे के बीजों की गिरी का उपयोग मिठाई को सजाने में किया जाता है । इसका सेवन मूत्राशय संबंधी रोगों में लाभकारी होता है । इसकी 80 प्रतिशत खेती नदियों के...
हाल के वर्षों में औषधीय पादपों की मांग केवल देश के भीतर ही नहीं बढ़ी है बल्कि निर्यात के लिए भी उनकी मांग में भारी तेजी आई है । अधिकाधिक संख्या में किसान इस अति मांग वाले क्षेत्र में प्रवेश कर रहे है । राष्ट्रीय...
Recommended onion varieties for different seasons and regions of the country are given below:- Varieties Colour Season Region Days to maturity Yield potential Bhima Super Red Kharif Chhattisgarh, Delhi, Gujarat, Haryana, Karnataka, Madhya Pradesh, Maharashtra, Odisha, Punjab, Rajasthan and Tamil Nadu 100-105 days 20-22...
परिचय बाबची एक औषधीय खरपतवारी है, जो सीधा बढ़ता है, इसकी डालियों पर धब्बे से रहते हैं । पत्ती गोल तथा इसके दोनों ओर काले धब्बे रहते हैं । फूल छोटा ( 10-30मि.मी.) नीला सफेद रंग का गुच्छे में पत्ती के सिरे पर रहते हैं...
List of varieties of Lentil, Field pea, Lathyrus & Rajmash released by All India Coordinated Pulses Improvement Project (1985 to 2010) 1.Mungbean S. No. Name of variety Centre responsible for developing Pedigree Year of release Average yield q/ha Days to maturity Reaction to major disease...
परिचय कालमेघ खरीफ मौसम का खरपतवार है जो कि पड़ती जगहों पर, खेतों की मेढ़ों पर उगता है यह सीधा बढ़ने वाला शाकीय पौधा है । इसकी ऊँचाई 1-3 फुट तक होती है । विभिन्न भाषाओं में इसके अलग नाम हैं । इस कालमेघ, भूनिम्ब,...
परिचय कलौंजी के बीजों का औषधि के रूप में प्रयोग होता है । इसके बीजों को कृमिनाशक, उत्तेजक, प्रोटोजोवा रोधी के रूप में उपयोग किया जाता है । इसके बीजों के प्रयोग से पेशाब खुलकर आती है । इसके अतिरिक्त इसे कैंसर रोधी औषधि के...
परिचय सफेद मूसली लिलिएसी कुल का महतवपूर्ण औषधीय पौधा है जिसकी जड़ें आयुर्वेदिक दवाओं में बहुतायत से प्रयोग में लाई जाती है । इसकी वार्षिक उपलब्धता लगभग 5000 टन है जबकि इसकी मांग 35000 टन प्रति वर्ष आंकी गई है । यह पौधा संपूर्ण म.प्र....
भारत में मक्का, खाद्यान्न एवं पशु आहार, दोनों रूप से महत्वपूर्ण फसलों में से एक है । लगभग 25% मक्का के दानों का उपयोग मानव – भोजन हेतु किया जाता है जबकि कुल उत्पादन के लगभग 60% का उपयोग मुर्गी पालन एवं सूअर पालन उद्योग में...
परिचय अजवाइन ( थाईमा वलगेरिस लिना ) लैमिऐसी कुल का सदस्य है । यह एक महत्वपूर्ण सगंधीय जड़ी है जिसे पत्तियों और फूलों के लिए उगाया जाता है । इसका मुख्य उपयोग मछली और मांस वाले भोज्य पदार्थों में होता है । इसकी पत्तियों से...
परिचय तीखुर या ईस्ट इण्डियन आरारोट को तिकोरा भी कहा जाता है, इसके राइजोम को औषधीय उपयोग में लाया जाता है । भारतीय वन्य भूमि पर यह प्राकृतिक रूप से पाया जाता है तथा इसकी खेती दक्षिण भारत, बिहार, बंगाल और महाराष्ट्र प्रदेशों में काफी.
परिचय ब्राम्ही एक स्क्रोफुलेरिऐसी कुल का बहुवर्षीय भूस्तरी शाक है । इसकी शाखायें ऊपर की ओर बढ़ती हैं । जिसकी प्रत्येक ग्रंथी पर अनेक फूल – फल लगते हैं । इसकी शाखायें एवं पत्ते मुलायम तथा गूदेदार होते हैं । इसके पुष्प वृंतरहित तथ
परिचय काली हल्दी या नरकचूर एवं औषधीय महत्व का पौधा है । जो कि मुख्य रूप से बंगाल में बृहद स्तर पर उगाया जाता है । इसका उपयोग रोगनाशक व सौन्दर्य प्रसाधन दोनों रूपों में किया जाता है । वानस्पतिक वर्णन काली हल्दी वानस्पतिक...
भारत की तेज गति से बढ़ती हुई जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए प्रति इकाई क्षेत्र समय एवं साधन से अधिक से अधिक उत्पादन करना नितांत आवश्यक है । इसके लिए सघन कृषि प्रणली अपनाने के साथ-साथ उत्तम किस्म का चुनाव, सही समय पर बुवाई, संतुलित...
नेपियर बाजरा घास पानी व पोषक की मांग कम होने के कारण खाली पड़े स्थान, पड़त भूमि, एकल फसली खेती के बाद खाली पड़े खेत सभी जगह उगाई जा सकती है । यह भूमि संरक्षण के लिए उपयुक्त व बहुवर्षीय चारा फसल है । करीब...
केले में लगने वाली प्रमुख बीमारियां एवं उनका नियंत्रण:- 1. सिगाटोका लीफ स्पाट लक्षण: यह केले में लगने वाली एक प्रमुख बीमारी है इसके प्रकोप से पत्ती के साथ साथ घेर के वजन एवं गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। शुरू में पत्ती के उपरी...
खेती योग्य भूमि पर मृदा एवं जल संरक्षण उपाय मुख्य रूप से भूमि ढाल एवं वर्षा पर निर्भर रहता है । जिन क्षेत्रों में भूमि का ढाल 2 प्रतिशत से कम होता है ऐसे क्षेत्रों के लिए वानस्पतिक उपाय अनुशंसित किये जाते हैं । दूसरी...
रामतिल या जगनी 32 से 40 प्रतिशत गुणयुक्त तेल एवं 18 से 25 प्रतिशत प्रोटीन वाली फसल है । इसमें 18 प्रतिशत शर्करा, 12 प्रतिशत रेशा एवं 5 प्रतिशत राख होती है । जगनी की फसल को लगभग सभी प्रकार की भूमि में उगाया जा...
The following varieties are recommended for various seasons and regions of the country. Varieties developed by ICAR-DOGR Bhima Omkar This variety has been recommended for cultivation in the states of Delhi, Gujarat, Haryana and Rajasthan. It matures in 120-135 days and average yield is 8-14...
पपीता एक स्वादिष्ट, औषधीय एवं पौष्टिक फल है। जिसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है जो कि आँखो की सेहत के लिये आवश्यक है साथ ही साथ पपीता रेषेदार फल हैं जो कि पेट को साफ रखने में एवं कब्ज को दूर करने में...
भारत में नींबू वर्गीय फलों की उत्पापकता लगभग 12 – 30 टन प्रति हेक्टर है, जो कि विश्व के कई देशों की उत्पादकता से कम है नींबू वर्गीय फलों के कम उत्पादकता का कारण अनेक जैविक और अजैविक बाधाएं हैं । जैविक बाधाओं में फफूंद,...
कुछ पौधों की जातियों में वंशीय गुणों के कारण फूलों के मुख्य अंग आपस में मिलने में असमर्थ हो जाते हैं अथवा प्रसंकर पैदा हो जाते हैं, इसलिए भी बाग में फूल एवं फल झड़ने की समस्या देखी जाती है । कार्बोहाइड्रोजन का अनुपात...
सब्जी फसलों में टमाटर का प्रमुख स्थान है मध्यप्रदेश में टमाटर की खेती अनुमानतः 26384 हेक्टर क्षेत्र में की जाती है जिससे 3.95 लाख टन उत्पादन मिलता है मध्यप्रदेश में इसकी उत्पादकता 150 क्विंटल प्रति हेक्टर है। टमाटर की संकर किस्मों के वि
तिलहनी फसलों में तिल का प्रमुख स्थान है इसकी खेती खरीफ एवं रबी मौसम में की जाती है। तिल की उन्न्त किस्मे किस्म विमोचन वर्ष अवधि (दिन) उपज किलोग्राम हे. तेल की मात्रा (प्रतिशत) टी.के.जी.308 2008 80-85 600-700 48-50 जे.टी.11 2008 82-85 650-700 46-53 जे.टी.12...
भूमि एवं तैयारी अच्छी उपज के लिये काली, जलनिकास अच्छा हो उत्तम मानी गई है। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई 3 वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य करनी चाहिऐ। खाद एवं उर्वरक 5 टन सड़ी गोबर की खाद या 2 टन वर्मीकम्पोष्ट/हैक्टर खेत की...
क्या है खरपतवारिक धान जीव विज्ञान के अनुसार खरपतवारिक धान बोये जाने वाली धान का समरूप है, लेकिन उसमें खरपतवार की विशेषतायें हैं । वनस्पतिक चरण में बोये जाने वाली और खरपतवारिक धान में अंतर कर पाना असंभव है और आम तौर पर इसे जंगली...
भारत में इस समय 14.82 मिलियन हैक्टर क्षेत्रफल में बागवानी फसलें उगाई जाती हैं । जो देश के कुल क्षेत्रफल का 8.5 प्रतिशत है । राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में फलों की बागवानी 3.73 मिलियन हैक्टर में की जाती है.
मखाना निम्पिफयेसी परिवार का एक जलीय पौध है। इसे साधरणतया गोरगोन नट या पफाॅक्स नट कहते है। यह सालोभर रहने वाले स्थिर जल जैसे तालाब, गोखुर झील, कीचड़ तथा गड्ढ़े में उपजता है। मखाना को ‘काला हीरा’ भी कहा जाता है। यह उष्ण एवं उपोष्ण...
खेत की तैयारी गहरी जुताई पश्चात् क्रास कल्टीवेटर पाटा के साथ चलाकर खेत को भुरभुरा एवं समतल बना लिया जाता है। लहसुन की किस्में यमुना सफेद (जी-1), यमुना सफेद – 2 (जी-50), यमुना सफेद – 4 (जी-323), यमुना सफेद -3 (जी-282) बुवाई का समय लहसुन...
गन्ने की उन्नत किस्में शीघ्र पकने वाली जातियां किस्म शक्कर (प्रतिशत में अवधि (माह) उपज (टन/हे.) प्रमुख विशेषताए को.सी.-671 20-22 10-12 90-120 शक्कर के लिए उपयुक्त, जड़ी के लिए उपयुक्त, पपड़ी कीटरोधी। को.जे.एन. 86-141 22-24 10-12 90-110 जड़ी अच्छी, उत्तम गुड़, शक्कर अधिक,
परिचय(Introduction for Wheat cultivation) भारत वर्ष में 1965 के बाद गेहूं/Wheat के उत्पादन में कई गुना वृद्धि होने से देश आयात से निर्यात की स्थिति में आ गया हैं। इस उत्पादन वृद्धि को हरित क्रान्ति की संज्ञा दी गई हैं। आज भारत 93.9 मिलियन टन...
क्या है खरपतवारिक धान जीव विज्ञान के अनुसार खरपतवारिक धान बोये जाने वाली धान का समरूप है, लेकिन उसमें खरपतवार की विशेषतायें हैं । वनस्पतिक चरण में बोये जाने वाली और खरपतवारिक धान में अंतर कर पाना असंभव है और आम तौर पर इसे जंगली...
गन्ने की उन्नत किस्में शीघ्र पकने वाली जातियां किस्म शक्कर (प्रतिशत में अवधि (माह) उपज (टन/हे.) प्रमुख विशेषताए को.सी.-671 20-22 10-12 90-120 शक्कर के लिए उपयुक्त, जड़ी के लिए उपयुक्त, पपड़ी कीटरोधी। को.जे.एन. 86-141 22-24 10-12 90-110 जड़ी अच्छी, उत्तम गुड़, शक्कर अधिक,
गन्ना फसल के कीट रोग एवं नियंत्रण भारत वर्ष गन्ने की मातृभूमि हैं। वर्तमान में हमारे देश में इसकी पहचान एक औद्योगिक नगद फसल के रूप् में हैं। विश्व के अन्य देशो की तुलना में हमारे देश में इसकी प्रति हेक्टेयर उपज काफी कम हैं।...
परिचय (Introduction) चना एक मुख्य रबी दलहनी फसल है म.प्र. में लगभग 25.6 लाख हेक्टेयर में चने की खेती की जाती है जिससे लगभग 17.30 लाख टन उत्पादन मिलता है म.प्र. में चने का 944 किग्रा/हे. औसत उत्पादन है जबकि उन्नत किस्मों की क्षमता 18-20...
रबी की दलहनी फसलों में चना मध्यप्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषकों का सर्वाधिक ध्यानाकर्षण का केन्द्र है। यही कारण है कि चने का महत्व एक अच्छी आमदानी वाली फसल के रूप में उभरकर सामने आया हैं। भारत विश्व का सबसे अधिक चना (लगभग 75...
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भूमि एवं तैयारी अच्छी उपज के लिये काली, जलनिकास अच्छा हो उत्तम मानी गई है। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई 3 वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य करनी चाहिऐ। खाद एवं उर्वरक 5 टन सड़ी गोबर की खाद या 2 टन वर्मीकम्पोष्ट/हैक्टर खेत की...
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Recommended onion varieties for different seasons and regions of the country are given below:- Varieties Colour Season Region Days to maturity Yield potential Bhima Super Red Kharif Chhattisgarh, Delhi, Gujarat, Haryana, Karnataka, Madhya Pradesh, Maharashtra, Odisha, Punjab, Rajasthan and Tamil Nadu 100-105 days 20-22...
The following varieties are recommended for various seasons and regions of the country. Varieties developed by ICAR-DOGR Bhima Omkar This variety has been recommended for cultivation in the states of Delhi, Gujarat, Haryana and Rajasthan. It matures in 120-135 days and average yield is 8-14...
परिचय अनन्नास ब्राजील मूल का पौधा है, यह बहुवर्षीय एक बीजपत्री पौधा है। इसका तना छोटा होता है और तने की गाँठे पास-पास होती हैं। तना, पत्तियों के गुच्छे से ढका होता है और तना पुष्प् वृंत पर जाकर समाप्त होता हैं। इस पर गाँठे...
परिचय अनार एक झाड़ीनुमा पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम पुनिका ग्रेनेटम तथा कुल पुनकेशी हैं। इसका फल बलास्ट है जो बेरी का एक प्रकार हैं। फल का खाया जाने वाला भाग ‘‘एरिल‘‘ (बीज चोल – यानि बीज के ऊपरी चढी परत) हैं। औषधीय गुण और...
परिचय भारतवर्ष का सर्वसुलभ एवं लगभग हर प्रान्त में आसानी से उगाया जा सकने वाला फल आम हैं। इसके स्वाद, सुवास एवं रंग-रूप के कारण इसे फलों का राजा कहा जाता हैं। उत्पादन एवं क्षेत्रफल दोनों की दृष्टि से आम भारत का प्रमुख फल है।...
केले में लगने वाली प्रमुख बीमारियां एवं उनका नियंत्रण:- 1. सिगाटोका लीफ स्पाट लक्षण: यह केले में लगने वाली एक प्रमुख बीमारी है इसके प्रकोप से पत्ती के साथ साथ घेर के वजन एवं गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। शुरू में पत्ती के उपरी...
खरबूजा की खेती मुख्यतः ग्रीष्म कालीन फलस के रूप में की जाती है । खरबूजे के बीजों की गिरी का उपयोग मिठाई को सजाने में किया जाता है । इसका सेवन मूत्राशय संबंधी रोगों में लाभकारी होता है । इसकी 80 प्रतिशत खेती नदियों के...
परिचय प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है। इसमें प्रोटीन एवं कुछ विटामिन भी अल्प मात्रा में रहते हैं। प्याज में बहुत से औषधीय गुण पाये जाते हैं। प्याज का सूप, अचार एवं सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत के प्याज...
भारत में इस समय 14.82 मिलियन हैक्टर क्षेत्रफल में बागवानी फसलें उगाई जाती हैं । जो देश के कुल क्षेत्रफल का 8.5 प्रतिशत है । राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में फलों की बागवानी 3.73 मिलियन हैक्टर में की जाती है.
परिचय(Introduction) टमाटर वर्ष भर उगाया जा सकता हैं तथा इसका उत्पादन करना बहुत सरल हैं। टमाटर का उपयोग सब्जी सूप, सलाद, अचार, केचप, फ्यूरी एवं सास बनाने में किया जाता हैं। यह विटामिन ए., बी. और सी का अच्छा स्त्रोत हैं। इसके उपयोग से कब्ज...
भारत में नींबू वर्गीय फलों की उत्पापकता लगभग 12 – 30 टन प्रति हेक्टर है, जो कि विश्व के कई देशों की उत्पादकता से कम है नींबू वर्गीय फलों के कम उत्पादकता का कारण अनेक जैविक और अजैविक बाधाएं हैं । जैविक बाधाओं में फफूंद,...
पपीता एक स्वादिष्ट, औषधीय एवं पौष्टिक फल है। जिसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है जो कि आँखो की सेहत के लिये आवश्यक है साथ ही साथ पपीता रेषेदार फल हैं जो कि पेट को साफ रखने में एवं कब्ज को दूर करने में...
परिचय( Introduction) फल्लीदार सब्जियों में बरबटी का एक प्रमुख स्थान हैं, जो की भारत वर्ष में उगायी जाती हैं। इसे गर्मी और बरसात दानों मौसम में उगाया जाता हैं। इसका प्रयोग दाल और हरी फल्लियों की सब्जी के रूप में किया जाता हैं। यह प्रोटीन...
परिचय(Introduction) बैंगन अर्थात भटा एक प्रमुख शाक फसल हैं जो कि वर्ष भर बाजार में बहुतायत से उपलब्ध रहता हैं एवं सभी वर्गो के लोगों द्वारा पसंद किया जाता हैं । यह कई अनेक पोषक तत्वों में प्रधान हैं। इसका आयुर्वेद औषधि में भी प्रयोग...
खेत की तैयारी गहरी जुताई पश्चात् क्रास कल्टीवेटर पाटा के साथ चलाकर खेत को भुरभुरा एवं समतल बना लिया जाता है। लहसुन की किस्में यमुना सफेद (जी-1), यमुना सफेद – 2 (जी-50), यमुना सफेद – 4 (जी-323), यमुना सफेद -3 (जी-282) बुवाई का समय लहसुन...
सब्जी फसलों में टमाटर का प्रमुख स्थान है मध्यप्रदेश में टमाटर की खेती अनुमानतः 26384 हेक्टर क्षेत्र में की जाती है जिससे 3.95 लाख टन उत्पादन मिलता है मध्यप्रदेश में इसकी उत्पादकता 150 क्विंटल प्रति हेक्टर है। टमाटर की संकर किस्मों के वि
परिचय सीताफल (शरीफा) अत्यंत पौष्टिक तथा स्वादिष्ट फल है। इसे गरीबों का फल कहा जाता हैं। इसका उत्पत्ति स्थल उष्ण अमरीका माना जाता हैं। अमरिका में इसका नामकरण इसके स्वाद के अनुरूप् ‘‘शुगर एप्पिल‘‘ दिया गया हैं। सीताफल के नियमित उद
परिचय(Introduction) मध्यप्रदेश में सूर्यमुखी की खेती तीनों मौसम में की जा सकती है। खरीफ में मध्यप्रदेश के उन क्षेत्रों में इसकी खेती की जा सकती है जहाँ वर्षा 750 मि.मी. तक होती हैं। सूर्यमुखी फसल की खेती सिंचित क्षेत्रों में रबी, पिछेती रबी ए
परिचय (Introduction) कुसुम/करडी रबी मौसम में उगायी जाने वाली बहुउपयोगी तिलहनी फसल हैं। इसके दानों में 29 से 33 प्रतिशत तेल, 15 प्रतिशत प्रोटीन, 15 प्रतिशत शक्कर, 33 प्रतिशत रेशा एवं 6 प्रतिशत राख पायी जाती हैं। प्रदेश में इसकी खेती 400 हेक्टेयर क्षेत
परिचय गुलदाउदी को सर्दी के मौसम की रानी कहा जाता है क्योकि सर्दियों में उगाए जाने वाले फूलों में यह बहुत लोकप्रिय है इसको सेवन्ती व चंद्रमाल्लिका के नाम से भी जानते है | गुलदाउदी के फूलो की बनावट आकार प्रकार तथा रंग में इतनी...
परिचय गैलार्डिया पुष्प को नवरंगा के नाम से भी जाना जाता है | इसके पुष्प पीले, नारंगी, लाल तंबिया मिश्रित गहरे तंबिया आदि विभिन्न आकर्षक रंगों में आते है| जो बहुत ही लुभावने होते है इसलिये इसकी मांग बाज़ार में अच्छी रहती है | खासतोर..
हाल के वर्षों में औषधीय पादपों की मांग केवल देश के भीतर ही नहीं बढ़ी है बल्कि निर्यात के लिए भी उनकी मांग में भारी तेजी आई है । अधिकाधिक संख्या में किसान इस अति मांग वाले क्षेत्र में प्रवेश कर रहे है । राष्ट्रीय...
परिचय बाबची एक औषधीय खरपतवारी है, जो सीधा बढ़ता है, इसकी डालियों पर धब्बे से रहते हैं । पत्ती गोल तथा इसके दोनों ओर काले धब्बे रहते हैं । फूल छोटा ( 10-30मि.मी.) नीला सफेद रंग का गुच्छे में पत्ती के सिरे पर रहते हैं...
परिचय कालमेघ खरीफ मौसम का खरपतवार है जो कि पड़ती जगहों पर, खेतों की मेढ़ों पर उगता है यह सीधा बढ़ने वाला शाकीय पौधा है । इसकी ऊँचाई 1-3 फुट तक होती है । विभिन्न भाषाओं में इसके अलग नाम हैं । इस कालमेघ, भूनिम्ब,...
परिचय कलौंजी के बीजों का औषधि के रूप में प्रयोग होता है । इसके बीजों को कृमिनाशक, उत्तेजक, प्रोटोजोवा रोधी के रूप में उपयोग किया जाता है । इसके बीजों के प्रयोग से पेशाब खुलकर आती है । इसके अतिरिक्त इसे कैंसर रोधी औषधि के...
परिचय सफेद मूसली लिलिएसी कुल का महतवपूर्ण औषधीय पौधा है जिसकी जड़ें आयुर्वेदिक दवाओं में बहुतायत से प्रयोग में लाई जाती है । इसकी वार्षिक उपलब्धता लगभग 5000 टन है जबकि इसकी मांग 35000 टन प्रति वर्ष आंकी गई है । यह पौधा संपूर्ण म.प्र....
परिचय तीखुर या ईस्ट इण्डियन आरारोट को तिकोरा भी कहा जाता है, इसके राइजोम को औषधीय उपयोग में लाया जाता है । भारतीय वन्य भूमि पर यह प्राकृतिक रूप से पाया जाता है तथा इसकी खेती दक्षिण भारत, बिहार, बंगाल और महाराष्ट्र प्रदेशों में काफी.
परिचय ब्राम्ही एक स्क्रोफुलेरिऐसी कुल का बहुवर्षीय भूस्तरी शाक है । इसकी शाखायें ऊपर की ओर बढ़ती हैं । जिसकी प्रत्येक ग्रंथी पर अनेक फूल – फल लगते हैं । इसकी शाखायें एवं पत्ते मुलायम तथा गूदेदार होते हैं । इसके पुष्प वृंतरहित तथ
परिचय काली हल्दी या नरकचूर एवं औषधीय महत्व का पौधा है । जो कि मुख्य रूप से बंगाल में बृहद स्तर पर उगाया जाता है । इसका उपयोग रोगनाशक व सौन्दर्य प्रसाधन दोनों रूपों में किया जाता है । वानस्पतिक वर्णन काली हल्दी वानस्पतिक...
परिचय अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसके साथ-साथ इसे नकदी फसल के रूप में भी उगाया जाता है। भारत में इसकी खेती 1500 मीटर की ऊँचाई तक के सभी क्षेत्रों में की जा रही है। भारत के...
तिलहनी फसलों में तिल का प्रमुख स्थान है इसकी खेती खरीफ एवं रबी मौसम में की जाती है। तिल की उन्न्त किस्मे किस्म विमोचन वर्ष अवधि (दिन) उपज किलोग्राम हे. तेल की मात्रा (प्रतिशत) टी.के.जी.308 2008 80-85 600-700 48-50 जे.टी.11 2008 82-85 650-700 46-53 जे.टी.12...
सरसों हमारे देश की रबी के मौसम की प्रमुख तिलहनी फसल है ! कम वर्षा वाले क्षेत्रो और जहाँ सिंचाई सुविधा नहीं है वहाँ पर भी इस फसल को आसानी से लगाया जा सकता है ! सरसों हर द्रष्टि से ऊपयोगी है ! इसके पत्तों...
भूमि का चयन एवं खेत की तैयारी सरसों के उत्पादन हेतु अच्छी जलधारण क्षमता वाली बलुई दोमट से दोमट भूमि होना चाहिए। सिंचित क्षेत्र में खरीफ फसलों की कटाई के तुरंत बाद 1 से 2 बार कल्टीवेटर द्वारा आड़ी खड़ी जमीन की जुताई करे। उसके...
परिचय अजवाइन ( थाईमा वलगेरिस लिना ) लैमिऐसी कुल का सदस्य है । यह एक महत्वपूर्ण सगंधीय जड़ी है जिसे पत्तियों और फूलों के लिए उगाया जाता है । इसका मुख्य उपयोग मछली और मांस वाले भोज्य पदार्थों में होता है । इसकी पत्तियों से...
भारत की तेज गति से बढ़ती हुई जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए प्रति इकाई क्षेत्र समय एवं साधन से अधिक से अधिक उत्पादन करना नितांत आवश्यक है । इसके लिए सघन कृषि प्रणली अपनाने के साथ-साथ उत्तम किस्म का चुनाव, सही समय पर बुवाई, संतुलित...
नेपियर बाजरा घास पानी व पोषक की मांग कम होने के कारण खाली पड़े स्थान, पड़त भूमि, एकल फसली खेती के बाद खाली पड़े खेत सभी जगह उगाई जा सकती है । यह भूमि संरक्षण के लिए उपयुक्त व बहुवर्षीय चारा फसल है । करीब...
खेती योग्य भूमि पर मृदा एवं जल संरक्षण उपाय मुख्य रूप से भूमि ढाल एवं वर्षा पर निर्भर रहता है । जिन क्षेत्रों में भूमि का ढाल 2 प्रतिशत से कम होता है ऐसे क्षेत्रों के लिए वानस्पतिक उपाय अनुशंसित किये जाते हैं । दूसरी...
कुछ पौधों की जातियों में वंशीय गुणों के कारण फूलों के मुख्य अंग आपस में मिलने में असमर्थ हो जाते हैं अथवा प्रसंकर पैदा हो जाते हैं, इसलिए भी बाग में फूल एवं फल झड़ने की समस्या देखी जाती है । कार्बोहाइड्रोजन का अनुपात...
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