सोयाबीन की खेती किए जाने वाले देश के विभिन्न भागों में मानसून के आगमन को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन कृषकों को निम्न सलाह दी जाती है:-
1. मानसून के आगमन के पश्चात् भूमि में पर्याप्त नमी (कम से कम 100 मि.मी बारिश) होने की स्थिति में ही सोयाबीन की बौवनी करें।
2. इसके बीज का आकार एवं अंकुरण क्षमता के अनुसार छोटे दाने वाली प्रजातियों का बीज दर 55-60 कि.ग्रा./हे., मध्यम आकार – 60-65 कि.ग्रा./हे. एवं बड़े दाने वाली किस्म के बीज का 70-75 कि.ग्रा./हे. रखें।
3. उपलब्ध सोयाबीन बीज की अंकुरण क्षमता की जाँच करे जो कि न्यूनतम 70 प्रतिशत होना चाहिये। इससे कम होने पर उसी अनुपात से बीज दर बढ़ाकर बौवनी करें।
4. विभिन्न रोगों से बचाव विशेषतः पीला मोजाइक बीमारी के लिए सुरक्षात्मक तरीके के रुप में बौवनी के समय सोयाबीन के बीज को अनुशंसित फफंदू नाशक थायरम एवं कार्बेन्डाजिम 2:1 अनुपात में (3 ग्राम/कि.ग्रा. बीज) उपचारित करने के तुरंत बाद अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफ.एस. (10 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) या इमीडाक्लोप्रिड 48 एफएस (1.25 मी.ली. /कि.ग्रा. बीज) से उपचारित करें। तत्पष्चात् राइझोबियम पी.एस.एम. कल्चर का प्रयोग करें।
5. रासायनिक फफुदनासक (थायरम/कार्बेन्डिजम) के स्थान पर जैविक फफंदू नाशक ट्रायकोडर्मा विरीडी (8-10 ग्राम/कि.ग्रा. बीज) का उपयोग किया जा सकता है लेकिन इसका उपयोग कीटनाशक से उपचारित करने के पष्चात् राइजोबियम पी.एस.एम. कल्चर के साथ में उपयोग किया जा सकता है।
6. वर्षा की अनिश्चितता एवं सूखे की समस्या के कारण सोयाबीन की फसल में होने वाली संभावित उत्पादन में कमी को देखते हुए बी.बी.एफ. सीड ड्रील, फब्र्स सीड ड्रील का उपयोग कर सोयाबीन की बौवनी करें। इन मशीनों की उपलब्धता न होने पर सुविधानुसार 6 से 9 कतारों के पश्चात् देसी हल चलाकर नमी संरक्षण नालियाँ बनाएं।
7. सोयाबीन की बौवनी करते समय बीज की गहराई (अधिकतम 3 सें.मी.) का उचित ध्यान रखें जिससे सोयाबीन का अंकुरण प्रभावित न हो।
8. इसकी बौवनी हेतु अनुशंसित कतार से कतार की दूरी (45 से.मी.) का प्रयोग करे।
9.इसकी फसल में पोषण प्रबंधन हेतु अनुशंसित पोषक तत्वों की मात्रा (25:60:40:20 कि.ग्रा. /हे. नत्रजन, स्फूर, पोटाष एवं गंधक) बौवनी के समय ही सुनिष्चित करें।
10. बौवनी के तुरंत बाद उपयोग में लाये जाने वाले अनुशंसित खरपतवार नाशंक जैसे डायक्लोसूलम (26 ग्रा./हे.) या सल्फेन्ट्राजोन (750 मि.ली./हे.) या पेन्डीमिथलीन (3.25 ली/हे.) की दर से किसी एक खरपतवारनाशक का चयन कर 500 लीटर पानी के साथ फ्लड जेट या फ्लेट फेन नोझल (कट नोझल) का उपयोग कर समान रूप से खेत में छिड़काव करें।
11. एकल पद्धति की तुलना में सोयाबीन की अंर्तवर्तीय खेती आर्थिक रूप से अधिक लाभकारी एवं स्थिर होती है। अतः सलाह है कि सोयाबीन + मक्का / ज्वार / अरहर / कपास को 4:2 के अनुपात में 30 सें.मी. कतारों से कतारों की दूरी पर बौवनी करें। अंर्तवर्तीय फसल की स्थिति में केवल पेन्डीमिथलीन नामक बौवनी पूर्व खरपतवारनाशक का ही प्रयोग करें
Source-
- Indian Institute of Soybean Research