भारत में मुख्यतः शीतकालीन श्वेत बटन खुम्ब (एगेरिकस बाइस्पोरस) की खेती की जाती है तथा इसका वार्षिक उत्पादन कुल खुम्ब उत्पादन का 90 प्रतिशत है। इसकी दूसरी प्रजाति एगेरिकस बाइटाॅर्किस (ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन खुम्ब) भी अब प्रचलित होने लगी है जिसके फलन के लिये 4-60 सेल्सियस अधिक तापक्रम की आवश्यकता होती है। इस खुम्ब की प्रमुख विशेषताऐं इसकी ज्यादा ठोस एवं सफेद फलनकाय (फ्रूटबाॅडी) एवम् इसमें चोट लगने से इसका रंग भूरा नहीं होता है तथा खुम्बों को 2-3 दिन तक कमरे के तापमान पर रखा जा सकता है।
मशरूम उत्पादक द्वारा प्राप्त खुम्ब की उत्पादकता एवं गुणवत्ता खुम्ब की किस्म की आनुवंशिक संरचना और पर्यावरण जिसमें कि खुम्ब को उगाया गया है, पर निर्भर करती है। खुम्ब की किस्म का गुण, व्यवहार एवं उसकी उपज खुम्ब के सम्पूर्ण जीनों (जीनोटाइप) और पर्यावरण के मध्य अन्तः क्रियाओं का परिणाम होता है।
1) श्वेत बटन खुम्ब की प्रमुख उन्नत किस्में
1. एस-11
यह एक उच्च उत्पादनशील किस्म है जो कि पास्चुरीकृत एवं अपास्चुरीकृत दोनों ही प्रकार की खाद (कम्पोस्ट) पर अच्छी उपज देती है। इसकी औसत उपज क्रमशः 15-18 किलोग्राम एवं 8-10 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत एवं अपास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर क्रमशः 8-10 फलन सप्ताह में आती है। इस किस्म की प्रमुख गुण इस प्रकार हैंः लम्बा तना, पीलियस – स्टाइप अनुपात 2:17, जलवायु के प्रति सहनशीलता, खुम्ब फलनकायों की जल्दी खुलने की प्रवृत्ति इत्यादि।
2. एस-76
यह एक उत्पादनशील किस्म है जो कि अपास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर 8-9 किलोग्राम एवं पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर 14-16 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम कम्पोस्ट की दर से 8-10 सप्ताह में उत्पादन देती है। यह किस्म पीली फफूॅंद नामक रोग के प्रति रोगग्राही है।
3. एस-310
यह एक उत्पादनशील किस्म है जिसकी उत्पादकता अपास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर 7-9 किलोग्राम एवं पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर 14-18 किलोग्राम है। फलनकाय औसत दर्जे के तथा शीघ्र खुलने वाले होते हैं।
4. एस-79
यह एक उच्च फलनशील किस्म है जो कि पास्चुरीकृत एवं अपास्चुरीकृत दोनों ही प्रकार की कम्पोस्ट पर
अच्छा उत्पादन देती है। 8-10 सप्ताह में इसका उत्पादन अपास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर 8-9 किलोग्राम एवं
पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर 15-19 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम खाद पर पाया गया है। फलनकाय
सामान्यतः बड़ी एवं ठोस, तना एस-11 से छोटा एवं मोटा होता है।
5. एम.एस.-39
यह भी उच्च फलनशील किस्म है। इसकी उत्पादन क्षमता 8-10 सप्ताह में क्रमशः 8-9 किलोग्राम एवं
15-18 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम अपास्चुरीकृत एवं पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर क्रमशः पायी गयी है।
6. पी.-1
यह भी उच्च फलनशील किस्म है जिसमें अपास्चुरीकृत तथा पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर क्रमशः 6-8 किलोग्राम एवं 16-18 किलोग्राम मशरूम 8-10 सप्ताह में प्राप्त हो जाते हैं।
7. एन.सी.एस.-100
यह एक उच्च उत्पादनषील ‘एकल बीजाणु चयन‘ है। जो कि खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन, हि.प्र., द्वारा विकसित किया गया है। यह लघु विधि द्वारा तैयार कम्पोस्ट (पास्चुरीकृत खाद) पर उगााने हेतु उपयुक्त है तथा लम्बी विधि द्वारा तैयार खाद पर भी अच्छी पैदावार देती है। इसकी उत्पादन क्षमता 12-18 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर 8-10 सप्ताह में है। पहले फ्लश में अधिक उत्पादन होता है, फलनकाय ठोस, तने छोटे व औसत वजन 7.2 ग्राम होता है।
8. एन.सी.एस.-101
यह भी खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन, हि.प्र., द्वारा विकसित एक उच्च फलनशील ‘एकल बीजाणु चयन‘ है। यह पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर उगाने हेतु उपयुक्त है। इसके फलनकाय औसत दर्जे के, ठोस, औसत वजन 8.2 ग्राम, छोटा तना, पीलियस-स्टाइप अनुपात 2ः28 एवं अच्छी पश्च फसल गुणवत्ता वाले होते हैं। इस किस्म की अनुशंसा मैदानी भागों में शीत ऋतु में उगाने हेतु की गयी है। इसकी उत्पादन क्षमता 12-17 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट है।
9. हाॅसर्ट यू-1
यह एक उच्च फलनशील ‘संकर खुम्ब‘ है जिसका विकास नीदरलैण्ड में किया गया था। इसकी उत्पादन क्षमता 14-18 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट है। यह संकर किस्म नियंत्रित पर्यावरण में उगाने हेतु उपयुक्त है। यह कैनिंग के लिये सर्वोत्तम है। इसके फलनकाय औसत आकार एवं वजन के और सफेद रंग के होते हैं।
10. हाॅसर्ट यू-3
यह भी एक उच्च फलनषील ‘संकर खुम्ब‘ है। इसकी उत्पादन क्षमता 16-20 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट है। यह संकर किस्म नियन्त्रित पर्यावरण में उगााने हेतु उपयुक्त है। इनमें फलनकाय मध्यम आकार एवं वजन की होती है जो कि ताजे रूप में बेचने हेतु उपयुक्त है।
11. एन.सी.एच-102
यह एक उच्च फलनषील ‘संकर खुम्ब‘ है। इसका विकास खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन, हि.प्र., द्वारा किया गया है। यह संकर किस्म पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर मुख्यतः पहाड़ी भागों में उगाने हेतु अनुमोदित है। फलनकाय ठोस तथा छोटे एवं मोटे तने युक्त होती हैं। इस संकर खुम्ब की उत्पादन क्षमता 17-19 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट है।
2) ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन खुम्ब की उन्नत किस्में
1. एन.सी.बी.-6
यह एक उच्च फलनशील किस्म है जिसे खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन, हि.प्र., द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म में पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर सामान्यतः 12-15 किलोग्राम मशरूम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट 8-10 सप्ताह में प्राप्त होते हैं जो कि 2-3 फ्लशों में 80 प्रतिशत तक उग आते हैं। यह किस्म आभासी ट्रफल्स के प्रति सहिष्णु है। फलनकाय मध्यम आकार की तथा तना 3-5 सेंटीमीटर मोटा होता है।
2. एन.सी.बी.-13
यह भी उच्च फलनशील किस्म है जिसे किसानों के उगाने के लिये खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन, हिप्र., द्वारा लोकार्पित की गयी है। इसमें बड़े, ठोस एवं अच्छी गुणवत्ता के मशरूम आते हैं। इसकी उत्पादकता 12-16 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट है। यह किस्म आभासी ट्रफल्स के प्रति रोगग्राही है।
3. के-26
यह एक उच्च उत्पादनशील ‘संकर खुम्ब‘ है जिसका विकास नीदरलैंड में किया गया था। यह किस्म पास्चुरीकृत कम्पोस्ट पर औसतन 14-15 किलोग्राम मशरूम देती है। इसका तना की अपेक्षाकृत लम्बा होता है।
4. के-32
यह भी एक उच्च फलनशील संकर खुम्ब है तथा इसकी पैदावार 12-14 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट है। यह किस्म अच्छी गुणवत्ता की खुम्ब पैदा करती है जो कि कैनिंग के लिये उपयुक्त है। उपलब्ध किस्मों में खामिया (अवगुण) देश में प्रचलित श्वेत बटन खुम्ब की किस्मों में सामान्यतः निम्नलिखित अवगुण पाये गये हैं|
1.कम उत्पादकता
2. ज्यादा फसल (फलन) अवधि
3. खुम्ब की बीमारियों एवं कीड़ों के प्रति अवरोधक क्षमता का अभाव
4. पर्यावरण के विभिन्न अवयवों जैसे तापक्रम, आपेक्षिक आर्द्रता, कार्बन डाईआॅक्साइड इत्यादि के प्रति संवेदनशीलता।
भविष्य की आवश्यकताएं
खेती के लिये प्रचलित श्वेत बटन खुम्ब की किस्मों की उपज प्रायः 12-16 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम पास्चुरीकृत कम्पोस्ट है जो कि विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। इसलिये मशरूम की अधिक उपज देने वाली किस्मों/संकर खुम्बों के विकास की आवश्यकता है। कीट एवं बीमारीनाशक रसायनों के असंतुलित उपयोगों से अन्य फसलों की तरह मशरूम में भी हानिकारक कीड़ों एवं बीमारियों की नयी-नयी उपजातियों का उद्भव हुआ है। इसके अतिरिक्त प्रयुक्त रसायनों के अवशेष मशरूमों में पाये गये हैं। इसलिये अधिक उपज देने वाली किस्मों एवं संकर खुम्बों, जो कि रागों एवं कीटों के प्रति सहष्णु हों, को विकसित करने की जरूरत पर बल देना जरूरी है।
स्रोत-
- खुम्ब अनुसंधान निदेशालय