मिर्च की खेती-मध्यप्रदेश

पौष्टिकता की दृष्टि से मिर्च विटामिन एवं खनिज लवणों का स्त्रोत है । इसके फल विटामिन A व C से भरपूर होते हैं । मिर्च का तीखापन उसमें उपस्थित एल्कालाॅयड कैपसाइसिन के कारण होते हैं । मध्यप्रदेश की भूमि, जलवायु एवं वर्षा मिर्च उत्पादन के लिए उपयुक्त है ।

मिर्च की उन्नत किस्में

१.जवाहर मिर्च -218

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा वर्ष 1987 में विकसित की गई इस किस्म के फल 10-12 से.मी. लम्बे एवं 2.5 से 3 से.मी. एवं 2.5 से 3 से.मी. मोटे चमकदार, आकर्षक, तेज लाल रंग के होते हैं । चुर्रा-मुर्रा के प्रति सहनशील होते हैं । औसत उपज 18-22 क्विंटल (लाल सूखी मिर्च), मध्यप्रदेश के अनुशंसित है ।

२.पंत सी – 1

गोविन्द वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पन्त नगर द्वारा 1977 में विकसित की गई । फसल 6.9 से.मी. लम्बे, 2.9 से.मी. व्यास के चिकने एवं सीधे खड़े होते हैं । फल कच्ची अवस्था में हरे एवं पकने पर गहरे लाल रंग के होते हैं । विषाणु के प्रति सहनशील होते हैं । औसत उपज 15 क्विंटल (लाल सूखी मिर्च) प्रति हेक्टेयर है । सम्पूर्ण भारत के लिए अनुशंसित है ।

३.पूसा ज्वाला

कृषि अनुसंधान, नई दिल्ली द्वारा 1989 में विकसित । फल सीधे 6 – 8 से.मी. लम्बे होते हैं । विषाणु के प्रति सहनशील हैं । औसत उपज 15 – 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर । यह किस्म सम्पूर्ण भारत के लिए अनुशंसित है ।

४.के. ए.-2 ( काशी अनमोल )

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकसित की गई है । पौधे छोटे बढ़वार वाले तथा छातानुमा । फल ठोस, सीधे 6-7 से.मी. लम्बे एवं 1 से.मी. मोटे । अधिक भण्डारण क्षमता एवं आकर्षक फल होने के कारण इस प्रजाति के हरे फल की कीमत अन्य किस्मों में ज्यादा मिलती है । रोपाई के मात्र 45 – 50 दिनों बाद प्रथम तुड़ाई प्राप्त हो जाती है, जो अन्य किस्मों में 15-20 दिनों पहले होती है । इस प्रजाति से 6-8 तुड़ाई, 10-12 दिनांे के अन्तराल पर ली जा सकती है । हरे फल उत्पादन के लिए यह एक उत्तम किस्म है । हरे फल का उत्पादन लगभग 250 तथा सूखे फलों की पैदावार 70 क्विंटल /हैक्टेयर मिल जाता है । मिल जाता है । यह किस्म पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखण्ड के लिए अनुशंसित की गई है ।

५.अर्का लोहित

फल मध्यम मोटाई के अत्यधिक तीखे होते हैं । हरी एवं लाल मिर्च दोनों के लिए उपयोगी है । चूर्णित आसिता रोग के प्रति सहनशील है । औसत उपज 30 क्विंटल ( लाल सूखी मिर्च ) प्रति हेक्टेयर एवं 250 क्विंटल ( हरी मिर्च )

६.अर्का सुफल

यह किस्म 2002 में विमोचित की गई है । फल हरे रंग के चिकने, मध्यम लम्बे ( 6-7 लम्बे से.मी.) पकने में गहरे लाल रंग के होते हैं । भभूतिया रोग के प्रति सहनशील । औसत उपज 250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर ( हरी मिर्च ) एवं 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर ( सूखी मिर्च ) यह किस्म मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के लिए अनुशंसित ।

 

बीज दर

एक हेक्टयर में ओ.पी. किस्मों के लिए 500 से 600 ग्राम एवं संकर किस्मों के लिए 200 से 225 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है ।

 

पौध तैयार करने के तकनीक

सबसे पहले पौध ट्रे कोकोपीट से भर दें । यदि वर्मी कम्पोस्ट को उपयोग करना हो तो बराबर अनुपात में बालू को मिला दें । एक 98 कोश की ट्रे को भरने के लिए 1.25 कि.ग्रा. कोकोपीट की आवश्यकता होती है । कोश के बीचों-बीच से.मी. गहरा अंगुली या डिबलर से छेद किया जाता है । हर कोश में बीज बोने के बाद कोकोपीट से ढंक दें । यदि पर्याप्त मात्रा की नमी वाले कोकोपीट को प्रयोग किया जाता है तो बीज को बोने से पूर्व या बाद में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है । एक के ऊपर एक 10 ट्रे  3-6 दिनों ( 1 हेक्टेयर में 90 X 60 X 60 से.मी. की दूरी से पंक्तियों में रोपाई के लिए 23.334 सीडलिंग की आवश्यकता होगी और 238 प्रो ट्रे की जरूरत होगी ) के लिए रखें ।

ट्रे को पाॅलीथिन की चादर से ढंक दिया जाता है । ऐसा करने से नमी संरक्षित रहती है । तथा थोड़ी उष्णता भी बढ़ती है जो बीजों के अंकुरण में सहायक होती है । जब बीजों में अंकुरण होने लगे तब पौध ट्रे को प्रति दिन होस पाईप या फब्बारे से पानी दें । बीजों को बोने के बाद दो बार 12 और 20 दिन के अन्तर पर 3 ग्राम की दर से घुलनशील उर्वरक ( 19ः19ः19 प्रत्येक नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश एवं सूक्ष्म तत्व ) का पौध के ऊपर छिड़काव करें । पौध को वर्षा से सुरक्षित रखने के लिए बेड पर बनाये आर्च को पाॅलीथिन से ढंक दिया जाता है ।

 

पौधे की हार्डेनिंग ( अनुकूलन )

ट्रे में पैदा की गई पौध की हार्डेनिंग की जाती है । इसमें पौधे के ऊपर से छाया एक सप्ताह पूर्व हटा दी जाती है तथा इनकी नियमित सिंचाई रोक दी जाती है ।

 

रोपाई का समय एवं विधि

मध्य प्रदेश के जिलों में मिर्च की रोपाई का उपयुक्त समय मानसून के प्रारंभ ( 25 जून से 5 जुलाई ) में होता है । जब पौध 35 – 40 दिन की 10 – 15 से. मी. ऊँचाई की हो जावे तब तैयार किए गए खेतों में पंक्तियों में रोपाई करें । ओ.पी. किस्मों को 45 – 60 ग 5 से.मी. की दूरी पर रोपण करें । रोपण के पूर्व पौध की जड़ों को कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में 30 मिनट तक डुबो कर रोपण करने से फफूंद जनित रोगों के रोकथाम में मदद मिलती है|

 

खरपतवार प्रबंधन

मिर्च में पहली निंदाई 20 – 25 दिन बाद दूसरी निंदाई 35 – 40 दिन बाद करें । फूल आने की अवस्था में निराई – गुड़ाई कम से कम करें, इससे फूल एवं फल गिरते हैं । सिंचाई के दो – तीन दिन बाद निराई – गुड़ाई करना चाहिए । इससे मृदा में नमी अधिक दिनों तक बनी रहती है । खरपतवारों की अधिक सघनता, लगातार वर्षा एवं मजदूरों की कमी होने की स्थिति में रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है । इसके लिए फ्लक्लोरालिन 1 लीटर सक्रिय तत्व य पेन्डीमिथालीन 1 लीटर सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई से पूर्व 500 – 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने पर खरपतवारों की रोकथाम हो जाती है ।

 

मिर्च तुड़ाई में सावधानियाँ

  • हरी मिर्च बेचना है तो तोड़ते समय यह सावधानी रखें कि फूलों एवं अविकसित मिर्च के ऊपर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े । हरी मिर्च की तुड़ाई 6 से 8 बार औसतन 5 से 6 दिनों के अन्तर से करनी चाहिए ।
  • ग्रीष्म एवं शीत ऋतु की मिर्च पकने पर सुखाकर बेंचते हैं । कभी – कभी अचार वाली जातियों को गीला बेचने हेतु तोड़ लिया जाता है ।
  •  सामान्यतः मिर्च में 3 से 6 तुड़ाई होती है । आमतौर पर मिर्च को प्रायः सूर्य की रोशनी में सुखाते हैं ।
  • मिर्च को सुखाने के लिए प्रत्येक मौसम में जमीन को समतल करके सुखाने के उपयोग में लाया जाता है ।
  • स्वच्छ अच्छी गुणवत्ता वाली मिर्च के लिए पक्के प्लेटफार्म या तिरपाल या प्लास्टिक क उपयोग फलों को सुखाने के लिए किया जाता है ।
  •  तुड़ाई उपरान्त मिर्च की फलियों को ढेर के रूप में एक रात के लिए रखते हैं, जिससे आधे पके फल पक जाते हैं और सफेद मिर्च की संख्या कम हो जाती है ।
  •  दूसरे दिन मिर्च को ढेर से उठाकर सुखाने के स्थान पर 2 – 3 इंच मोटी परत में फैला देते हैं ।
  •   इस तरह दो दिन के बाद प्रत्येक दिन सुबह मिर्च को उलटने – पलटने से सूर्य का प्रकाश हर पर्त पर समान रूप से पड़ता है ।
  •  सूर्य के प्रकाश में शीध्र और समान रूप से मिर्च को सुखाने के लिए 10 – 25 दिन लगते है ।
  • सौर ऊर्जा से चलने वाली मशीन का उपयोग भी मिर्च सुखाने के लिए किया जाता है । इससे केवल 10 – 12 घण्टे मेें मिर्च को सुखाया जाता है ।
  •    सौर ऊर्जा द्वारा सुखायी गई मिर्च अच्छे गुणों वाली होती है ।

 

स्रोत-

  • जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय ,जबलपुर,मध्यप्रदेश

 

 

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