मूंगफली की किस्में

भारत में मूंगफली एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है । मूंगफली उत्पादक राज्यों में गुजरात, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान का मुख्य स्थान है ।  मूंगफली सभी वर्गों के लोगों द्वारा पसंद की जाती है तथा संतुलित आहार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । मूंगफली का भूसा पालतू जानवरों के लिए स्वादिष्ट एवं पोषक तत्वों से भरपूर चारे का स्त्रोत है । मूंगफली की खली जानवरों को खिलाने और जैविक खाद के रूप में काम में ली जाती है । वर्तमान में मूंगफली से विभिन्न प्रकार के परिष्कृत खाद्य पदार्थ बनाये जाने लगे हैं जिनकी बाजार में बहुत माँग  है । मूंगफली का छिलका जलाने के काम में या जैविक खाद बनाने के काम में भी लिया जाता है

 

मूंगफली की किस्में

किस्म
पकने की अवधि(दिन)
औसत उपज(क्विंटल प्रति हेक्टर)
विशेषताएं
एचएनजी-१० १२५-१३० २०-२५ १९९९ में अधिसूचित,ऐसे क्षेत्र जहाँ अच्छी वर्षा होती हो या फिर जीवन रक्षक सिंचाई उपलब्ध हो,के लिए उपयुक्त अर्द्ध विस्तारी किस्म है,दाने का रंग भूरा|
जीजी-२ १२०-१२५ २५-३० १९८५ में अधिसूचित,पौधा छोटा अधिक फैलाव व गुच्छेदार होता है,फलियाँ मध्यम आकार की एक दो बीज वाली होती है,बीज मध्यम गोलाई वालेगुलाबी रंग के होते है|
प्रकाश ११५-१२० २२-२३ १९९९ में अधिसूचित,राज्य के सिंचित व बारानी क्षेत्र के लिए उपयुक्,दो बीज वाली,जालीयुक्त बोल्ड मूंगफली,मध्य विस्तारी गहरी हरी पत्तियां,पौधा २०-२५ से.मी. ऊँचा|
जीजी-७ ९०-१०५ २१-२९ वर्ष २००१ में अधिसूचित,जीजी-२ के स्थान पर दक्षिण राजस्थान के बारानी असिंचित क्षेत्रो मेंखरीफ में उपयुक्त,मूंगफली मध्यम एवं चोंच युक्त कुछ मुड़ी हुई|प्रतिफली दो गुलाबी दाने,फली व दाना जीजी-२ से कुछ बड़ा,टिक्का रोगरोधित|
जेएल-२४ ९०-९९ १८-२० १९८३ में अधिसूचित,गुच्छे वाली यह किस्म लम्बी एवं काफी अच्छी फुटन वाली,पौधों की ऊँचाई करीब ४० से.मी. एक फली में दो दाने,परन्तु तीन दाने भी मिल सकते हैं|दाने मध्यम आकार के एवं गुलाबी होते है|
एम-१३ १४०-१४५ २६-२७ १९७८ में अधिसूचित,यह फैलने वाली किस्म,फली मोटी एवं साफ़ दिखने वाली जाल वाली,फली में तीन तक दाने होते है|दाने हलके गुलाबी रंग के एवं मोटे होते है|
गिरनार-२ १२१-१३५ २०-२५ २००८ में अधिसूचित,यह गुच्छे वाली मोटे दाने वाली,रतुआ एवं लेट ब्लाइट(धब्बा रोग) के प्रति सहनशील|
टीबीजी-३९ ११८-१२५ १८-२० २००७ में अधिसूचित|यह मध्यम फैलने वाली तथा दाने बड़े आकार के होते है|
आरजी-३८२ ११५-१२० १८-२२ २००५ में अधिसूचित|यह फैलने वाली किस्म तथा दाने बड़े आकार के होते है|
आरजी-४२५ १२०-१२५ १८-३६ २०११ में अधिसूचित,यह मध्यम फैलने वाली किस्म,सूखा के प्रति सहनशील एवं कलर रोट के प्रति रोगरोधी है|
टीजी-३७ए १२२-१२५ १८-२० २००४ में अधिसूचित|यह कम फैलने वाली तथा दाने छोटे आकार के होते है|
एचएनजी-६९ ११८-१२५ २५-२८ २०१० में अधिसूचित|यह कलर रोट,तना गलन के प्रति रोगरोधी एवं जल्दी ब्लाइट (धब्बा रोग) के प्रति सहनशील|

 

 

Source-

  • Central Arid Zone Research Institute
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