गुच्छी मशरुम उत्पादन / मोरेल मशरूम

चायनीज लोग इस मशरूम का इस्तेमाल सदियों से हीलिंग ( शारीरिक क्षय को ठीक करने ) हेतु करते आ रहे हैं और यह बात सबसे महत्वपूर्ण है की आज चीन इस प्रकार के मशरूम का सबसे बड़ा निर्यातक देश है | मोरेल मशरूम  में 32. 7 प्रतिशत प्रोटीन ,2 प्रतिशत फैट ,17. 6 प्रतिशत फायबर ,38 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट पाए जाते हैं | मोरेल मशरूम  से प्राप्त एक्सट्रेक्ट की तुलना डायक्लोफीनेक नामक आधुनिक  सूजनरोधी दवा से  की गयी है और इसे भी सूजनरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है |

मोरेल मशरूम   के प्रायोगिक परिणाम ट्य़ूमर को बनने से रोकने तथा कीमोथेरेपी के रूप में प्रभावी होने से सम्बंधित पाए गए हैं | मोरेल मशरूम   का औषधीय प्रयोग गठिया जैसी स्थितियों   उत्पन्न सूजन को कम करने हेतु किया जा  रहा  है| मोरेल मशरूम  के प्रयोग से प्रोस्टेट एवं स्तन कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है |मोर्सेला का उपयोग कामोत्तेजना को बढाने वाली औषधि के रूप में भी किया जाता है | मोरेल मशरूम से प्राप्त किये गये मेथोनोलिक एक्सट्रेक्ट  में प्रचुर मात्रा में एंटी-आक्सीडेंट गुण पाए गए हैं I

  • यह सामान्यतः खुली झाडियों, जंगलों या खुले मैदान में वसंत ऋतु की आखिरी में पाया जाता है।
  • इस फफूंद को एकत्रित करते समय उसमें से ज़हरीले ‘नकली मोरेल’, गईरोमित्रा एस्क्युलेन्टा को अलग करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।यह एक कीमती खुम्ब के रूप में माना जाता है।
  • इसकी खेती की तकनीकी को अभी तक मानकीकृत नहीं किया गया।

वैज्ञानिक नाम: मोरचेल्ला एस्क्युलेन्टा

सामान्य नाम: मोरेल, भारत में गुच्छी

सबस्टेट: बुरादों पर परीक्षणात्मक स्तर पर खेती

 

खेती का वातावरण

प्रतिमान स्पान-रन्निंग खुम्ब-विकास
तापमान 21-24°से 04-10°
आपेक्षेक आर्द्रता 85-90%
प्रकाश आवश्यक नहीं  8-10 घंटों तक*
वायु प्रवाह 5-7 प्रति घंटा
अवधि 10-14 दिन 10-12 दिन**

*बिखरे प्रकाशए  ** केसीगं के बाद

फसल चक्र – परीक्षणाधीन

उगाए जानेवाले प्रमुख क्षेत्र

विश्व: अमेरिका में परीक्षणात्मक खेती (पेटेंट प्राप्त)

भारत: जम्मू-कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश के जंगलों से एकत्रित।

 

Source-

  • Indian Institute of Horticulture Research
  • NBT-नवभारत टाइम्स

 

Show Buttons
Hide Buttons