लहसुन की खेती / Garlic Farming

जलवायु :-

लहसुन को ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है वैसे लहसुन के लिये गर्मी और सर्दी दोनों ही कुछ कम रहे तो उत्तम रहता है अधिक गर्मी और लम्बे दिन इसके कंद निर्माण के लिये उत्तम नहीं रहते है छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिये अच्छे होते है इसकी सफल खेती के लिये 29.35 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 घंटे का दिन और 70% आद्रता उपयुक्त होती है |

भूमि एवं खेत की तैयारी :

 इसके लिये उचित जल निकास वाली दोमट भूमि अच्छी होती है। भारी भूमि में इसके कंदों का भूमि विकास नहीं हो पाता है। मृदा का पी. एच. मान 6.5 से 7.5 उपयुक्त रहता है|

बुवाई का समय :- 

लहसुन की बुवाई का उपयुक्त समय ऑक्टोबर – नवम्बर होता है।

अगर लहसुन की अगेती खेती करना चाहते है तो लहसुन की बुवाई सितम्बर माह से भी कर सकते है |

सितम्बर माह में की गई बुवाई में सबसे ज्यादा नेमेटोड्स का खतरा रहता है।क्यों कि इस समय भूमि में नमी की मात्र काफी होती है व् अन्य फसल की कटाई होती है नेमेटोड्स से निपटने के लिए खेत त्तेयर करते समय ही नेमेटोसाइड का इस्तेमाल करना चाहिय इसके अतिरिक्त सितम्बर माह में बुवाई गई फसल में उरिया का इस्तेमाल न करे इससे फसल के सुकने का ८०% खतरा रहता है क्यों किइस समय तापमान की अधिकता होती है नाईट्रोजन की पूर्ति के लिए कोई अन्य माध्यमका इस्तेमाल करे जेसे कैल्शियम नाइट्रेट|

नाईट्रोजन की अधिकता से फुटन जैसी समस्या रहती है |

जिस भूमि में लहसुन लगाना हो वहा बारिश में उड़द लगा देना चाहिये न की भूमि को खाली छोड़ना चाहिए उड़द की फसल में पैदावार अच्छी हो तो फसल ले लेना चाहिए अन्यथा उड़द को हरी खाद के रूप में इस्तमाल कर लेना चाहिए उड़द की जड़ो में राइजोबियम नोड्स पाए जाते है जो लहसुन की फसल के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होता है और उड़द की फसल जल्दी पक जाती है जिससे लहसुन की अगेती खेती करने में आसानी होती है |

लहसुन की किस्मे :-

किस्मे फसल उपज परिपक्वता समय अन्य
 

यमुना सफेद 1       (जी-1)

 

लगभग 150-160 क्विन्टल प्रति हेक्टयर हो जाती है।

150-160 दिनों में तैयार हो जाती है यमुना सफेद 1 (जी-1) इसके प्रत्येक शल्क कन्द ठोस तथा बाह्य त्वचा चांदी की तरह सफेद, कली क्रीम के रंग की होती है।
यमुना सफेद 2 (जी-50) 130 – 140 क्विन्टल प्रति हेक्टयर हो जाती है। 165-170 दिनों में तैयारी हो जाती है शल्क कन्द ठोस त्वचा सफेद गुदा , क्रीम रंग का होता है। । फसल । रोगों जैसे बैंगनी धब्बा तथा झुलसा रोग के प्रति सहनशील होती है।
यमुना सफेद 3 (जी-282) 175-200 क्विंटल / हेक्टेयर है 140-150 दिनों में तैयार हो जाती है इसके शल्क कन्द सफेद बड़े आकार ब्यास (4.76 से.मी.) क्लोब का रंग सफेद तथा कली क्रीम रंग का होता है। 15-16 क्लाब प्रति शल्क पाया जाता है। यह जाति । इसकी पैदावार 175-200 क्विंटल / हेक्टेयर है। यह जाति निर्यात की दृष्टी से बहुत ही अच्छी है
यमुना सफेद 4 (जी-323) 200-250 क्विंटल / हेक्टेयर है। 165-175 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके शल्क कन्द सफेद बड़े आकार (ब्यास 4.5 से.मी.) क्लोब का रंग सफेद तथा कली क्रीम रंग का होता है। 18-23 क्लाब प्रति शल्क पाया जाता है। यह जाति निर्यात की दृष्टी से बहुत ही अच्छी है

बिज एवं बुआई

लहसुन की बुवाई हेतु स्वस्थ्य एवं बड़े आकार की शल्क कंदों का उपयोग किया जाता है 5-6 क्विंटल प्रति हेक्टियेर बिज की आवश्यकता होती है शल्क कंद के मध्य सीधी कलियों का उपयोग बुवाई के लिए नही किया जाता है बुवाई पूर्व कलियों को मन्कोज़ेब + कार्बेंडजम 3 ग्राम  दवा के मिश्रण के घोल से उपचारित करना चाहिए लहसुन से लहसुन की दुरी 5-6 इंच तथा लाइन से लाइन की दुरी भी  5-6 इंच होनी चाहिए तथा 3-5 इंच गहराइ में गाड़कर उपर हल्की मिट्टी से ढक देना चाहिए |

 

खाद एवं उर्वरक :-

सामान्यत २०-२५ टन पकी गोबर की आवश्यकता होती है १०९ किलोग्राम डी.ए.पी. तथा ८३ किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है
पोटाश की आधी मात्रा अंतिम खेत जुताई के दोरान मिला देना चाहिए व् शेष मात्रा अंतिम दो सिचाई के दोरान मिला देना चाहिए जिससे भूमि मुलायम बनी रहती है व् कंद का विकास जल्दी व् बड़ा होता है|

नोट :- सामान्तया मध्य सितम्बर में बोई गई लहसुन जनवरी के प्रथम सप्ताह में पक कर तेयार हो जाती है अगर आपके पास पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो लहसुन की अंतिम सिचाई से पहले इसबगोल के बिज खेत में डाल कर अंतिम सिचाई कर देना चाहि|

ए इसके पश्चात लहसुन को उखाड़ लेना चाहिए व् इसबगोल की आवश्कता अनुसार सिचाई करना चाहिए इस समय बोई गई इसबगोल पर पानी और मोसम का प्रकोप नही रहता है क्यों की यह मार्च के अंत तक पक कर तेयार होती है इस प्रकार हम लहसुन की जगह तिन फसल ले सकते है|

 

Source-

  • greenkheti.blogspot.in

 

 

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