पौधे की जानकारी
कुल : रुतासाक
आर्डर : स्पिनडलेस
प्रजातियां : ए. मार्मेलास
वितरण
बेल वृक्ष हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है। इस वृक्ष का इतिहास वैदिक काल में भी मिलता है। यर्जुवेद में बेल के फल का उल्लेख मिलता है। बेल वृक्ष का पैराणिक महत्व है तथा इसे मंदिरो के आसपास देखा जा सकता है। पत्तियों का उपयोग पारंपरिक रूप से भगवान शिव को चढ़ाने के लिये किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव बेल के वृक्ष के नीचे निवास करते है।
आकृति विज्ञान, बाह्रय स्वरूप
स्वरूप
यह धीमी गति से बढ़ने वाला मध्यम आकार का पतझड़ वृक्ष है।
इसका तना छोटा, मोटा, कोमल होता है और शाखाओं में काटे होते है जो नीचे की ओर झुकी होती है।
पत्तिंया
पत्तियाँ अल्टरनेट और त्रिपत्तीय होती है।
पत्रक अण्डाकार, तीक्ष्ण और सुगंधित होते है।
फूल
फूल हरे – सफेद रंग के और मीठी सुगंध के होते है।
पंखुड़ियाँ चार भागों में होती है। मोटी आयताकार, फैली हुई, भूरें या पीले रंग की होती है।
फूल मार्च से मई माह में आते है।
फल
फल अंडाकार या आयताकार, 2 से 8 इंच व्यास के होते है।
फलों के छिलके कठोर होते है जो प्रारंभ में भूरे हरे रंग के होते है और पकने के बाद पीले पड़ जाते है।
फल जून माह में आते है।
बीज
बीज छोटे कड़े तथा अनेक होते है।
परिपक्व ऊँचाई
यह वृक्ष 8 से 10 मी. ऊँचाई तक बढ़ता है।
किस्में/संकर
1) नरेन्द्र बेल – 5
विशेषताएँ (Features)
यह किस्म नरेन्द्र देव कृषि विश्वविघालय फैजाबाद द्वारा विकसित की गई है।
इस किस्म के पौधों में मध्यम आकार के फल (1 कि.ग्रा. तक वजन वाले) लगते है।
ये फल गोल होते है तथा पकने पर इनकी सतह पीली तथा चिकनी हो जाती है।
इसमें से लिसलिसा पदार्थ निकलता है। इसके फलों में गूदा कम होता है।
यह रेशेदार, मुलायम तथा अच्छे स्वाद वाली किस्म है।
२.नरेन्द्र बेल – 6
विशेषताएँ (Features)
इस किस्म को भी नरेन्द्र देव कृषि विश्वविघालय फैजाबाद द्वारा विकसित किया गया है।
इस किस्म के फल मध्यम आकार (लगभग 600 ग्राम तक) के होते है।
फलों का आकार गोल होता है। तथा पतले छिलके युक्त तथा चिकनी सतह होती है।
यह भी रेशेदार, मुलायम तथा अच्छे स्वाद वाली किस्म है।
३.पन्त शिवानी
विशेषताएँ (Features)
यह किस्म पंत नगर कृषि विश्वविघालय द्वारा विकसित की गई है।
इस किस्म के पौधे घने तथा ऊपर की ओर बढ़ने वाले होते है।
यह किस्म में फल मध्यम समय में पककर तैयार हो जाते है।
फल अंडाकार तथा वजन 1.2 कि.ग्रा. से 2 कि.ग्रा. तक होता है।
इसमें गूदे की मात्रा अन्य किस्मो की अपेक्षा अधिक होती है। तथा छिलका माध्यम मोटाई का होता है।
इसमें से लिसलिसा पदार्थ कम निकलता है।
इसका गूदा स्वादिष्ट तथा सुगंध युक्त होता है।
इस किस्म के फलो को काफी लम्बे समय तक रखा जाता है।
४.पन्त अपर्णा
विशेषताएँ (Features)
यह किस्म भी पंत नगर कृषि विश्वविघालय द्वारा विकसित की गई है।
फलों का आकार छोटा (0.6 से 0.8 कि.ग्रा ) तक होता है तथा शाखाएँ नीचे की तरफ लटकती है।
फलों का रंग हल्का पीला तथा गूदा भी पीले रंग का होता है ।
फलों में बीज तथा लिसलिसा पदार्थ अलग – अलग रहता है जिससे इन्हें अलग – अलग करने में आसानी होती है।
फलों का छिलका मध्यम मोटाई का होता है।
५.पन्त सुजाता
विशेषताएँ (Features)
यह किस्म पंत नगर विश्वविघालय द्वारा विकसित की गई है।
इस किस्म के पेड़ मध्यम आकार के होते है।
इस किस्म के फलों का औसतन भार 1.0 कि.ग्रा. तक होता है।
फलों का छिलका पतला एवं गूदा मिठासयुक्त होता है।
फलों में बीज तथा रेशे कम होते है।
फलों का गूदा पीले रंग का तथा मात्रा में ज्यादा होता है।
फलों को काफी लम्बे समह तक रखा जा सकता है।
६. पन्त उर्वशी
विशेषताएँ (Features)
यह किस्म भी पंत नगर विश्वविघालय द्वारा विकसित की गई है।
फल अंडाकार होते है।
फलों का वजन 1.6 कि.ग्रा. तक होता है।
फलों में रेशे की मात्रा कम पाई जाती है।
इनका गूदा स्वादिष्ट तथा सुगंध युक्त होता है।
बुवाई का समय
जलवायु
यह उपोष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है।
समुद्र तल से 4000 फीट की ऊँचाई जहाँ गर्मियों में तापमान 1200F (49o C) तक बढ़ता है तथा सर्दियो में 200F (-70C) तक गिरता है वहाँ यह वृक्ष उग सकता है।
भूमि
इसे दलदली, क्षारीय या पत्थरदार मिट्टी में अच्छी तरह से उगाया जा सकता है।
मृदा का pH मान 5 से 8 होना चाहिए।
बुवाई-विधि
भूमि की तैयारी
बेल की खेती सीधे खेतों में भी की जा सकती है।
समान्यत: पौधो को 30X30 फुट की दूरी पर लगाना चाहिए।
खेत में 3X3X3 फीट गहरे गडढ़े खोद लेना चाहिए।
अप्रैल – मई माह में गडढ़ों को इस उद्देशय से खुला छोड़ा जाता हैं ताकि इनमें अच्छी प्रकार धूप लग जाए तथा गड्ढ़े भूमिगत कृमियों से मुक्त हो जाए।
जून – जुलाई माह में 3-4 अच्छी बारिश के बाद इन गड्ढ़ों में पौधों का रोपण तैयार किया जाता है।
फसल पद्धति विवरण
बेल के पौधों का अंकुरण बीजों द्वारा किया जा सकता हैं।
बीजों को लगभग 12 घंटो के लिये पानी में डुबोया जाता है।
इसके बाद इन्हें खेतों में या नर्सरी
उत्पादन प्रौद्योगिकी खेती
खाद
फलों के अधिक उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक उपयोगी होता है।
एक वर्ष पुराने पौधे को 10 कि.ग्रा. गोबर की खाद, 500 ग्रा. नत्रजन, 250 ग्रा, फास्फोरस और 500 ग्रा. पोटाश देना चाहिए। यही खुराक उसी अनुपात में प्रति वर्ष 10 सालों तक देना चाहिए।
खाद एवं उर्वरक को पेड़ के चारों ओर अच्छी तरह फैलाना चाहिए।
सिंचाई प्रबंधन
बेल एक अत्यधिक सहनशील पौधा होता है। यह बिना सिंचाई के भी रह सकता है।
खाद और उर्वरक देने के बाद युवा वृक्षारोपण की सिंचाई करना चाहिए ।
सिंचाई के लिए “मटका ड्रिप विधि” को उपयोग में लाने से युवा पौधो को सिंचाई का जल प्राप्त हो जाता है और एक समान वितरण बना रहता है।
नई पत्तियाँ आने के बाद मासिक अंतराल से सिंचाई करना चाहिए।
घसपात नियंत्रण प्रबंधन
निंदाई प्रारंभिक चरण में की जाना चाहिए।
अगली निंदाई अगले 2 साल में करना चाहिए।
कटाई
तुडाई, फसल कटाई का समय
बेल का उपयोग संरक्षित भोजन के लिए किया जाता है। इसलिए इनकी तुड़ाई परिपक्व हरे होने पर उत्तम मानी जाती है।
फल आठ महीनों के बाद परिपक्व हो जाते है।
समान्यत: फलों की तु़ड़ाई तब की जाती है जब फल हरे – पीले रंग के होते है।
फलों की तुड़ाई जनवरी माह में की जानी चाहिए।
लकड़ी के डंडे में काटा लगाकर पेड़ से फलों की तुड़ाई करना चाहिए ।
तुड़ाई करते समय सावधानी रखना चाहिए अन्यथा फलों में हल्की दरार भी भंडारण के दौरान विकृति उत्पन्न कर सकती है।
तुड़ाई के दौरान फल जमीन पर नहीं गिरना चाहिए।
फसल काटने के बाद और मूल्य परिवर्धन
श्रेणीकरण-छटाई (Grading)
आकर्षक कीमतों के लिए फलों की ग्रेडिंग उनके आकार के आधार पर की जाती है।
पैकिंग (Packing)
पैकिंग दूरी पर निर्भर करती है।
फलों को बोरे में पैक कर सकते है।
वायुरोधी थैले इनके लिए उपयुक्त होते है।
भडांरण (Storage)
पके हुये फलों को लगभग 15 दिनों तक रख सकते है।
फलों को 18 से 24 दिनों में उपचारित करके कृत्रिम रूप से पकाकर 100 से 1500 ppm ईथराँल का उपयोग करके कृत्रिम रूप से पकाकर 860F (300C ) में रखा जा सकता है।
फलों को सूखी जगह में भंडारित करना चाहिए।
परिवहन
किसान अपने उत्पाद को बैलगाडी़ या टैक्टर से बाजार ले जाते है।
दूरी अधिक होने पर उत्पाद को ट्रक या लाँरियो के द्बारा बाजार तक पहुँचाया जाता है।
परिवहन के दौरान चढ़ाते एवं उतारते समय पैकिंग अच्छी होने से फसल खराब नहीं होती है।
अन्य-मूल्य परिवर्धन (Other-Value-Additions)
शरबत
जेम
टाफी
बेल चूर्ण
Source –
- jnkvv-aromedicinalplants.in