मृदा स्वास्थ्य, मृदा संरक्षण एवं उर्वरक
(मिट्टी की हो नियमित जांच, न आये खेती पर आंच)
क्या करें ?
- मिट्टी की जांच के आधार पर सही उर्वरक उचित मात्रा में ही डालें ।
- मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बरकरार रखने के लिये जैविक खाद जरूर डालें।
- उर्वरकों के प्रयोग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने हेतु इनको छिड़कने की बजाय जड़ों के पास डालें ताकि उर्वरक का पूरा असर रहे।
- फाॅस्फेटिक उर्वरकों का विवेकपूर्ण और प्रभावी प्रयोग सुनिष्चित करें ताकि जड़ों/तनों का समुचित विकास हो तथा फसल समय पर पके, विषेष रूप से दलहनी फसलें, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिये वायुमंडलीय नाइट्रा्रेजन का उपयोग करती हैं।
- क्षारीय भूमि के सुधार के लिये जिप्सम और अम्लीय भूमि के लिये चूना का प्रयोग करें।
क्या पायें?
क्र0सं | सहायता का प्रकार | सहायता का पैमाना/अधिकतम सीमा | योजना/ घटक
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1. | तिलहनी फसलो हेतु जिप्सम की आपूर्ति | 50 प्रतिशत या अधिकतम 750/-रू. प्रति हेक्टेयर | राष्ट्रीय तिलहन मिशन
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2. | सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी वाले क्षेत्रों में इन तत्वों की आपूर्ति | 50 प्रतिशत या अधिकतम 500/-रू. प्रति हेक्टेयर, जो भी कम हो | राष्ट्रीय तिलहन मिशन |
3. | फार्मस फील्ड आधारित जैविक खेती प्रदर्शन | आदानों की 50 प्रतिशत लागत या अधिकतम रू. 2000/- प्रति प्रदर्शन (0.4 है.) बीज, जैव उर्वरक, फैरोमेन ट्रेप,लाइट ट्रेप, ट्राइकोडर्मा आदि हेतु | राज्य योजना |
4. | जैविक खेती को बढावा देने हेतु फार्मस फील्ड आधारित प्रषिक्षण | रू. 4000/- प्रति एफ.एफ.एस. (प्रदर्शन बोर्ड, प्रशिक्षण सामग्री, श्रव्य दृश्य यंत्र, संचार/ परिवहन, विषय विशेषज्ञों हेतु मानदेय आदि) | राज्य योजना
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5. | जैविक खेती को बढावा देने हेतु कृषकों को प्रोत्साहन राशि | रू. 8000/- प्रति है. (खरीफ/रबी) प्रमाणीकरण, पंजीयन शुल्क सहित 0.5 से 2 है. तक | राज्य योजना/ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना/ आर.ए.डी.पी.
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6. | फसल पद्धति प्रदर्शन आयोजन | अनाज, दलहन, ग्वार आधारित फसल पद्धति के लिए आदानों हेतु (बीज, उर्वरक, जैव उर्वरक आदि) अधिकतम रू.5000/- प्रति है. तथा तिलहन आधारित फसल पद्धति के लिए रू. 7500/- प्रति है. अधिकतम 2 है. | आर.ए.डी.पी.
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7. | वर्मी कम्पोस्ट इकाईयों की स्थापना | कृषकों के खेत पर वर्मी कम्पोस्ट इकाई की स्थापना पर अधिकतम रू. 2500/- प्रति इकाई की सहायता | राज्य योजना (उद्यान विभाग)
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8. | मिट्टी/ पानी तथा जिप्सम की मांग हेतु जांच | रू. 5 प्रति नमूना
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मिट्टी का स्वास्थ्य और उर्वरता प्रबंधन से संबंधित राष्ट्रीय परियोजना |
9. | सूक्ष्म पोषक तत्वों को बढ़ावा देने और वितरण हेतु | 50 प्रतिशत या अधिकतम 200/-रू. 0.4 हेक्टेयर के लिए, जो भी कम हो | राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
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10. | गेहूं की फसल में जिप्सम की आपूर्ति | 50 प्रतिशत या अधिकतम रू. 750/- प्रति है. अनुदान | राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- गेहूं
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11. | दलहनी फसलों में जिप्सम की | 50 प्रतिशत या अधिकतम रू. 750/- आपूर्ति प्रति है. अनुदान | राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- दलहन |
12. | गेहूं व दलहनी फसलों हेतु सूक्ष्म पौषक तत्व का उपयोग | 50 प्रतिशत या अधिकतम 500/-रू. प्रति हेक्टेयर, जो भी कम हो | राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन |
13. | जैव उर्वरकों को बढावा | राईजोबियम/ एजेक्टोबेक्टर पर रू. 3.25 प्रति पैकेट तथा पी.एस.बी. पर रू.4.00 प्रति पैकेट की दर से अनुदान
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आईसोपोम/ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन/ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
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14. | उद्यान फसलों में समन्वित पौषक तत्व प्रबंधन | प्रति लाभार्थी को अधिकतम 4.00 है. के लिए रू. 1000/-प्रति है. की दर से अनुदान | राष्ट्रीय बागवानी मिशन
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15. | मृदा सुधार कार्यक्रम | 50 प्रतिशत जिप्सम एवं ढैंचा बीज की लागत सहित अधिकतम रू. 8500/-प्रति है. | राष्ट्रीय कृषि विकास योजना / एनएमएसए |
नोट: – जिप्सम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना/एनएमएसए योजना के तहत क्षारीय भूमि सुधार हेतु एवं पोषक तत्व के रूप में राष्ट्रीय तिलहन मिशन योजना अन्तर्गत तिलहनी फसलों हेतु तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना अन्तर्गत गेंहू व दलहनी फसलों के लिए किसानों जिलेवार निर्धारित दर का 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।
किससे सम्पर्क करें?
क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक/ सहायक कृषि अधिकारी/ सहायक निदेषक कृषि विभाग/उपनिदेषक कृषि/आत्मा/ उद्यान विभाग से सम्पर्क करें।
स्रोत-
- किसान पोर्टल, भारत सरकार