सब्जियों का औषधीय एवं पोषण गुण

वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या लगभग 1.28 बिलियन पहुँच चुकी है। अनुमानतः सन् 2030 में भारत की जनसंख्या लगभग 1.47 बिलियन पहुँच जायेगी तब भारत दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला देश हो जायेगा। तब भारत में पोषण सुरक्षा एक बड़ी चुनौती होगी। सब्जियाँ पोषण सुरक्षा में सोने की खान कही जा सकती हैं। सब्जियाँ मुख्यतः विटामिन, खनिज लवण, ग्लूकोसिनोलेटस, फिनाल, खाद्य तन्तु और कैरोटिन्वायड्स की अच्छी स्रोत मानी जाती है जिसके नित्य सेवन करने से मानव स्वास्थ्य में पोषण की समस्या का समाधान किया जा सकता है।

सब्जियों में जैव क्रियात्मक यौगिक कुछ जैव क्रियात्मक यौगिक लगभग सभी सब्जियों में पाये जाते हैं और यह जैव क्रियात्मक यौगिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे स्वास्थ्य सुरक्षा में सहायक होते हैं। कुछ जैव क्रियात्मक युक्त सब्जियों का वर्णन निम्नलिखित है।

टमाटर

टमाटर (सोलेनम लाइकोपर्सिकम) सोलेनेसी कुल की एक महत्वपूर्ण सब्जी है जो भारत ही नही अपितु सम्पूर्ण विश्व में उपयोग की जाती है। यह खनिज पदार्थ एवं विटामिन का अच्छा स्रोत है। यह खाद्य तंत्र का भी अच्छा स्रोत माना जाता है। टमाटर में पोटैशियम, फोलेट, विटामिन ए, विटामिन सी. और विटामिन ई पर्याप्तमात्रा में पाया जाता है।
टमाटर में विटामिन और खनिज लवण के साथ कुछ जैव क्रियात्मक यौगिक जैसे लाइकोपीन, बीटा-कैरोटीन, एल्फा-कैरोटीन, ल्यूटिन, जियाजैनिथिन औ र फिनालिक यौगिक भी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है जो मानव स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान देते है।

बैंगन

बैंगन (सोलेनम मेलांगेना एल.) सोलेनसी कुल की प्रचलित सब्जी है। यह सब्जी उपोष्ण कटिबंधीय और कटिबंधीय क्षेत्रों में उगायी जाती है। बैंगन खनिज लवण एवं विटामिन का फिनालिक यौगिक पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं जो कि एक अच्छे एण्टीआक्सीडेण्ट की तरह कार्य करते है। मुख्यतया बैंगन में फिनालिक यौगिक जैसे एन- कैफिथोइलपुटेरेस्सिन, 5-कैफियोइलक्यूनिक अम्ल और 3-एसिटिल-5-कैफियोइलक्यूनिक अम्ल पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं जो कि मानव स्वास्थ्य में एक अच्छे एण्टीआक्सीडेन्ट की तरह कार्य करते हैं और मुक्त मूलक को खत्म करते हैं।

करेला

करैला (मोमोर्डिका चरेन्सिया एल.) उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय, कुकुरबिटेसी कुल की एक वर्षीय सब्जी है। यह एशिया तथा अफ्रीका में उगायी जाता है। करैला फिनालिक फाइटोकेमिकल्स का अच्छा स्रोत है। करैले में स्थायी फिनालिक यौगिक जैसे गैलिक अम्ल, कैफिक अम्ल और कैटेकिन भी पाये जाते हैं। कुछ प्रायोगिक कार्य के आधार पर यह पता चला है कि करैले की पत्ती एवं फल का रस प्रयोग करने से यह पर्याप्त मात्रा में शरीर को एंटीआक्सीडेन्ट प्रदान करता है जिससे शरीर में उपस्थित मुक्त मूलक से होने वाले खतरे से बचा जा सकता है। करैले के रस का उपयोग मुधमेह में भी लाभकारी होता है।

कद्दू

कद्दू (कुकुरबिटा मासचैटा) और इससे जुड़ी प्रजाति (कुकुरबिटा पेपो और कुकुरबिटा मैक्जिमा) कुकुरविटेसी कुल की महत्वपूर्ण सब्जियां हंै। हम इस सब्जी को परिपक्व तथा अर्धपरिपक्व दोनों अवस्था में प्रयोग कर सकते हैं। कद्दू विटामिन और खनिज लवण का अच्छा स्रोत माना जाता है तथा इसके अलावा कद्दू में जैव क्रियात्मक यौगिक भी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। कद्दू में कैरोटिन्वायड्स जैसे बीटा-कैरोटिन एवं ल्यूटिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो एक अच्छे एंटीआक्सीडेन्ट की तरह कार्य करते हैं। कद्दू में एल्फा कैरोटीन, जियाजैन्थिन, बायोलाजैन्थिन, बीटा-कैरोटिन, 5-6- इपाक्साइड, बीटा-क्रिप्टोजैन्थिन, ल्यूटिओजैन्थिन और नियोजैन्थिन भी कुछ मात्रा में पाये जाते हैं। कुकुरबिट्स प्रजाति में प्रोटीन युक्त पाली सैकेराइड्स भी पाये जाते हंै। जो हाइपोग्लाइसिमिक पर प्रभाव ड़ालते है। कद्दू के अनअंकुरित बीज से तेल निकाला जाता है तथा अंकुरित बीज से मिलने वाला प्रोटीन हाइपोग्लाइसिमिक रोग को प्रभावित करता है। कद्दू के पाॅलिसैकेराइड्स और तेल दोनों एन्टीहाइपरकोलेस्ट्रोमिया के प्रभाव को दर्शाते है।

गाजर

गाजर (डाॅकस कैरोटा) एक जड़ वाली सब्जी है जो मानव पोषण में अहम भूमिका निभाती है। यह विटामिन, खनिज लवण तथा खाद्य तंत्र का अच्छा स्रोत माना जाता हैइसके साथ-साथ गाजर जल स्नेही और वसास्नेही एंटीआक्सीडेन्ट का अच्छा स्रोत माना जाता है। गाजर में उपस्थित वसास्नेही एंटीआक्सीडेन्ट जैसे बीटा कैरोटिन, एल्फा कैरोटिन, ल्यूटिन और लाइकोपीन मानव स्वास्थ्य में मुख्य भूमिका अदा करते हंै। पीले गाजर में उपस्थित जैन्थाोफिल्स ल्यूटिन एक आवश्यक जैव क्रियात्मक यौगिक होता है जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ मनुष्यों में मोतियाबिन्द की समस्या से निजात दिलाता है। लाइकोपीन एक क्रियात्मक अवयव होता है जो प्रोस्टेट कैंसर और मुक्त मूलक को शरीर में बढ़ने से रोकता है। अतः गाजर का नित्यदिन सेवन करने से मानव स्वस्थ अच्छा बना रह सकता हैं। वसारागी एन्टीआक्सीडेन्ट के अलावा काले रंग का गाजर जलस्नेही एन्टीआक्सीडेन्ट जैसे- फिनालिक्स, फ्लैवोनायड और एन्थोसाइनिन का अच्छा श्रोत होता है।

 

मूली

मूली (रैफेनस सेटाइवस) जड़ वाली एक दूसरी महत्वपूर्ण सब्जी है जिसका उपयोग भारत में अधिकांशतः किया जाता है। मूली में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पायी जाती है तथा इसके साथ ही साथ इसमें खनिज लवण भी पाया जाता है। मूली में लगभग 0.6 प्रतिशत, प्रोटीन, 0.3 प्रतिशत वसा, 0.6 प्रतिशत खनिज पदार्थ, 0.6 प्रतिशत फाइबर और 6.8 प्रतिशत दूसरे कार्बोहाइडेªट भी पाये जाते है। मूली में तीखा स्वाद उसमें उपस्थित गैसीय आइसोथायोसायनेट के कारण होता है और मूली में एन्थोसायनिन पिगमेन्ट होने के कारण मूली गुलाबी रंग की भी पायी जाती है अतः मूली का सेवन पोषण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

 

ब्रोकली

ब्रोकली (बै्रसिका ओलेरेसिया प्रजाति) जिसे ब्रोकोली कहते हैं मानव स्वास्थ्य में अपने प्रजाति (इटालिका) बहु आयामक लाभकारी गुण के कारण सब्जियों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ब्रोकली में भी प्रचुर मात्रा में विटामिन, खनिज लवण तथा खाद्य तन्तु पाये जाते हंै। हरी फूलगोभी सेलेनियम अवयव को भी मिट्टी से एकत्रित करने का कार्य करती हंै। हरी फूलगोभी में फोलिक एसिड लगभग 70-90 माइक्रोग्राम/100 ग्राम में पाया जाता है। हरी फूलगोभी में ल्यूटिन, बीटा-कैरोटिन और एल्फा-टोकोफेराल, जो कि वसा में घुलनशील एण्टीआक्सीडेन्ट हैं, प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। अतः हरी फूल गोभी का नित्यदिन सेवन करने से कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।

बंद गोभी

बंदगोभी (ब्रैसिका ओलेरेसिया प्रजाति कैपिटाटा) भी एक महत्वपूर्ण सब्जी है। किण्णवन विधि द्वारा बंदगोभी से बनाया गया उत्पाद विटामिन सी की अधिकता के कारण स्कर्वी रोग से प्रभावित व्यक्ति को दिया जाता है। बंदगोभी में भी ग्लूकोसिनोलेट, फिनालिक और कैरोटिन्वायड्स जैसे जैव क्रियात्मक यौगिक पाये जाते हैं जो कि मानव स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हंै।

खीरा

खीरा (कुकुमिस सेटाइवस) भारत में काफी क्षेत्रफल में उगाया जाता है। खीरा में विटामिन बी, विटामिन सी के साथ-साथ कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन तथा पोटैशियम भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। खीरा पीलिया, कब्ज तथा पाचन क्रिया को ठीक करने में उपयोगी होता है। खीरा कोहम मुख्य रूप से सलाद के रूप में प्रयोग करते हैं। खीरा लिग्निन्स का अच्छा स्रोत होता है लिग्निन्स के जठरांत्र पथ में पाये जाने वाले जीवाणुओं का भोजन होता है जिसके कारण यह जीवाणु स्ट्रोजन कैंसर को रोकने में मददगार होता है। इस प्रकार खीरा को खाने से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।

तरबूज

तरबूज (सिट्रूलस लेनेटस) प्रायः उष्ण कटिबंधीय जगहों में पाया जाता है। तरबूज के खाने योग्य भाग में खनिज लवण जैसे पोटैशियम, आयरन, विटामिन ए, थायमिन और राइबोफ्लेविन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। तरबूज विटामिन सी का भी स्रोत माना जाता है। तरबूज में लाइकोपीन दूसरीसब्जियों की अपेक्षा ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। तरबूज एंटीआक्सीडेण्ड का अच्छा स्रोत माना जाता है। तरबूज का उपयोग मूत्राशय सम्बन्धी रोगों के उपचार में भी किया जाता है।

 

सहजन

सहजन (मोरिन्गा प्रजाति) एक बहुमुखी प्रतिभा के साथ ही उच्च उद्यानिकी वाला वृक्ष है। सहजन के हर भाग का उपयोग मानव पोषण में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सहजन की पत्ती, जड़ तथा फली चिकित्सा की दृष्टि से मानव स्वास्थ्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। सहजन के जड़ का उपयोग स्कर्बी रोग में लाभ पहुँचाने वाले मरहम, जुकाम तथा घाव को सुखाने आदि में किया जाता है। सहजन की पत्ती में विटामिन ’सी’, प्रोटीन तथा आयरन के प्रचुर मात्रा में पाये जाने से चिकित्सा की दृष्टि से इसका उपयोग भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सहजन की पत्ती का प्रयोग डायरिया, आॅत सम्बन्धी बीमारी तथा अल्सर को ठीक करने में किया जाता है। सहजन के बीज का उपयोग उच्च रक्त दाब को कम करने तथा इसके साथ ही साथ पीने वाले पानी को स्वच्छ बनाये रखने में भी किया जाता है। अतः सहजन सामाजिक एवं स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

 

स्रोत-

  • भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान

 

 

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