रागी (मडुआ) अफ्रीका और एशिया के सूखे क्षेत्रों में उगाया जाने वाला एक अन्न है। यह एक वर्ष में पक कर तैयार हो जाता है। यह मूल रूप से इथियोपिया के उच्च इलाकों का पौधा है एवं इसे भारत में चार हजार साल पहले लाया गया। ऊँचे इलाकों में अनुकूलित होने में यह काफी समर्थ है। हिमालय में यह २,३०० मीटर की ऊंचाई तक उगाया जाता है।
रागी की किस्में
किस्म |
उपज |
अवधि |
राज्य |
गुण |
जे.एन.आर.-852
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26-27 | 112-115 दिन | सम्पूर्ण भारत विशेषकर मध्य प्रदेश में |
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एच.आर-374
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20-22 | – | सम्पूर्ण भारत में |
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पी.आर.-202
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18-19 | 114-120 दिन |
– |
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जे.एन.आर-981-2 |
20 | 100 दिन | मध्य प्रदेश |
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जे.एन.आर-1008
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22 | 100-105 दिन | मध्य प्रदेश |
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खेत तैयारी
हल्की मिट्टी
- खेत की तैयारी मानसून आने के बाद करें।
- रागी किसी भी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है।
- खेत को दो बार हल और बखर से अच्छी तरह जुताई करना चाहिए
- विशेष पथरीली जमीन से पत्थरों को अलग कर मेड़ में रखना चाहिए।
मध्यम मिट्टी
- खेत की तैयारी मानसून आने के बाद करें।
- रागी किसी भी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है।
- खेत को दो बार हल और बखर से अच्छी तरह जुताई करना चाहिए।
- विशेष पथरीली जमीन से पत्थरों को अलग कर मेड़ में रखना चाहिए।
भारी मिट्टी
- खेत की तैयारी मानसून आने के बाद करें।
- रागी किसी भी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है।
- खेत को दो बार हल और बखर से अच्छी तरह जुताई करना चाहिए।
- विशेष पथरीली जमीन से पत्थरों को अलग कर मेड़ में रखना चाहिए।
रागी की बुवाई
बीज उपचार
- बीज को, मिट्टी और बीज से उत्पन्न होने वाले रोगों से बचाने के लिए उपचारित करना चाहिए।
- बीज को उपचारित करने के लिए 1 कि.ग्रा. बीज को 2.5 से 3 ग्राम कैपटन या थाईरम से उपचारित करना चाहिए।
- बीज उपचार का कार्य छाया में करना चाहिए।
- रागी में बीज शोधन से पूर्व बीज उपचारित करना चाहिए।
बीज शोधन
- एजोटोबेकटर्स या एजोस्पाईरिलम से बीजों निवेशन कर सकते है।
- गुड़ का एक लीटर का घोल बनाकर उसमें 150 ग्राम के 5 पैकेट निवेशक को अच्छी तरह मिला लें।
- 80-100 कि.ग्रा. बीजों पर छिड़के।
- कम मात्रा में बीजों को ले जिससे अच्छी तरह मिल जाए।
- हवा में छाया में सुखाए फिर तुरन्त बोनी कर दें।
- निवेशक की मात्रा बीज दर के अनुसार ही लें।
- निवेशक बीज को सूर्य की रोशनी और ताप से बचायें।
बीज दर और बोनी
- बीज की दर एवं बोने का तरीका उपयुक्त होना बहुत जरूरी है।
- ताकि अच्छी पौध संख्या उवं उपज हो।
- प्रमाणित और अच्छे अंकुरण क्षमता वाले बीजों का उपयोग करें।
- पंक्ति बोनी के लिए बीज दर 8-10 कि.ग्रा./हे. है और छिड़का बुआई के लिए 12-15 कि.ग्रा./हे
उर्वरक प्रबंधन
- अच्छी उपज के लिए असिंचित फसल में 60:40:30 नत्रजन फास्फोरस और पोटाश डालें।
- स्फुर और पोटाश की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा बोनी के पहले खेत में डालना चाहिए।
- शेष नत्रजन की मात्रा दो भागों में बांटकर एक भाग बोनी के 30 दिन बाद एवं दूसरी 50 दिन बाद देना चाहिए।
- वर्षा पर आधारित खेती में रसायनिक खाद की मात्रा 30:20:15 नत्रजन स्फुर और पोटाश क्रमश: डाले।
- सामान्यत: रसायनिक खाद को बीज से 8 से 12 से.मी गहराई पर बोये।
- बैन्ड पध्दति से रसायनिक खाद को डालना लाभकारी होता है।
- 5-10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद भी खेत में डाले।
सुझाव
- फसल की निम्नलिखित क्रान्तिक अवस्थाओं में नमी, पोषण,गर्मी, धूप और खरपतवार आदि के दबाव से बचाना चाहिए
- अकुंरण, कल्ले आने के पहले, फूले आने पर, फल्ली बनने और फल्ली पकने पर।
सिंचाई प्रबंधन
- रागी एक वर्षा आधारित फसल की तरह उगाई जाती है।
- यह खरीफ मौसम में उगाई जाती है और इसे सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- यदि मिट्टी में पर्याप्त नमी न हो और सिंचाई उपलब्ध हो तो कल्ले बनते समय सिंचाई करें।
खरपतवार प्रबंधन
- बुआई के 20-30 दिन के अन्दर एक बार हाथ से निदांई करना चाहिए।
- बुआई पश्चात् एवं अंकुरण पूर्व एट्रजिन 1 किलो सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से चौड़ पत्ती वाले ख्ररपतवारवार नहीं उगते है जिससे निंदाई की जरूरत नहीं पड़ती है।
रागी की कटाई एवं गहाई
कटाई
- रागी की कटाई बोनी के 125 से 130 दिन बाद करनी चाहिए।
- कटाई के लिए हंसिये का उपयोग सिर्फ बालों को या फिर जमीन से कुछ ऊपर से पौधों को काटने के लिए किया जाता है।
- टूटे हुए बालों को साफ खुले फर्श पर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है।
उड़ावनी
- गहाई किये बीजों को पावर चलित या हस्त चलित ( सूपा ) के द्वारा अलग किया जा सकता है।
गहाई
- जब बांधे गये बंडल सूख जाते है तब गहाई की जाती है जिससे दाने ढीले पड़ जाते है।
- यांत्रिक विधियों जैसे लट्टे से पीटना या बैल के पैरों के नीचे कुचलने के द्वारा गहाई की जाती है|
Source-
- mpkrishi.org