वेट बबल (गीला बुलबुला, माईकोगोन) का प्रबन्धन का प्रबंधन इस प्रकार करें:-
लक्षण
मुख्यता दो प्रकार के लक्ष्ण, खुम्ब में माईकोगोन का संक्रमण व बढ़ते हुए खुम्बों का टेडा-मेडा हो जाना है लेकिन जब तना बनने के बाद संक्रमण हो तो तना मोटा हो जाता है और टोपी में भी विकृति हो जाती है। कई बार खुम्ब के उपर सफेद फफूॅंद उग जाता है, जिस के कारण खुम्ब सड़ कर दुर्गन्ध पैदा करता है और सड़ते खुम्ब से पीला पानी टपकने लगता है। संक्रमित खुम्ब को बीच से काटने पर टोपी के नीचे काला घेरा नजर आता है। अगर संक्रमण, खुम्ब कलिकांए बनते समय हो तो खुम्ब का आकार टेडा-मेडा हो जाता है।
दायरा
यद्यपि गीला बुलबुला, श्वेत बटन खुम्ब का मुख्य रोग हैं परन्तु इस का प्रकोप ढ़ीगरी की कुछ प्रजातियाँ जैसे कि काबुली ढ़ीगरी व प. नेवरोडेनसिस पर भी पाया गया है।
फैलाव
इस बीमारी का फैलाव मुख्यताः केंसिग मिटटी के द्वारा होता है। इस का संक्रमण हवा, पानी या मक्ख्यिों द्वारा फैलता है। बीजाणु केंसिग मिटटी में तीन साल तक जीवित रहता है जो नई फसल में बीमारी फैलाता है।
प्रबन्धन
गीला बुलबुला खुम्ब मे भारी क्षति पहुंचाता है इस के प्रबन्धन के लिए कई प्रकार की विधियां अपनाई गई है। रसायनिक उपचार केंसिग के तुरन्त बाद, बिनोमाईल (0.1 प्रतिशत) के छिड़काव से इस बीमारी को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है। केंसिग के तुरन्त बाद और उसके नौंवे दिन बाद कारबेनडाजिम, बिनोमाईल या थयोफिनेट मिथाईल, सपोरगोन के छिड़काव से इस बीमारी को नियन्त्रित किया जा सकता है। बासामिड और वापाम (100 पी.पी.एम.) से भी इस बीमारी को रोका जा सकता है। केंसिग मिटटी को एक प्रतिशत फार्मेलीन से उपचारित करने से भी बीमारी को रोका जा सकता है। केसिंग के बाद 0.8 प्रतिशत फार्मेलीन के छिड़काव से भी इस बीमारी को रोका जा सकता है।
भौतिक उपचार
केसिंग मिटटी को भाप द्वारा 54.4 डिग्री सेल्सियस पर 15 मिनट तक उपचार करने से इस बीमारी को रोका जा सकता है। खुम्ब उत्पादन के समय, सक्रंमित बैगों को प्लास्टिक से ढकने से इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है। अच्छी खाद, केसिंग मिटटी का पाश्चूरीकरण और उत्पादन कक्षों का वाश्पीकरण करने से भी इस बीमारी को रोका जा सकता है। इस के अतिरिक्त अच्छी अवरोध शक्ति की प्रजाति उगाने से बीमारी को रोका जा सकता है। गीले बुलबुले के प्रकोप को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें:-
अवस्था १:- जब किसान के फार्म पर गीले बुलबुले का प्रकोप न हो रहा हो तो इस में
1. खुम्ब उत्पादक को चाहिए कि वह खाद एंव केंसिग मिटटी ऐसे स्थान से प्राप्त करें जहां पर इस बीमारी का प्रकोप न होता हो।
2. उत्पादन कक्ष में कम्पोस्ट के बैग रखने से पहले कमरे को अच्छी तरह साफ कर के 24 घण्टे पहले 2 प्रतिशत फार्मेलीन का छिड़काव करें तथा खिडकियां व दरवाजे बंद रखें।
3. उत्पादन कक्ष के बाहर भी चारों तरफ सफाई का विशेष ध्यान रखें तथा गाय, भैंस के गोबर के ढेर की तरफ से वायु को उत्पादन कक्ष में लाने का प्रावधान न हो।
4. केंसिग की परत डालने के तुरन्त बाद 0.1 प्रतिशत बेविस्टीन या वेनलेट या स्पोरगोन (सपोरटेक) के घोल का छिड़काव करें।
5. किसी भी मशरूम उत्पादक को जिस के फार्म पर गीले बुलबुले का प्रकोप हो उसको अपने उत्पादन कक्ष में प्रवेश न करने दें।
6. सभी औजारों तथा मशीनों को जिन्हें उत्पादन कक्ष के प्रयोग मे लाना हो तो उन्हें 2 प्रतिशत फार्मेलीन से उपचारित अवश्य करें।
7. जब भी खुम्ब की मक्खियां दिखाई दें तो उन की रोकथाम के लिए उचित कीटनाशकों या ट्रेप का प्रयोग करें ।
8. खुम्ब उत्पादन के दौरान फिर भी यदि कहीं गीले बुलबुले के लक्षण दिखाई पड़े तो उसे तुरन्त उठा कर फार्मेलीन के 2 प्रतिशत घोल में डालने के उपरान्त किसी गड्ढ़े में दबा दें। किसी भी अवस्था में गीले बुलबुले के लक्षण वाली खुम्ब को बैग पर न रहने दें। अन्यथा इस गीले बुलबुले पर सफेद जाला उत्पन्न जो कि इस बीमारी को बहुत ही आसानी से दूसरे बैगों को हाथों, मक्खियों, औजारों, हवा तथा पानी के छिड़काव द्वारा फैलने में सहायक होगें।
9. यदि गीले बुलबुले का प्रकोप एक या दो बैगों में ही दिखाई पडे़ तो उन बैगों को किसी दूसरे कमरे में रखदें या गड्ढे़ में दबा दें।
10. यदि गीले बुलबुले का प्रकोप हुआ हो तो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि थोड़ी भी कम्पोस्ट की मात्रा कहीं भी रास्ते में न गिरे|
अवस्था २ :- जब किसान के फार्म पर गीले बुलबुले का प्रकोप रहा हो तो इस में
1. सब से पहले खुम्ब उत्पादक यह सुनिश्चित करें कि उस की पिछले वर्ष सपेन्ट कम्पोस्ट का कोई भी भाग रास्तें में या प्रांगण में गिरा हुआ तो नहीं रह गया है। यदि है तो उसे उठा कर साफ करें तथा पिछले वर्ष की पूरी सपेन्ट कम्पोस्ट गड्ढे़ में डाली गई हो तथा मिट्टी से ढक दी गई हो।
2. खुम्ब उत्पादन में प्रयोग किए जाने वाले सभी औजारों का सही ढंग से उपचार करें।
3. खुम्ब उत्पादक खाद एंव केंसिग मिटटी उसी स्रोत से लें जहाॅं इस बीमारी का प्रकोप न हो।
4. उत्पादन कक्ष में बैग रखने से पहले उस की धुलाई, सफाई, सफेदी तथा 24 घण्टे पहले 2 प्रतिशत फार्मेलीन से उपचार करना न भूले।
5. बाकी ऊपर अवस्था-1 में दी गई पूर्ण सावधानियों का प्रयोग करे।
खाद और केसिग मिटटी बनाने वालों को सुझाव
प्रायः यह देखा गया है कि गीला बुलबुला दूर दराज स्थित किसान के उत्पादन कक्ष में भी पहुंच गया है जिस का मुख्य स्रोत संक्रमित खाद एंव केसिंग मिटटी है। अतः यह बहुत ही आवश्यक है कि खाद मिटटी बनाने वाले निम्नलिखित सावधानी बरतें।
1. खाद बनाने के लिए अच्छी व ताज़ा सामग्री का उपयोग करे।
2. खाद को हमेशा पक्के फर्श पर ही बनाएं।
3. खाद उत्पादक पाश्चूरीकरण चेम्बर में खाद की क्षमता के अनुसार ही भरे तथा यह सुनिश्चित करें कि चैम्बर का तापमान सही है।
4. खाद या केंसिग मिटटी के पाश्चूरीकरण के बाद केवल उपचारित औजारों का ही प्रयोग करें।
5. खाद निर्माण ईकाई के आस-पास साफ सफाई का ध्यान रखें।
6. संक्रमित खुम्ब, खुम्ब के तने के टुकडे व अन्य कूडा कर्कट लापरवाही से इधर-उधर न फैंके।
7. यह भी सुनिश्चित करें कि केंसिग मिट्टी सही तापमान पर सही समय के लिए पाश्चूरीकृत हो।
8. पाश्चूरीकरण के बाद केंसिग मिटटी का साफ जगह पर भण्डारण करें।
इस बीमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि खुम्ब उत्पादक सामूहिक रूप से ऊपर बताये गए तरीकों से प्रबन्धन करें। इस के अतिरिक्त जिन-जिन खुम्ब उत्पादकों ने खाद व केंसिग मिट्टी रोग रहित स्रोतों से प्राप्त की है तथा आस-पास किसी के भी गीले बुलबुले का प्रकोप नहीं हो। उन के फार्म पर गीला बुलबुला आने की कोई भी सम्भावना नहीं है।
खुम्ब उत्पादकों की विभिन्न समस्याओं पर विचार विमर्श हेतु खुम्ब अनुसंधान निदेशालय में समय-समय पर किसान गोष्ठियां तथा किसाने मेले आयोजित किए जा चुके है तथा इस बीमारी के विषय में कई बार चर्चा हो चुकी है। खुम्ब अनुसंधान निदेशालय खुम्ब उत्पादकों की समस्याओं के निदान के लिए जागरूक है। सभी किसानों का इस निदेशालय पर तकनीकी जानकारी तथा समस्याओं के समाधान के लिए स्वागत करता है।
Source
- Directorate of Mushroom Research