मूल्य सवंर्धित उत्पाद शुष्क क्षेत्रों में वरदान

कृषि में यह आधुनिकता का दौर है जो किसान नवाचार और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाते हैं वो उन्नति की ओर बढ़ जाते हैं । शुष्क क्षेत्रों में कृषि  एक दूभर कार्य है, और कई बार मानसून की अनियमितता के कारण लाभप्रद भी नहीं है । किन्तु जो किसान यहां जमीन लेकर बैठे हैं उनके लिए तो उससे आमदनी प्राप्त करना जरूरी है । यदि वर्षा आधारित बेर, अनार, गून्दे के बगीचे एक बार पनप जाए तो 20 से 25 साल तक सतत् आमदनी का साधन किसान को मिल जाता है । इसके लिए आवश्यक है कि कृषि को एक व्यवसाय के रूप में विकसित करना होगा, जहां लागत मूल्य और आमदनी का उचित तालमेल हो ।

किसान भाई अच्छे बीज, खाद ( जैविक एवं रासायनिक ), वर्षा जल संरक्षण, मिट्टी की समय समय पर जांच, उन्नत शंस्य तकनीकियां, कीट एवं व्याधि नियंत्रण तकनीकियों के साथ खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धित उत्पादन भी बना सकते हैं ।
कृषि में आजकल खाद्य प्रसंस्करण से अच्छी आमदनी ली जा सकती है । क्योंकि धीरे-धीरे भारतीय समाज व्यावसायिकता एवं वैश्वीकरण की ओर आकर्षित हो रहा है । कृषि से अलग कई क्षेत्रों में आधुनिकता की दौड़ में खान-पान, वस्त्र-परिधान और रहवासीय क्षेत्र में बदलाव आ रहा है । युवा पीढ़ी अब कृषि की ओर कम और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अपना भविष्य अधिक खोजती है । अतः आवश्यकताएं और आमदनी दोनों परिवर्तित हो रहे हैं । किसान भाइयों के लिए यह एक सुनहरा मौका है जब प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धित उत्पादों की मांग बाजार में बढ़ रही है तो अपने कृषि उत्पादों को स्वयं मूल्य संवर्धित कर ऊँचे दामों में बेंच लें ।

खाद्य प्रसंस्करण दो प्रकार से संभव है

1.    आधुनिक मशीनों द्वारा उत्पादन

2.    महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा ग्रामीण स्तर पर उत्पादन ।

आधुनिक मशीनों द्वारा उत्पादन तो बड़े किसान ही कर पायेंगे किन्तु ग्रामीण स्तर पर स्वयं सहायता समूह द्वारा एक जुट होकर उत्पादन करने से लाभांश कई गुणा बढ़ जाता है । प्रसंस्करण के कई तरीके होते हैं

1.    सुखाना

2.    कम तापक्रम पर संरक्षण करना

3.    शक्कर द्वारा संरक्षण

4.    न्मक द्वारा संरक्षण

5.    रासायनिक पदार्थों द्वारा संरक्षण

6.    अम्ल द्वारा संरक्षण

सुखाना

नमी किसी भी खाद्य पदार्थ के खराब होने का पहला कारण है । क्योंकि नमी होने से जीवाणु बहुत हल्दी पनप जाते हैं । सभी प्रकार की सब्जियां सुखाकर रखी जा सकती हैं । सब्जियों की नैसर्गिक सुगंध व रंग को ज्यों का त्यों रखने के लिए ब्लांचिंग बहुत अच्छा तरीका है । सब्जियों को धोकर बड़े टुकड़े काट कर एक साफ कपड़े में बांध लें । एक बड़े बर्तन में ठण्डा पानी भरकर रख लें । एक और बर्तन में पानी लेकर गर्म करने के लिए रख दें । जब पानी खौलने लगे तो उसमें सब्जी की पोटली एक मिनट के लिए डाल दें । एक मिनट बाद पानी से निकाल कर ठण्डे पानी में 4-5 मिनट तक डाल दें ।

ऐसा करने से रासायनिक क्रियाएं और एन्जाईम अपना कार्य करना बंद कर देते हैं, और रंग और सुगंध सब्जी में रह जाती है । अब सब्जियों को धूप में सुखा लें ।सूखने पर डिब्बों में बंद करके पूरे सीजन में प्रयोग कर सकते हैं । सूखी हुई सब्जियां बाजार में आसानी से 150-200 रूपये किलो तक बिकती है । कम तापक्रम पर संरक्षण करना यदि फल व सब्जियो को कम तापक्रम पर यानी फ्रिज में रखा जाए तो जीवाणु क्रियाशील नहीं रहते व भोजन खराब नहीं होता । घरों में रेफ्रिजरेटर और दुकानों पर डीप फ्रीजर इसलिए ही रखे जाते है । किन्तु इसमें भी यदि बिजली की सप्लाई अनियमित हो तो रखे हुए पदार्थ खराब हो जाते हैं । साथ ही इन उपकरणों से बिजली की खपत व खर्च बढ़ जाते हैं ।

 

शक्कर द्वारा संरक्षण

यदि किसी भोज्य पदार्थ में शक्कर की मात्रा 66 प्रतिशत या इससे अधिक है तो वह पदार्थ खराब नहीं होते हैं । जैसे जैम, जैली मुरब्बा बना कर हम फलों का संरक्षण कर सकते हैं ।

 

नमक द्वारा संरक्षण

यदि किसी भोज्य पदार्थ में नमक की मात्रा 16-20 प्रतिशत है तो भोजन की गुणवत्ता बनी रहती है । अचार आदि इस सिद्धान्त पर तैयार किये जाते हैं ।

 

रासायनिक पदार्थों द्वारा संरक्षण

सोडियम बेंजोएट व पोटेशियम मेटा बाई सल्फाइट की 0.8 ग्राम प्रति किलो तैयार पदार्थ में मात्रा में मिलाने से खाद्य पदार्थ खराब नहीं होते हैं।

 

अम्ल द्वारा संरक्षण

यदि फल व सब्जियो को कम तापक्रम पर यानी फ्रिज में रखा जाए तो जीवाणु क्रियाशील नहीं रहते व भोजन खराब नहीं होता । घरों में रेफ्रिजरेटर और दुकानों पर डीप फ्रीजर इसलिए ही रखे जाते है । किन्तु इसमें भी यदि बिजली की सप्लाई अनियमित हो तो रखे हुए पदार्थ खराब हो जाते हैं । साथ ही इन उपकरणों से बिजली की खपत व खर्च बढ़ जाते हैं ।

 

शक्कर द्वारा संरक्षण

यदि किसी भोज्य पदार्थ में शक्कर की मात्रा 66 प्रतिशत या इससे अधिक है तो वह पदार्थ खराब नहीं होते हैं । जैसे जैम, जैली मुरब्बा बना कर हम फलों का संरक्षण कर सकते हैं ।

 

नमक द्वारा संरक्षण

यदि किसी भोज्य पदार्थ में नमक की मात्रा 16-20 प्रतिशत है तो भोजन की गुणवत्ता बनी रहती है । अचार आदि इस सिद्धान्त पर तैयार किये जाते हैं ।

 

रासायनिक पदार्थों द्वारा संरक्षण

सोडियम बेंजोएट व पोटेशियम मेटा बाई सल्फाइट की 0.8 ग्राम प्रति किलो तैयार पदार्थ में मात्रा में मिलाने से खाद्य पदार्थ खराब नहीं होते हैं।

 

अम्ल द्वारा संरक्षण

किसी भोज्य पदार्थ में 1 प्रतिशत अम्लता है तो व भोजन खराब नहीं होता है । शुष्क क्षेत्रों में पाये जाने वाले फल व सब्जियों के संरक्षित करने की विधियाँ यहां बताई जा रही है । इन पदार्थों को बनाने का प्रशिक्षण काजरी द्वारा समय-समय पर आयोजित किया जाता है । इच्छुक व्यक्ति यहां सात दिवसीय प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर सकते हैं । यह प्रशिक्षण निःशुल्क दिया जाता है ।

यह उत्पाद बाजार में दुगुने से तिगुना मूल्य दिलवा सकते हैं । यदि घरेलु स्तर पर भी परिवार के लोग मिल जुलकर मूल्य संबंर्धित उत्पादों को बनायें तो लागत का दोगुना लाभ मिल सकता है । प्रसंस्करण के लिए आवश्यक उपकरण जैसे बर्तन, पैकिजिंग करने वाले यंत्र तथा अन्य खुदरा सामग्री प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के 4-5 वर्षों में मूलभूत लागत की कीमत अदा कर देते हैं । महिलाओं के लिए प्रसंस्करण के द्वारा मूल्य संवर्धित उत्पाद बना कर कृषि में नवाचार से क्रान्ति लाई जा सकती है ।

 

स्रोत-

  • निदेशक, केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान ,जोधपुर- 342 003

 

 

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