मृदा स्वास्थ्य, मृदा संरक्षण एवं उर्वरक-राजस्थान

मृदा  स्वास्थ्य,  मृदा  संरक्षण एवं उर्वरक

(मिट्टी की हो नियमित जांच, न आये खेती पर आंच)

क्या करें ?
  •  मिट्टी की जांच के आधार पर सही उर्वरक उचित मात्रा में ही डालें ।
  • मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बरकरार रखने के लिये जैविक खाद जरूर डालें।
  • उर्वरकों के प्रयोग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने हेतु इनको छिड़कने की बजाय जड़ों के पास डालें ताकि उर्वरक का पूरा असर रहे।
  • फाॅस्फेटिक उर्वरकों का विवेकपूर्ण और प्रभावी प्रयोग सुनिष्चित करें ताकि जड़ों/तनों का समुचित विकास हो तथा फसल समय पर पके, विषेष रूप से दलहनी फसलें, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिये वायुमंडलीय नाइट्रा्रेजन का उपयोग करती हैं।
  • क्षारीय भूमि के सुधार के लिये जिप्सम और अम्लीय भूमि के लिये चूना का प्रयोग करें।

 

क्या पायें?
क्र0सं सहायता का प्रकार सहायता का पैमाना/अधिकतम सीमा योजना/ घटक

 

1. तिलहनी फसलो हेतु जिप्सम की आपूर्ति 50 प्रतिशत या अधिकतम 750/-रू. प्रति   हेक्टेयर राष्ट्रीय तिलहन मिशन

 

2. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी वाले क्षेत्रों में इन तत्वों की आपूर्ति 50 प्रतिशत या अधिकतम 500/-रू. प्रति हेक्टेयर, जो भी कम हो राष्ट्रीय तिलहन मिशन
3. फार्मस फील्ड आधारित जैविक खेती प्रदर्शन आदानों की 50 प्रतिशत लागत या अधिकतम रू. 2000/- प्रति प्रदर्शन (0.4 है.) बीज, जैव उर्वरक, फैरोमेन ट्रेप,लाइट ट्रेप, ट्राइकोडर्मा आदि हेतु राज्य योजना
4. जैविक खेती को बढावा देने हेतु फार्मस फील्ड आधारित प्रषिक्षण रू. 4000/- प्रति एफ.एफ.एस. (प्रदर्शन बोर्ड, प्रशिक्षण सामग्री, श्रव्य दृश्य यंत्र, संचार/ परिवहन, विषय विशेषज्ञों हेतु मानदेय आदि) राज्य योजना

 

5. जैविक खेती को बढावा देने हेतु कृषकों को प्रोत्साहन राशि रू. 8000/- प्रति है. (खरीफ/रबी) प्रमाणीकरण, पंजीयन शुल्क सहित 0.5 से 2 है. तक राज्य योजना/ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना/ आर.ए.डी.पी.

 

6. फसल पद्धति प्रदर्शन आयोजन अनाज, दलहन, ग्वार आधारित फसल पद्धति के लिए आदानों हेतु (बीज, उर्वरक, जैव उर्वरक आदि)  अधिकतम रू.5000/- प्रति है. तथा तिलहन आधारित फसल पद्धति के लिए रू. 7500/- प्रति है. अधिकतम 2 है. आर.ए.डी.पी.

 

7. वर्मी कम्पोस्ट इकाईयों की स्थापना कृषकों के खेत पर वर्मी कम्पोस्ट इकाई की स्थापना पर अधिकतम रू. 2500/- प्रति      इकाई की सहायता राज्य योजना (उद्यान विभाग)

 

8. मिट्टी/ पानी तथा जिप्सम की मांग हेतु जांच रू. 5 प्रति नमूना

 

मिट्टी का स्वास्थ्य और उर्वरता प्रबंधन से संबंधित राष्ट्रीय परियोजना
9. सूक्ष्म पोषक तत्वों को बढ़ावा देने और वितरण हेतु 50 प्रतिशत या अधिकतम 200/-रू. 0.4 हेक्टेयर के लिए, जो भी कम हो राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

 

10. गेहूं की फसल में जिप्सम की आपूर्ति 50 प्रतिशत या अधिकतम रू. 750/- प्रति है. अनुदान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- गेहूं

 

11. दलहनी फसलों में जिप्सम की 50 प्रतिशत या अधिकतम रू. 750/- आपूर्ति प्रति है. अनुदान राष्ट्रीय खाद्य      सुरक्षा मिशन- दलहन
12. गेहूं व दलहनी फसलों  हेतु सूक्ष्म पौषक तत्व का उपयोग 50 प्रतिशत या अधिकतम 500/-रू. प्रति हेक्टेयर, जो भी कम हो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
13. जैव उर्वरकों को बढावा राईजोबियम/ एजेक्टोबेक्टर पर रू. 3.25 प्रति पैकेट तथा पी.एस.बी. पर रू.4.00 प्रति पैकेट की दर से अनुदान

 

आईसोपोम/ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन/ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

 

14. उद्यान फसलों में समन्वित पौषक तत्व प्रबंधन प्रति लाभार्थी को  अधिकतम 4.00 है. के लिए रू. 1000/-प्रति है. की दर से अनुदान राष्ट्रीय बागवानी मिशन

 

15. मृदा सुधार कार्यक्रम 50 प्रतिशत जिप्सम एवं ढैंचा बीज की      लागत सहित अधिकतम रू. 8500/-प्रति है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना / एनएमएसए

 

नोट: –  जिप्सम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना/एनएमएसए योजना के तहत  क्षारीय भूमि सुधार  हेतु एवं पोषक तत्व के रूप में राष्ट्रीय तिलहन मिशन  योजना अन्तर्गत  तिलहनी फसलों हेतु तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना अन्तर्गत गेंहू व दलहनी फसलों के लिए किसानों जिलेवार निर्धारित दर का 50 प्रतिशत अनुदान  उपलब्ध कराया जाता है।

 

किससे सम्पर्क करें?

क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक/ सहायक कृषि अधिकारी/ सहायक निदेषक कृषि विभाग/उपनिदेषक कृषि/आत्मा/ उद्यान विभाग से सम्पर्क करें।

 

स्रोत-

  • किसान पोर्टल, भारत सरकार
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