अजोला(Azolla)-पशुओं का शाश्वत पौष्टीक आहार

परिचय(Introduction)

अजोला पानी में पनपने वाला छोटे बारीक पौधा के जाति का होता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में वाटर  फर्न कहा जाता  है। अजोला की पंखुडियो में एनाबिन  नामक  नील हरित काई  के जाति का एक सूक्ष्मजीव होता है जाक सुर्य के प्रकाश में वायुमण्लीय नत्रजन का यौगिकीकरण करता है जो सुर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नत्रजन की पूर्ति करता है अजोला की विशेषता यह है कि यह अनुकुल वातावरण में 5 दिनों में ही दो-गुना हो जाता है।यदि इसे पुरे वर्ष बढने दिया जाये तो 300 टन से भी अधिक केन्द्रीय पर्दाथ प्रति हेक्टर प्राप्त किया जा सकता है।

अजोला में 3.5प्रतिशत नत्रजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते है जो भूमि की उर्वरक शक्ति बढाते है। अजोला दुध देने वाले जानवरों के लिए उत्तम फीड सल्पीमेन्ट हैऔर कम जगह कम समय और कष्ट में बहुत उत्पादन देने वाली पौध है, इसकी वजह पशुपालकों कों यह सक सस्ता और अच्छा फीड सल्पीमेंट है।

 

अजोला की प्रजाति(Azolla species)

अजोला की 6 प्रजातिया पायी जाती है-

1.  अजोला केरोलीना

2.  अजोला निलटिका

3.  अजोला फिलिक्यूलायट

4.  अजोला मेक्सिकाना

5.  अजोला माईका्रेफिला

6.  अजोला पिन्नाटा

इनमें से भारत वर्ष में अजोला पिन्नाटा पाई जाती है।

 

अजोला-एक पशुआहार(Azolla-Animal food)

1.  अजोला  में प्रोटीन, आवश्यक एामिनो आॅसिडस, विटामिन्स विटामिन ए, बी-12 और बिटोकेरोटीन, शरीर बढने के लिए उपयुक्त खनिज लवण जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, पोटोशियम, लोहा और काॅपर मैग्नीशियम से परिपूर्ण अच्छा स्त्रोत है।

2.  ड्राय वेट बेसिस में  अजोला में प्रोटीन मात्रा 25 से 35 प्रतिशत मिनरल्स खनिज लवण -10 से 15 प्रतिशत वसा (फॅट) – 3.55 प्रतिशत रेषा (फायबर) 15 प्रतिशत एन.एफ.ई. -46 प्रतिशत होता है।

3.  अजोला मे उच्च प्रोटीन और कम लिनीग मात्रा होने के बावजुद यह आसानी से पशुओ  में पश्चाता है।

4. अजोला -गाय भैंस, भेड, बकरी, सुअर, खरगोश और मूर्गीपालकों के  लिए कम  खर्च  में  आने वाला फिड सल्पीमेंट है।

 

अजोला बनाने की विधी (Method of Azolla cultivation)

  •  2*2*0.2मीटर  (लम्बाई  * चैड़ाई  *  गहराई) का गढढा छायादार जगह पे होना चाहिए। किन्तु इसे सुबह की धूप भी मिलनी चाहिये।
  •   गढढे में प्लास्टिक की लम्बी और चैडी शीट बिछायें।
  •   गडढे में 10-15 किग्रा खेत की अच्छी बारीक की हुई मिटट्ी डालीये।
  •   गडढें में 2 क्रि.ग्रा. ताजा गोबर और 30 ग्राम सुपर फास्फेट डालने के बाद 10 लीटर पानी डाले और अच्छे से मिलाए।
  •   गडढे को 15 से0मी0 तक पानी भर दे।
  •   इसमे 1 कि0ग्राम अजोला का कल्चर डाले की जो 10-15 दिन मे गडढे मे पुरा तरह से फैल जायेगा।
  •   इसके बाद छलनी से 600-700 ग्राम अजोला आप प्रतिदिन निकालके अपने पशुओ को खिला सकते है।
  •  खिलाने से पहीले  अजोला  को अच्छे तरीके  ताजा पानी से धो ले ताकि  गोबर की  बास निकल जाये।

 

अजोला बढाने के लिये आवश्यक चीज़े(Things to improve Azolla cultivation)

  •  तापमान    : 200  सेंटी से 280 सेंटी|
  • प्रकाश       : 50 प्रतिशत सूर्यप्रकाश।
    अगर तापमान 300सेंटी से उपर जाता है तो अजोला की बढवार जल्दी से नही होती है
    और ईल्ली पड जाती है तो धूपकाल मे उससे बचने के लिये ग्रीन शेड नेट का इस्तेमाल
    करे जिससे तापमान 50सेंटी 90सेटी तक कम कर सकते है और वाष्पिकरण कम करने मे
    मदद होती है और अजोला की बढवार अच्छी होती है।
  •  फाॅस्फोरस युक्त खाद  :
    अजोला जल्दी से बढने के लिये फाॅस्फोरस अतिआवश्यक गडढे मे डाले। 5 किग्राम मिट्टी हर 30 दिन
    के बाद बदलना चाहिये और 25-30 प्रतिशत पानी हर 10 दिन मे बदलना चाहिये।

 

अजोला के फायदे (Benefits of Azolla)

  • अजोला आसानी से पशु मे पचता है इससे 10-15 प्रतिशत तक दुग्ध उत्पादन मे वृध्दी
    होती  है।
  • अजोला मे मौजूद महत्वपूर्ण  पोशकमूल्यों से  यह पशुओं के  लिये एक फीड सपलीमेंट  का काम करता है|
  • दुधारू पशुओं मे अजोला खिलाने से दूध की पोशक मूल्यों मे वृध्दी होती है।
  • अजोला मांसवाली मुर्गीयों मे वजन बढाती  है और अंडे वाली मुर्गियों मे अण्डो की वृद्धि
    होती    है।
  • पशु शास्वत आहार के रूप मे अजोला गाय  भैंस बकरी भेड  खरगोश सुअर और मुर्गी पालन
    मे फीड सपलीमेंट का काम करता है।
  • गड्डे की 6 महिने  पुरानी 2  किलो मिट्टी 1 किलो एनपीके खाद इतनी पोशक  होती  है।
  • 1 हेक्टर खेत मे 40 से 60 किलो अजोला खाद  इस्तेमाल करने पर पौधो के उत्पादन मे
    5 प्रतिशत तक वृद्धि होती है।
  • अजोला केंचुआ खाद निर्माण मे भी केंचुओं को खिलाने के लिये भी इस्तेमाल होता है।

 

Source-

  • Krishi Vigyan Kendra,Madhya Pradesh.
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