सिंचाई के प्रकार:-
छिड़काव सिंचाई प्रणाली
छिड़काव सिंचाई, पानी सिंचाई की एक विधि है, जो वर्षा के समान है। पानी पाइप तंत्र के माध्यम से आमतौर पर पम्पिंग द्वारा वितरित किया जाता है। वह फिर स्प्रे हेड के माध्यम से हवा और पूरी मिट्टी की सतह पर छिड़का जाता है जिससे पानी भूमि पर गिरने वाला पानी छोटी बूँदों में बंट जाता है।
फव्वाबरे छोटे से बड़े क्षेत्रों को कुशलता से कवरेज प्रदान करते हैं तथा सभी प्रकार की संपत्तियों पर उपयोग के लिए उपयुक्त हैं। यह लगभग सभी सिंचाई वाली मिट्टियों के लिये अनुकूल है क्योंपकि फव्वाकरें विस्तृत विसर्जन क्षमता में उपलब्ध हैं ।
लगभग सभी फसलों के लिए उपयुक्त है जैसे गेहूं, चना, दाल के साथ सब्जियों, कपास, सोयाबीन, चाय, कॉफी, और अन्य चारा फसलें|
बेसिन या द्रोणी सिंचाई
सिंचाई की एक विधि जिसके अंतर्गत वर्षा या बाढ़ के समय निम्न भूमि या गर्तों में जल एकत्रित कर लिया जाता है और उसका उपयोग समीपवर्ती खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए किया जाता है। मिश्र और सूडान में ग्रीष्म ऋतु में नील नदी में आने वाली बाढ़ के जल को विशेष रूप से बनाये गर्तों में एकत्रित किया जाता है जिससे फसलों की सिंचाई की जाती है।
कुआँ और रेहट से सिंचाई
बारिश कम होने से जिले के किसान परेशान हैं। जिसकी वजह से जिले में सिंचाई की समस्या बढ़ती जा रही है। जिसका मुख्य कारण यह भी है कि किसान अपने परंपरागत सिंचाई के साधनों का उपयोग नहीं कर रहे और पूरी तरह से नहरों और और सरकारी सहायता पर अश्रित होते जा रहे हैं। एक समय ऐसा भी था जब किसानों के खेतों में नहरों का पानी नही पहुंच पाता था। तो किसान अपने खेतों के समीप एक कुआं खोद कर उसमें लोहे की बनी रेहट नामक मशीन लगा देते थे और अपनी फसल की सिंचाई कर लेते थे। परन्तु धीरे -धीरे कुआं की संख्या में भी कमी आती गयी।
सिंचाई का एक साधन रेहट किसानों से दूर होता गया। कहीं- कहीं यह मशीन देखने को मिलती है। लेकिन वह काम करने के लायक नहीं होती है। सिंचाई के इन छोटे -छोटे साधनों के विलुप्त होने के कारण ही जिले में के अधिकांश प्रखंडों क्षेत्रों में सिंचाई की समस्या बढ़ती जा रही है। आज हर किसान को अपने खेत के पटवन हेतु सरकारी नलकूप नही मिल रहा है। सिंचाई के लिए सरकार के द्वारा व्यवस्था किये गये सभी प्रयास बेजान दिखाई पड़ रहे हैं। बता दे अब किसानों की खेती सिचाई पूर्णत: नहरों व पंम्पिग सेट के सहारे सिमट कर रही गयी है।
बौछारी (स्प्रिंकलर) सिंचाई तकनीक अपनाएं- भरपूज उपज पाएं
बौछारी या स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई में पानी को छिड़काव के रूप में दिया जाता है। जिससे पानी पौधों पर वर्षा की बूंदों जैसी पड़ती हैं। पानी की बचत और उत्पादन की अधिक पैदावार के लिहाज से बौछारी सिंचाई प्रणाली अति उपयोगी और वैज्ञानिक तरीका मानी गई है। किसानों में सूक्ष्म सिंचाई के प्रति काफी उत्साह देखी गई है। इस सिंचाई तकनीक से कई फायदे हैं।
Source-
- swadeshikheti.com
- indiawaterportal.org