सब्जियों में खरपतवार प्रबन्धन

सब्जियों की नई तकनीक अपनाने के बावजूद यह देखा जा रहा है कि पैदावार अच्छी नहीं हो रही है। इसका एक प्रमुख कारण सब्जियों में उगने वाले खरपतवारों का प्रकोप है जो नर्सरी से लेकर पूरे जीवन काल तक फसल को हानि पहुँचाते है तथा पैदावार में भारी कमी हो जाती है। अतः आवश्यक है कि इन खरपतवारों का समय पर प्रभावी नियंत्रण करके फसल को इनके कुप्रभाव से बचाया जा सके।

सब्जियों में लगने वाले प्रमुख खरपतवार

हमारे देश में सब्जियों की खेती वर्ष भर की जाती है। मौसम के अनुसार खरपतवारों की प्रजाति एवं संख्या में भी विभिन्नता होती है। खरीफ मौसम में रबी मौसम की तुलना मेंखरपतवारों का प्रकोप ज्यादा होता है। फसलों में उगने वाले खरपतवारों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

 

खरपतवारों की श्रेणी
खरीफ
रबी
जायद
सकरी पत्तीवाले सावा, कोदो, वनरा, मोथा,

दूबघास

गेंहूँ का मामा, जंगली जई,

दूबघास, मोथा

सावा, कोदो, दूबघास, मोथा
चैड़ी पत्ती वाले पथर चट्टा, कनकवा, सफेद

मुर्ग, वन मकोय, हज़ारदाना,

बड़ी दूधी, जंगली पालक,

मकोय

प्याजी, बथुआ, सेजी, कृष्ण

नील, हिरनखुरी, अंकारी,

जंगली मटर

पत्थर चट्टा, नूनिया

वनमकोय, बड़ी दूधी मकोय

परजीवी खरपतवार अमर बेल, आरोबैंकी अमर बेल, आराबैंकी

 

खरपतवारों से होने वाली हानियाँ

खरपतवार जहाँ एक ओर फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करके मृदा में उपलब्ध पौधों के पोषक तत्वों, नमी एवं सूर्य के प्रकाश का एक बड़ा हिस्सा शोषित कर लेते हैं वहीं दूसरी ओर कीट-व्याधियों एवं बिमारियों के जीवाणुओं को भी आंमित्रत करते है, जिससे न केवल पैदावार में भारी कमी आ जाती है अपितु सब्जियों की गुणवत्ता में भी गिरावट आ जाती खरपतवारों से होने वाली हानियाँ खरपतवार जहाँ एक ओर फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करके मृदा में उपलब्ध पौधों के पोषक तत्वों, नमी एवं सूर्य के परकाश का एक बड़ा हिस्सा शोषित कर लेते हैं वहीं दूसरी ओर कीट-व्याधियों एवं बिमारियों के जीवाणुओं को भी आंमित्रत करते है|जिससे न केवल पैदावार में भारी कमी आ जाती है अपितु सब्जियों की गुणवत्ता में भी गिरावट आ जाती है।

सब्जियों में कीड़े एवं रोगों की रोकथाम के लिये तो तुरन्त ध्यान दिया जाता है लेकिन खरपतवारों को तब तक बढ़ने देते हैं जब तक कि वह हाथ से पकड़कर उखाड़ने योग्य नहीं हो जाय। लेकिन उस समय तक खरपतवार फसलों के साथ प्रतिस्पर्धा करके काफी नुकसान कर चुके होते हैं। इसलिये आवश्यक है कि फसलों की खरपतवार प्रतिस्पर्धा के क्रांन्तिक समय में खरपतवारों से मुक्त रखा जाये। प्रमुख सब्जियों में खरपतवार प्रतिस्पर्धा का क्रांन्तिक समय एवं पैदावार का विवरण इस प्रकार है।

 

खरपतवारों की रोकथाम के उपाय

सब्जियों में खरपतवार नियंन्त्रण निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है।

1.  शुद्ध एवं साफ बीज का प्रयोग: सब्जियों की नर्सरी डालते समय एवं सीधी बुआई के समय शुद्ध एवं साफ बीजों का प्रयोग करके खरपतवारों पर प्रभावी नियंन्त्रण किया जा सकता है।

2. मृदा सौर्यीकरण द्वारा: सब्जियों की नर्सरी में खरपतवार नियंन्त्रण की यह एक प्रभावी विधि है। इसके द्वारा प्रमुख खरपतवारों का 75-100 प्रतिशत तक नियंन्त्रण हो जाता है। मई-जून के महीने में जब वातावरण में पर्याप्त गर्मी होती है। उस समय खेत की सिंचाई करके है।उसे पालीथीन चादर से लगभग 30-45 दिन के लिये ढक दिया जाता है। जिसके प्रभाव में मृदा का तापक्रम सामान्य से 10-12 डिग्री सेन्टीग्रेट तक बढ़ जाता है।फलस्वरूप मृदा में उपस्थित खरपतवार के बीज सूख जाते हैं तथा उसकी अंकुरण क्षमता नष्ट हो जाती है।

3. ग्रीष्म कालीन जुताई: गर्मी के मौसम में खेतों की गहरी जुताई करके 3-4 बार हैरो या कल्टीवेटर से जुताई करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं तथा साथ ही साथ कीड़े-मकोड़े एवं उनके अण्डे आदि भी नष्ट हो जाते है।

4. उचित फसल चक्र अपनाकर: एक ही सब्जी को बार-बार एक ही खेत में उगाने से उसमें खरपतवारों का प्रकोप बढ़ जाता है तथा साथ ही साथ कीट एवं बिमारियां भी अधिक लगती हैं। इसलिये यह आवश्यक है कि एक ही फसल को बार-बार एक ही खेत में न बोया जाये बल्कि उचित फसल चक्र अपनाया जाए।

5. हाथ से निकाई-गुड़ाई खरपतवारों पर नियंन्त्रण पाने की यह एक सरल व प्रभावी विधि है। सब्जियों की बुआई/रोपाई के 20-45 दिन का समय खरपतवारों से प्रतियोगिता की दष्टि से क्रान्तिक समय है, परिणामस्वरूप प्रारम्भिक अवस्था में ही फसल को खरपतवारों से मुक्त करना अधिक लाभप्रद होता है।रोपाई/बुआई के 20-25 दिन बाद खुरपी से निराई करके खरपतवारों पर प्रभावी नियंन्त्रण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त चूँकि सब्जियों की रोपाई/बुआई कतारों में की जाती है इसलिये हाथ से चलने वाले निकाई-गुड़ाई यन्त्रों से कतारों के बीच उगे खरपतवारों को काफी हद तक नियंन्त्रित किया जा सकता है।

6. खरपतवार नाशी रसायनों द्वारा खरपतवार नियंन्त्रण खरपतवार नियंन्त्रण की इस विधि से प्रति हैक्टर लागत भी कम आती है तथा समय की भारी बचत भी होती है, साथ ही साथ खरपतवारों का प्रारम्भिक अवस्था में ही प्रभावी नियंन्त्रण हो जाता है। इसके अतिरिक्त रासायनिक विधि सेखरपतवार नियंन्त्रण से सब्जियों में लगने वाले रोगों के जीवाणुओं के फैलने की सम्भावना भी कम हो जाती है। मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले खरपतवारनाशी रसायनों को दो भागों में बांटा जा सकता है।

(क) बुआई से पहले प्रयोग किये जाने वाले खरपतवार नाशी रसायन: इस वर्ग में आने वाले खरपतवार नाशी रसायनों को सब्जियों की बुआई से पहले खेत में डालकर अच्छी तरह से मिला देना चाहिये। इस समय भूमि में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।

(ख) बुआई के बाद परन्तु उगने से पहले प्रयोग कियेजाने वाले खरपतवार नाशी रसायन: इन रसायनोंको बुआई के 2-3 दिन बाद प्रयोग कर लेना चाहिये।इस समय खेत पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। प्रमुख खरपतवार नाशी रसायनों का विवरण इस प्रकार है।

खरपतवार नाशी रसायनों के प्रयोग में सावधानियां

1. खरपतवार नाशी रसायन की जिस फसल के लिये सिफारिश की गयी है उसी में प्रयोग करें।

2. रसायन की सिफारिश की गयी मात्रा, विधि एवं उपयुक्त समय पर ही प्रयोग करें।

3. प्रस्तावित मात्रा से कम या अधिक रसायन डालने से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा व्यर्थ खर्च बढ़ जाता है।

4. दवा छिड़कने के लिये चपटी नोजल (फ्लेट फेन नोजल) का ही प्रयोग करे ताकि रसायन पूरे खेत में एक समान पड़े।

5. तेज हवा या बादल होने की दशा में छिड़काव न करें।

6. स्प्रेयर को दवा छिड़कने के पहले व बाद में अच्छी तरह धो लेना चाहिये।

7. रसायन के डिब्बे पर दर्शायी गया सावधानियाँ ध्यानपूर्वक पढ़ ले तथा उसके अनुसार ही दवा का प्रयोग करें।

8. सभी खाली डिब्बों का नष्ट कर काफी दूरी पर जमीन में गाड़ देवें।

9. रसायन के छिड़काव के उपरान्त कपड़े बदल लें तथा नहा लें।

10. दवा डालते समय खाने की वस्तुओं का प्रयोग न करें।

11. दवा न तो चखे और न ही सूघें। दोनों ही हानिप्रद सिद्ध हो सकते हैं। शरीर पर पूरे पोशाक का इस्तेमाल करें।

 

स्रोत-

  • भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान,भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद.

 

One thought on “सब्जियों में खरपतवार प्रबन्धन

  1. Namaskar sir
    Mai gajar lagaya hu..
    Usme Bathuwa bahut jyada matra me hai…
    Bathuwa ko khatam karne ks upstream bataye Gajar me kaa…
    Mo..9984232229

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