भूमि का चयन एवं खेत की तैयारी
- सरसों के उत्पादन हेतु अच्छी जलधारण क्षमता वाली बलुई दोमट से दोमट भूमि होना चाहिए।
- सिंचित क्षेत्र में खरीफ फसलों की कटाई के तुरंत बाद 1 से 2 बार कल्टीवेटर द्वारा आड़ी खड़ी जमीन की जुताई करे। उसके पश्चात पलेवा करके एक बार कल्टीवेटर से जुताई करे तथा पाटा चलाकर खेत को ढेले रहित व समतल करे।
उन्नत किस्मे
- पूसा जगन्नाथ, पूसा मस्टर्ड-21, पूसा अग्रणी, पूसा बोल्ड, पूसा जय किसान
बीज दर
- 3 से 4 किलो बीज प्रति हेक्टेयर उपयागे करे।
बीज उपचार
- बुआई के समय प्रति 1 किलोग्राम बीज पर 6 ग्राम की दर से मेटालेक्जिल अथवा 2 ग्राम की दर से कार्बेन्डाजिम (बाविस्टीने ) से बीज उपचार करे।
बुआई की विधि
- कतार से कतार की दूरी 30 से 45 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 से.मी. रखना चाहिये।
- बीज कितना गहरा बोया जाए यह खेत की नमी पर निर्भर करता हैं।
- साधारणः बीज को 2 -2ण्5 से.मी. से अधिक गहरा नहीं बोना चाहिऐ।
खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
- सरसों की अच्छी व अधिक उपज के लिये नाईट्रोजन, फास्फोरस व पोटाष तत्वों का संतुलित रुप से उपयोग करना आवष्यक है। गोबर व कम्पोस्ट खाद यदि उपलब्ध है तब 10 टन प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करे। हरी खाद का भी प्रयागे कर सकते हैं।
- सिंचित खेती हेतु 60 किलो नत्रजन, 40 किलो स्फुर, 40 किलो पोटाष तथा 40 किलो सल्फर देना चाहिये।
- नत्रजन की आधी मात्रा तथा सभी बताये गये उर्वरकों की पूरी मात्रा बुआई के पूर्व आधार खाद के रुप में दे तथा आधी नत्रजन की मात्रा प्रथम सिंचाई पर देना चाहिए।
सिंचाई प्रबंधन
- सरसों के लिये सिंचाई की अवस्थाएॅ बहुत महत्वपूर्ण है।
- एक सिंचाई उपलब्ध होने पर बुआई के 60 से 70 दिन के मध्य करे।
- दो सिंचाई उपलब्ध होने पर पहली सिंचाई 40 से 50 दिन के समय तथा दूसरी सिंचाई 90 से 100 दिन पर करना चाहिये|
खरपतवार नियंत्रण
- पेण्डामेथीलिन 1 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व दवा को 500 से 600 लीटर पानी में घाले कर बुवाई के 1 से 2 दिन बाद छिड़काव करे।
कीट नियंत्रण
- पेन्टेड बग – मेलाथियान 5 प्रतिषत धूल का 20 से 25 किलो प्रति हेक्टेयर जब पेन्टेड बग दिखाई पड़े तब भुरकाव करना चाहिये।
- चैपा (माहो) – माहो के नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30 ई.सी. या मिथाइल डैमेटोन 25 ई.सी. की 1000 मि.ली. /हे. की दर से 500-600 ली. पानी का घोल तैयार कर छिड़काव करे।
रोग नियंत्रण
- चितकबरे मत्कुण – इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड कीटनाषक 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज द्वारा बीजोपचार करे।
- श्वेत किट्ट – इसका प्रकोप हो तो रिडोमिल एम.जेड.-72 डब्ल्यू.पी. का 1200 ग्राम दवा 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
- अल्टरनेरिया पर्णदाग – इससे बचाव के लिए मेंकोजेब फफूदं नाषक का 1200 ग्राम दवा 600 लीटर पानी की दर से 1-2 छिड़काव करे।
- बुआई पूर्व रोपाअवस्था में आने वाले रोगों से बचाव हेतु कार्बेन्डाजिम से बीजोपचार करे।
उपज
- सरसों की फसल से 18 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती हैं।
स्रोत-
- कृषि विज्ञान केन्द्र, हरदा (म.प्र.)