भोजन को सुवास बनाने, रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से उसमें मिलाए जाने वाले सूखे बीज, फल, जड़, छाल, या सब्जियों को ‘मसाला (spice) कहते हैं। कभी-कभी मसाले का प्रयोग दूसरे फ्लेवर को छुपाने के लिए भी किया जाता है।
मसाले, जड़ी-बूटियों से अलग हैं। पत्तेदार हरे पौधों के विभिन्न भागों को जड़ी-बूटी (हर्ब) कहते हैं। इनका भी उपयोग फ्लेवर देने या अलंकृत करने (garnish) के लिए किया जाता है।
बहुत से मसालों में सूक्ष्मजीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।
मसालों का उत्पादन
भारत मसालों और मसाला उत्पादों के मामले में दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। देश में मसालों का वार्षिक उत्पादन 4.14 मिलियन टन है। भारत काली मिर्च, मिर्च, अदरख, इलायची, हल्दी आदि जैसे महलों की प्रचुर किस्में उगता है।
देश | उत्पादन | |||
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उत्पादन (टन में) | उत्पादन | उत्पादन (टन में) | उत्पादन | |
भारत | 16,00,000 | 86 % | 16,00,000 | 86 % |
चीन | 66,000 | 4 % | 66,000 | 4 % |
बांग्लादेश | 48,000 | 3 % | 48,000 | 3 % |
पाकिस्तान | 45,300 | 2 % | 45,300 | 2 % |
तुर्की | 33,000 | 2 % | 33,000 | 2 % |
नेपाल | 15,500 | 1 % | 15,500 | 1 % |
अन्य देश | 60,900 | 3 % | 60,910 | 3 % |
कुल | 18,68,700 | 100 % | 18,68,710 | 100 % |
मसालों की खेती और भारतीय कृषि अनुसंधान का योगदान
देश में मसाला अनुसंधान की मामूली शुरूआत 1975 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा मसालों के शहर कालीकट में केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान की स्थापना के साथ हुई। 1975 में ही मसालों के अनुसंधान को उस समय बल मिला जब आईसीएआर ने अकेली और एकमात्र भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान कालीकट शहर से 11 किलोमीटर दूर चेवालूर में 14.3 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित किया गया है। आईआईएसआर का प्रयोगात्मक कृषि फार्म कालीकट से 51 किलोमीटर दूर पेरूवन्नाभुझी में है। अनुसंधान फार्म पट्टे पर 94.8 हेक्टेयर जमीन में है, जिसमें मसालों की विविध किस्मों के पौध रोपण और संरक्षण का कार्य होता है।
आईआईएसआर देश में मसालों पर सबसे बड़े मसाला अनुसंधान नेटवर्क, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं का मुख्यालय भी है। इस संस्थान में काली मिर्च, इलायजी, अदरक, हल्दी, लौंग, दालचीनी, जमैका की गोल मिर्च, बनिला और शिमला मिर्च की फसलें उगाई जाती है। आईआईएसआर में मसालों का सबसे बड़ा सुरक्षित भंडार है, जिसमें 2575 किस्म की काली मिर्च, 435 किस्म की इलायची, 685 अदरक और 1040 हल्दी की किस्में है। इसके अलावा संस्थान में बनिला, शिमला मिर्च और अऩ्य पौध प्रजातियां जैसे दालचीनी, लौंग, जायफल और दारू-सिला के जीन का भंडारण है।
मसाला अनुसंधान में संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान उच्च उत्पादकता वाली मसाला की किस्मों का विकास है, जिन पर सूखे, कीटों और बीमारियों का असर नहीं होता। संस्थान ने मसालों के सतत् उत्पादन के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकियों का भी विकास किया है।
आईआईएसआर द्वारी जारी मसालों की किस्में
मसाला अनुसंधान में संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान ऊंची पैदावार देनेवाली किस्में हैं, जिन पर सूखा, कीटों और बीमारियों का असर नहीं होता।
- काली मिर्च की आठ किस्में संस्थान ने जारी की है। श्रीकारा शुभकारा, पंचत्री और पूर्णिमा किसानों के खेतों में पहुंच गई हैं। ताजा किस्मों में आईआईएसआर थेवम, आईआईएसआर मालावार एक्सेल, आईआईएसआर गिरिमुंडा और आईआईएसआर शक्ति हैं।
- आईआईएसआर विजेता-1, आईआईएसआर अविनाश, आईआईएसआर कोडागू सुवासिनी इलायची की किस्में हैं जिनका विकास आईआईएसआर के इलायची अनुसंधान केंद्र (सीआरसी) अप्पांगला, कोडागू (कर्नाटक) द्वारा किया गया है।
- अदरक की किस्में आईआईएसआर वारदा, आईआईएसआर रेजाथा, आईआईएसआर महिमा देश के अदरक उत्पादन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है।
संस्थान द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली हल्दी की आठ किस्में अब तक जारी की जा चुकी हैं। सुगुना, सुदर्शन, प्रभा, प्रतिभा और आईआईएसआर अलेप्पी सुप्रीम अपने गुणों के कारण जानी जाती हैं। आईआईएसआर विश्वश्री जायफल की झाड़ीदार किस्म दक्षिण भारत में सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं। जायफल की एक अन्य किस्म केरलश्री हाल ही में जारी की गई है। आईआईएसआर की दालचीनी की दो महत्वपूर्ण किस्में नवश्री और नित्यश्री हैं।
भारत में प्रमुख मसाले
काली मिर्च: Black pepper- Piper nigrum
यह मसालों में संभवतः सबसे महत्वपूर्ण होती है। आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। काली मिर्च के उत्पादन के लिए चिकनी दोमट मिट्टी को उपयुक्त समझा जाता है। जिन क्षेत्रों की वार्षिक वर्षा 2,500 मि.मी. हो तथा तापमान लगभग 10°C से 40°C तक हो, वहां इसकी खेती की जाती है। पश्चिमी घाट के ढाल, जहां लाल और लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है, भी काली मिर्च के उत्पादन हेतु उपयुक्त स्थल है। भारत में काली मिर्च का उत्पादन मुख्यतः केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में होता है। केरल के कन्नूर, कोट्टायम, तिरुवनंतपुरम्, कोल्लम, कोझीकोड और एर्णाकुलम में खेती संकेन्द्रित है। कर्नाटक के उत्तरी और दक्षिणी कन्नड़, शिमोगा, चिकमंगलूर और हसन जिले एवं कन्याकुमारी तथा तमिलनाडु में नीलगिरि जिले मुख्य उत्पादक हैं।
मिर्च: Chili pepper- Capsicum
यह छोटे पौधों की एक फली है, जिसका उत्पादन एशिया और अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होता है। पकी हुई सूखी मिर्च को लाल मिर्च कहा जाता है। भारत में मिर्च 17वीं शताब्दी में ब्राजील से आई। 600 से लेकर 1,250 मिलीमीटर के बीच वर्षा तथा 10°C से 30°C के बीच तापमान मिर्च के उत्पादन के लिए अत्यंत उपयुक्त है। भारी वर्षा और पाला फसल के लिए हानिकारक होता है। मिर्च का उत्पादन मुख्य रूप से काली कपासी मिट्टी में होता है और कहीं-कहीं भारी चिकनी दोमट मिट्टी में भी होता है।
सिंचाई का समुचित प्रबंध होने पर इसका उत्पादन बलुई, हल्की कांप दोमट मिट्टी तथा लाल दोमट मिट्टी में भी होता है। कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारत के लगभग सभी प्रदेशों में मिर्च की खेती की जाती है। परंतु उनमें से मुख्य उत्पादनकर्ता हैं- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र। अन्य उत्पादक क्षेत्रों में राजस्थान, बिहार, ओडीशा और उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं।
दालचीनी: Cinnamon- Cinnamomum verum
इसे पेड़ की भीतरी छालों को सुखाकर बनाया जाता है। भारत में दालचीनी का उत्पादन केरल और कर्नाटक राज्यों में होता है।
लौंग: Clove- Syzygium aromaticum
यह लौंग के वृक्ष के फूल की सूखी कली होती है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भी इसका उत्पादन होता है। भारत में कर्नाटक लौंग का प्रमुख उत्पादक राज्य है।
इलायची: Cardamom- Elettaria cardamomum
इसे मसालों की रानी के नाम से जाना जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से खाने का स्वाद बढ़ाने या औषधीय और चबाने के उद्देश्य से किया जाता है। इसके बीजों में बेहद सुगंधित तेल होता है। इलायची की उत्तम खेती 600 से 1,500 मीटर की ऊंचाई पर उष्णकटिबंधीय जंगलों में होती है। इलायची की खेती उन क्षेत्रों में होती है, जहां वर्षा का सही वितरण 1,500 मिलीमीटर से अधिक हो तथा तापमान 10°C से 35 °C तक हो। जंगली पौधे की छाया में इसके पौधों को लगाने से इसमें बहुत जल्दी वृद्धि होती है। इसकी फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी है- दोमट और लाल मिट्टी तथा लाल, गहरी और अच्छी किस्म की लैटेराइट मिट्टी। भारत इलायची का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। इस मसाले का उत्पादन मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में होता है।
अदरक: Ginger– Zingiber officinale
यह धरती के नीचे पायी जाने वाली एक सुगंधित जड़ है। इसका उपयोग मसाले के साथ-साथ दवा के रूप में भी होता है। ऐसा माना जाता है कि अदरक की उत्पत्ति चीन में हुई थी। इसकी खेती के लिए उच्च तापमान और अत्यधिक वर्षा (1,250-2,500 मिलीमीटर) का होना आवश्यक होता है। पौधे में वृद्धि के लिए कुछ मात्रा में इन्हें छाया प्रदान करना अनुकूल होता है। अदरक की खेती के लिए सूखी भूमि अति उत्तम मानी जाती है। मालाबार तट पर पाई जाने वाली बलुई और चिकनी दोमट, लाल दोमट तथा लेटेराइट मिट्टी इसके उत्पादन के लिए आदर्श मिट्टियां हैं। भारत सूखी अदरक का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में केरल और मेघालय इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। अदरक के कुल उत्पादन में अकेले केरल का 70 प्रतिशत योगदान है। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडीशा अदरक के अन्य उत्पादक राज्य हैं।
हल्दी: Turmeric- Curcuma longa
यह भी धरती के नीचे पायी जाने वाली एक प्रकार की जड़ है, जिसका उत्पत्ति स्थल भारत या चीन को माना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण मसाला और उपयोगी रंग है। साथ ही इसका उपयोग दवा के निर्माण तथा सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में भी किया जाता है। हल्दी की फसल के लिए मौसम का उष्ण और आर्द्र होना अत्यावश्यक होता है। पूर्वी तट के भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी फसल में वृद्धि बिना सिंचाई के हो जाती है जबकि अन्य क्षेत्रों में सिंचाई के बाद ही खेती संभव होती है। इसकी खेती के लिए उपजाऊ बलुई और चिकनी, काली और लाल जलोढ़, दोमट मिट्टी उपयोगी होती है।
मोटी दोमट मिट्टी के लिए प्राकृतिक नाला और सिंचाई सुविधा सर्वोत्तम उपाय है। इसकी उपज तीव्र और क्षारीय जल-प्रवाह में असंभव होती है। हल्दी के उत्पादन में मुख्य योगदान आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु का है। भारत में इसके अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं- बिहार, ओडीशा, महाराष्ट्र, मेघालय और उत्तर प्रदेश।
स्रोत-
I am from mahrajganj distt. I have a holding of 2 ha. The area is unireigated and main source of irrigation is borewell what type of spices i can produce
Dear Subhash
Which state are you from? and what are you cultivating currently in the field?
Aman