ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के साथ-साथ दुधारु पशुओं को रखकर किसान भाई अपनी आय को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। पशुपालन के लिये जिस प्रकार अच्छी नस्ल का पशु होना चाहिये उसी प्रकार यह भी जरुरी है कि पशुओं को सन्तुलित पशु आहार भी प्राप्त हो, अन्यथा खर्च बढ़ने पर आय कम हो जाती है। इसके लिये ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद खाद्य संसाधनों से ही घर पर सन्तुलित आहार तैयार कर पशुओं का उचित पोषण किया जा सकता है।
गाय/भैसों हेतु निर्वाह आहार
जिन दिनों गाय/भैंस दूध नहीं दे रहे हो तो उनकी आहार की आवष्यकता न्यूनतम होती है तथा अच्छे चारागाह में 6-8 घण्टे प्रतिदिन चरने से पशु की आवष्यकताओं की पूर्ति हो जाती है। यदि चरने की व्यवस्था न हो तो भूसे के साथ 2-3 कि.ग्रा. दाना मिश्रण या 1 कि.ग्रा. सरसों की खली या 7 कि.ग्राबरसीम खिलानी चाहिये। पशु की चारे की आवश्यकता की पूर्ति केवल 20-25 कि0ग्रा0 मक्का/ज्वार/बाजरा के हरे चारे से भी पूर्ति की जा सकती है।
गाभिन गाय/भैंस का आहार
प्रथम बार गाभिन हुई बछियों की पोषण की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि इस समय उनका खुद का शरीर भार भी बढ़ रहा होता है। साथ ही गर्भ में पल रहे शिशु का भी विकास होता है। अतः जिनका औसत भार 300-400 कि0ग्रा0 होता , निम्न मे से कोई एक आहार प्रतिदिन देना चाहियें।
आहार- 1
बरसीम चारा 15-20 कि.ग्रा
गेहूँ का भूसा/धान का पुआल 2-3 कि.ग्रा.
ज्वार/बाजारा/ मक्का दाना मिश्रण 2 कि.ग्रा
आहार-2
मक्का/ज्वार/जई का हरा चारा 30-40 कि.ग्रा
दानामिश्रण 2 कि.ग्रा
आहार-3
गेहूँ का भूसा/धान का पुआल 4-5 कि.ग्रा.
ज्वार/बाजारा/ मक्का कड़वी
दाना मिश्रण 3-4 कि.ग्रा
दूध देने वाली गाय/भैंस का आहार
साधारणतः गाय को 3 कि.ग्रा. दूध व भैंस को 2.5 कि0ग्रा0 दूध पर एक कि0ग्रा0 दाना मिश्रण देते है। गाय व भैंस को उसके शरीर भार व दुग्ध उत्पादन क्षमता के अनुसार निम्न प्रकार से चारे/दाने की उपलब्धता के आधार पर किसी एक आहार को खिलाना चाहिये।
शरीर भार कि0ग्रा0 |
399 |
350 |
400 |
450 |
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5 कि0ग्रा0 प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन |
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आहार – 1
दाना मिश्रण गेहूं का भूसा/धान का पुआल/ मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़वी हरी बरसीम |
2-0 3-5
8-0 |
2-0 4-5
11-0 |
2-5 6-0
11-0 |
2-5 7-5
15-0 |
|||
आहार – 2
दाना मिश्रण गेहूं का भूसा/धान का पुआल/ मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़वी |
3-5 5-0 |
3-5 6-5
|
4-0 7-5 |
4-0 9-0
|
|||
आहार – 3
दाना मिश्रण हरा चारा |
1-5 30-0 |
1-5 35-0 |
2-0 32-0 |
2-0 40-0
|
|||
आहार – 4
बरसीम गेहूं का भूसा/धान का पुआल/ मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़वी |
25-0 6-0 |
27-0 7-0 |
28-5 8-0 |
30-0 8-5 |
10 कि0ग्रा0 प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन |
|||||||
आहार – 1
दाना मिश्रण गेहूं का भूसा/धान का पुआल/ |
3-5
3-0 |
3-5
3-5 |
4-0
4-0 |
4-0
6-5 |
मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़वी
हरी बरसीम
|
10-0 |
15-0 |
20-0 |
20-0 |
आहार -2
दाना मिश्रण गेहूं का भूसा/धान का पुआल/ मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़वी |
5-0
4-0 |
5-0
5-0 |
5-5
6-0 |
5-5
7-5 |
आहार – 3
दाना मिश्रण हरा चारा |
3-0 25-0 |
3-0 30-0 |
3-5 35-0 |
3-5 40-0 |
आहार – 4
बरसीम |
35-0 5-0 |
35-0 6-0 |
40-0 7-0 |
40-0 8-0 |
15 कि0ग्रा0 प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन |
||||
आहार – 1
दाना मिश्रण गेहूं का भूसा/धान का पुआल/ मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़वी हरी बरसीमन |
2-5
20-0 |
5-0 4-0
20-0 |
5-5 5-5
20-0 |
5-5
|
आहार – 2
दाना मिश्रण गेहूं का भूसा/धान का पुआल/ मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़वी |
6-5
3-5 |
7-0
4-5 |
7-5
4-5 |
|
आहार – 3
दाना मिश्रण हरा चारा |
4-5
25-0 |
50-0
30-0 |
50-0
35-0 |
|
आहार – 4
बरसीम गेहूं का भूसा/धान का पुआल/ मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़वी |
45-0
5-0 |
50-0
6-0 |
50-0
7-0 |
15 कि.ग्रा. से अधिक दूध देने वाली गाय को 20-30 किलोग्राम पौष्टिक चारा और अच्छे प्रकार
दाना मिश्रण भरपेट खाने को देना चाहिये। उपरोक्त सारणियों में दाना मिश्रण की मात्रा 20-25 प्रतिशत
बढ़ा देने से यही आहार भैंस के लिये उपयुक्त हो जाता है। साथ ही कुल मात्रा में रूमेन, बाइपास, पोषक
तत्व जैसे बाइपास वसा, बाइपास प्रोटीन व खनिज लवण अवश्य देना चाहिए। जिससे पशुओं की उत्पादन
क्षमता का लाभ लिया जा सके।
मिश्रण तैयार करना:-
किसान भाई घर पर ही निम्न प्रकार से दाना मिश्रण तैयार कर सकते है तथा किसी एक दाना मिश्रण
पशुओं को खिलाने हेतु प्रयोग में लाया जाना चाहिये।
दाना मिश्रण – 1 मात्रा प्रतिशत
मक्का/जौ/जई/गेहूं 30 प्रतिशत
मूगंफली की खली/सरसों की खली/ग्वार मील 30 प्रतिशत
गेहूं का चोकर/चावल का घूटा 27 प्रतिशत
शीरा/चावल का घूटा (तेल निकला हुआ) 10 प्रतिशत
सादा नमक 1 प्रतिशत
खनिज लवण मिश्रण 2 प्रतिशत
दाना मिश्रण – 2 मात्रा प्रतिशत
गेहूं का चोकर /धान का घूटा (तेल निकला हुआ) 50 प्रतिशत
चने की चूरी/उर्द/मूंग/अरहर चुनी 17 प्रतिशत
सादा नमक 1 प्रतिशत
खनिज लवण मिश्रण 2 प्रतिशत
सरसों /अलसी/बिनौला की खली
दाना मिश्रण – 3 मात्रा प्रतिशत
तिल की खली /सूरजमुखी की खली 30 प्रतिशत
/सरसों की खली
अरहर/उर्द/चना की चूरी/चावल का घूटा (तेल निकला) 20 प्रतिशत
ज्वार/बाजरा/जई 25 प्रतिशत
आम की गुठली (सूखी हुई) 12 प्रतिशत
चावल का घूटा/षीरा 10 प्रतिशत
सादा नमक 1 प्रतिशत
यदि पशु को हरा चारा नहीं मिल रहा हो तो 1 कुन्टल में 6 ग्राम विटामिन सप्लीमेण्ट मिलाना
चाहिये। आमतौर पर 1 कि0ग्रा0 दाना मिश्रण की पूर्ति 8 कि0ग्रा0 अच्छी गुणवत्ता के हरे चारे से की जा
सकती है।
पशुओं को आहार देने के नियम –
- सामान्यतः एक व्यस्क जानवर को प्रतिदिन 6 किलो सूखा चारा और 15-20 किलो तक हरा चारा खिलाना चाहिए। फलीदार (स्महनउम) और बिना फलीदार (दवद.समहनउम) हरे चारे के समान अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए। हरे चारे की फसल को जब आधी फसल में फूल आ जाये तब काटकर खिलाना उपयुक्त होता है। अतिरिक्त हरे चारे को सुखाकर ’हे’ या गड्ढे में दबाकर ’साइलेज’ बनाना चाहिए। इस तरह से संरक्षित चारे का उपयोग गर्मियों में या हरे चारे की कमी के समय लाभदायी होता है।
- जब पशुओं को मुख्यतः सूखा चारा ही उपलब्ध हो तो यूरिया-मोलासिस मिनरल ब्लाॅक का उपयोग करना चाहिए।
- पशुओं को स्वस्थ रखने व उनके उत्पादन में वृद्धि के लिए ’संतुलित पशुआहार’/बाइपास प्रोटीन आहार भी खिलाना चाहिए।
- पशुओं को प्रतिदिन अच्छी गुणवत्ता का खनिज मिश्रण (डपदमतंस डपगजनतम) देना चाहिए, क्योंकि शरीर की आंतरिक क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए खनिज तत्व अनिवार्य होते है।
- पशुओं का आहार अचानक न बदल कर धीरे-धीरे बदलना चाहिए।
- चारे को काटकर खिलाना लाभदायक है। सूखा चारा, हरा चारा, पशु आहार व खनि मिश्रण मिलाकर (सानी बनाकर) एक बार न देकर, प्रतिदिन 3-4 बार में बांटकर देन उपयुक्त होता है। सानी बनाने से चारे की बरबादी कम होती है और चारा सुपाच्य ह
- जाता है जिससे पशु का दुग्ध उत्पादन बढ़ता है।
बाइपास-प्रोटीन पशुआहार खिलाने का महत्व
शरीर के विकास तथा दुग्ध उत्पादन हेतु प्रोटीन की महती आवश्यकता है। सामान्यतः आहार में उपलब्ध प्रोटीन का अधिकांश हिस्सा पेट की पहली थैली में ही टूट जाता है। बाइपास पशु आहार की प्रोटीन का अधिकांश भाग पेट की पहली थैली में न टूट कर आगे बढ़ जाता है जिससे पशु उसका उपयोग बेहतर तरीके से करता है। यह दो तरह से तैयार होता है- एक खाद्य पदार्थों के मिश्रण में फेरबदल करके और दूसरा उपचारित करके। इसे खिलाने के निम्नालिखित लाभ हैं।
- कम पैसे में अधिक पौष्टिक आहार मिलता है।
- बाइपास प्रोटीन की उपयोगिता बढ़ जाती है।
- शारीरिक वृद्धि एवं अधिक दुग्ध उत्पादन में सहायक होता है।
- अधिक दूध देने वाले पशु की आवश्यकता को बाइपास प्रोटीन वाले आहार की कम मात्रा देकर भी पूरा किया जा सकता है।
- संतुलित पशुआहार के स्थान पर बाइपास प्रोटीन पशुआहार मात्र 70 प्रतिशत ही खिलाना प़ड़ता है।
- यदि बाईपास प्रोटीन पशु आहार उपलब्ध न हो तो 8 से 12 लीटर दूध देने वाले पशु को उपचारित बाइपास प्रोटीन पशु आहार 1 किलो प्रतिदिन (आधा किलो सुबह और आधा किलो शाम) सन्तुलित पशु आहार की पूर्व मे बताई गयी मात्रा के साथ देना उपयुक्त रहता है।
खनिज मिश्रण खिलाने के महत्व
पशु के शरीर की आंतरिक क्रियाओं को सुचारू रूप से कार्य करने हेतु उसके आहार में खनिज लवणों की उचित मात्रा का महत्वपूर्ण योगदान है। खनिज मिश्रण में सभी तत्व आवश्यक मात्रा में उपलब्ध रहते हैं। इसके खिलाने में निम्नलिखित लाभ हैः-
- बछड़े/बछियों की वृद्धि में सहायक है।
- पशु द्वारा खाए गये आहार को सुपाच्य बनाता है।
- दुधारू पशु के दूध उत्पादन में वृद्धि करता है।
- प्रजनन शक्ति को ठीक रखता है, और दो ब्यांतों के बीच के अंतर को कम करता है।
- पशु लंबी अवधि तक उपयोगी रहता है।
- पशुओं की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।
- पशुओं मे ब्यांत के आसपास होने वाले रोगों (जैसे दुग्ध ज्वार, कीटोसिस, मूत्र में रक्त
आना) की रोकथाम करता है।
Source–
- Krishi Vigyan Kendra,Madhya Pradesh.