समृद्ध कम्पोस्ट बनाने की विधि

भारत में लगभग 1,600 लाख टन राॅक फाॅस्फेट उपलब्ध है, लेकिन उसमें फाॅस्फेटकी मा़त्रा 20 प्रतिशत से कम पाई जाती है, जिसके कारण वह फाॅस्फेट का उर्वरक बनानेके अनुपयुक्त है। यह अम्लीय मिट्टी में अच्छी असरदार है। परंन्तु सामान्य एवं क्षारीय मृदा में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि सामान्य एवं क्षारीय मृदा में राॅक फाॅस्फेट अघुलनशील होता है। पोटाश के उर्वको के लिए भी हमारा देश पूर्णरूप से आयात पर निर्भर है।

मस्कोवाइट माइका, एक 9-10 प्रतिशत पोटाश की उपस्थिति वाले खनिज की विश्व में सर्वाधिक उपलब्धता, बिहार के मुंगेर जिले एवं झारखण्ड के कोडरमा एवं गिरिडीह जिलों के 4,000 वर्ग किलो मीटर में पाया जाता है। माइका का प्रयोग अधिकांशतः बिजली का सामान बनाने में किया जाता है। माइका की सफाई के दौरान बहुत मात्रा में अनुपयुक्त माइका का कचरा निकलता है जिसका कोई उपयोग नहीं है एवं उसको फेंकने के लिए जगह की भी समस्या होती है। यदि इसे रसायनिक/जैविक विधियों से रुपान्तरित कर लिया जाये, तो यह कचरा एक पोटाश का अच्छा स्रोत बन सकता है, पूसा संस्थान ने कम फाॅस्फेट वाले राॅक फाॅस्फेट एवं अनुपयुक्त माइका के कचरे से समृद्व कम्पोस्ट तैयार करने की तकनीक विकसित की है।

 

समृद्ध कम्पोस्ट तैयार करने की विधि

राॅक फाॅस्फेट एवं माइका कचरे के उपयोग से एक टन समृद्ध कम्पोस्ट बनाने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता (कि.ग्रा.)

फसलो के अवशेष

अन्य प्रकार का

कूड़ा व कचरा

 

एवं निम्न स्तर का राक(फास्फेट 18-20 से कम) अनुपयुक्त माइका (पोटाश 9-10 से कम) पशुओं का ताजा

गोबर

 तैयार कम्पोट

का अंतिम

वजन

1,000 कि.ग्रा. 200 कि.ग्रा. 200 कि.ग्रा. 100 कि.ग्रा.  1000 कि.ग्रा

 

गड्ढे भरना

समृद्ध कम्पोस्ट की गुणवत्तासमृद्ध कम्पोस्ट के लाभ कम्पोस्ट की मात्रा के अनुसार गड्ढे का आकार रखना चाहिए। इसमें ऊपर दिया गया कच्चा माल 5 से 6 परतों में भरा जाता है। सर्व प्रथम   फसलों के अवशेष, पशु चारा अवशेष, वृक्षों की पत्तियां एवं अन्य प्रकार के कूड़े-कचरे की  20 सं.मी. की परत गड्ढे के फर्श पर बिछाते हैं।उसके ऊपर राॅक फाॅस्फेट की परत डालते हैं, फिर अनुपयुक्त माइका की परत डालते हैं।

तदोपरान्त ताजा गोबर का पानी में घोल बनाकर उस पर छिड़क देते हैं। इस प्रकार गड्ढा 5-6 परतों में भरा जाता है। समय-समय पर पानी छिड़क कर उपयुक्त नमी 60 प्रतिशत बनाये रखते हैं। हर एक महीने के अन्तराल पर गड्ढे में भरी हुई सामग्री को वायु संचालन के लिए पलट देना चाहिये। इस प्रकार चार महीने में समृद्ध कम्पोस्ट बन कर तैयार हो जाती है।

समृद्ध कम्पोस्ट की गुणवत्ता

समृद्ध कम्पोस्ट की एक टन मात्रा/है. फसलों में प्रयोग करने पर उनकी अनुमोदित उर्वरकों की मात्रा में से 14-15 कि.ग्रानाइट्रोजन,50 से 60 कि.ग्रा. फाॅस्फेट एवं 25 से 30 कि.ग्रा. पोटाश/है. कम कर देनी चाहिए।

 

समृद्ध कम्पोस्ट के लाभ

1. फसलों के अवशेष एवं कूड़े कचरे को समृद्ध कम्पोस्ट बनाकर पुनः खेत में पहुँचा दिया जाता है जिससे मृदा में जीवांश पदार्थ की वृद्धि होती है।
2. निम्न स्तर के राॅक फाॅस्फेट एवं अनुपयुक्त माइका की मात्रायें फाॅस्फोरस एवं पोटेशियम पोषक तत्वों के रूप में पौधों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए देशी खनिज संसाधनों का उपयोग करते हुए पुनः खेती में प्रयोग किया जा सकता है।
3. महंगे फाॅस्फेटिक एवं पोटेशिक उर्वरको के आयात में कमी करके देश की विदेशी मुद्रा बचाई जा सकती है।

 

Source-

  • iari.res.in
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