बागों में पौधों को स्वस्थ और अच्छी स्थिति में रखने के लिए तथा फसल बागवानी के लिए यह आवश्यक है कि प्रतिवर्ष उचित मात्रा में खाद या उर्वरक डाली जाये । यदि फल वृक्षों को मृदा से आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में हमेशा उपलब्ध होता रहे तो निश्चित रूप से फलन और फलोत्पादन अच्छा होगा । इन पोषक तत्वों को जैविक खाद जैसे कम्पोस्ट, गोबर की खाद, विभिन्न प्रकार की खलियों की खाद, केंचुआ खाद इत्यादि तथा रासायनिक खाद जैसे नत्रजन के लिए यूनिया या अमोनियम सल्फेट, फाॅस्फोरस के लिए सुपर फाॅस्फेट या हड्डी की खाद, पोटाश के लिए म्यूरेट आॅफ पोटाश या पोटेशियम सल्फेट के द्वारा देते हैं ।
साधारणतया बागों में खाद एवं उर्वरकों को जून – जुलाई और अक्टूबर – नवम्बर महीनों में देना ज्यादा लाभकारी होता है । खाद एवं उर्वरकों की सही मात्रा का मिश्रण बनाकर साल में दो बार प्रयोग करें|
बगों में खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग की कई विधियाँ हैं, इनमें खाद एवं उर्वरकों के मिश्रण को मृदा में बिखेर देना, थालों में देना, नाली बनाकर देना आदि प्रमुख हैं । इन विधियों के अतिरिक्त कुछ खास पोषक तत्वों को बागों में लगे पौधों पर घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है । बिखेर कर देे की विधि में खादों को मृदा में अच्छी तरह से मिला दिया जाता है । खादों को वृक्ष के पूरे फैलाव के नीचे तक फैलाया जाता है|
खादों को थाल बनाकर प्रयोग उन फसलों एवं वृक्षों के लिए किया जाता है जिनकी आयु कम होती है, क्योंकि इस समय फल वृक्षों की जड़ प्रणाली थोड़े क्षेत्रों में फैली हुई होती है । इस विधि से खादों के मिश्रण को थालों में तने से थोड़ी दूरी पर फैला देते हैं, और उसे मृदा में अच्छी तरह से मिला देते हैं ।
खादों को नाली बनाकर देते हैं इस विधि में एक नाली पौधों के तने से थोड़ी दूरी पर बनाई जाती है, इस नाली की चैड़ाई 60 – 70 से.मी. तथा 10 – 15 से.मी. तक रखी जाती है, इस नाली में उर्वरकों को जैविक खादों के साथ मिलाकर बिखेर दिया जाता है और नाली को मृदा से ढंक दिया जाता है । कुछ खास पोषक तत्वों को बागों में लगे पौधों पर घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है । पर्णीय छिड़काव विधि उन स्थानों पर जहां मृदा में नमी की कमी हो तथा उर्वरकों का मृदा में प्रयोग संभव न हो सर्वाधिक लाभप्रद है|
कुछ मुख्य फलों की बागों में खाद एवं उर्वरकों की मात्रा, समय व विधि की जानकारी दी जा रही है ।
आम के बाग
प्रथम वर्ष 10 कि.ग्रा. गोबर की खाद साथ में 100 ग्रा. नाइट्रोजन, 75 ग्रा. फाॅस्फोरस, 100 ग्रा. पोटाश देना चाहिए । वार्षिक वृद्धि दर गोबर की खाद 10 कि.ग्रा. तथा 100 ग्रा. नाइट्रोजन, 75 ग्रा. फाॅस्फोरस, 100 ग्रा. पोटाश प्रति पेड़ है । 10 वर्ष या इससे अधिक उम्र वाले पेड़ के लिए 100 कि.ग्रा. गोबर की खाद तथा 1 किलो नाइट्रोजन की आधी मात्रा जून – जुलाई में तथा आधी मात्रा नवम्बर – दिसम्बर में फाॅस्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा नवम्बर – दिसम्बर में देना चाहिए, खाद तथा उर्वरकों को पेड़ के फैलाव के नीचे गोलाई में खोदकर मृदा में मिलाकर देना चाहिए ।
लीची के बाग
प्रथम वर्ष 50 – 60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 30 ग्राम फाॅस्फोरस, 30 ग्रा. पोटाश प्रति पौधा साथ में 1.5 कि.ग्रा. गोबर की खाद तथा वार्षिक वृद्धि दर गोबर की खाद पांच कि.ग्रा. तथा 60 ग्राम नाइट्रोजन, 30 ग्राम फास्फोरस तथा 30 ग्राम पोटाश देना चाहिए । नाइट्रोजन की आधी मात्रा जून – जुलाई में तथा पोटाश की पूरी मात्रा नवम्बर – दिसम्बर में देना चाहिए । दस वर्ष या इसके अधिक वर्ष वाले पेड़ के लिए 60 कि.ग्रा. गोबर की सड़ी खाद तथा 600 ग्राम नाइट्रोजन, 300 ग्रा. फास्फोरस साथ – साथ 300 ग्राम पोटाश देना चाहिए ।
अमरूद के बाग
प्रथम वर्ष 10 कि.ग्रा. गोबर की खाद तथा 75 ग्रा. नाइट्रोजन, 65 ग्रा. फाॅस्फोरस साथ – साथ 50 ग्रा. पोटाश तथा वार्षिक वृद्धि दर गोबर की खाद 10 कि.ग्रा. तथा 75 ग्रा. नाइट्रोजन, 65 ग्रा. फाॅस्फोरस साथ – साथ 50 ग्रा. पोटाश प्रति पेड़ देना चाहिए । 6 वर्ष या इससे अधिक वर्ष वाले पेड़ के लिए 60 कि.ग्रा. गोबर की खाद, 450 ग्रा. नाइट्रोजन 400 ग्रा. फास्फोरस साथ – साथ 300 पोटाश देना चाहिए । नाइट्रोजन की मात्रा वर्ष में आधी -आधी करके दो बार (नवम्बर तथा जुलाई के महिने में ) फाॅस्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा नवम्बर – दिसम्बर माह में देना अच्दा रहता है
पपीता के बाग
प्रथम वर्ष 100 ग्रा. नाइट्रोजन इसमें से 15 ग्राम रोपने के 2 माह बाद, 30 ग्राम रोपने के 4 माह बाद तथा 55 ग्राम फूल आने के पहले दें । द्वितीय वर्ष में 15 – 20 कि.ग्रा. गोबर की खाद/पौधा जुलाई प्रारंभ में दें इसके साथ – साथ 150 ग्रा. नाइट्रोजन, 200 ग्रा. फाॅस्फोरस साथ – साथ 100 ग्रा. पोटाश भी दें । अन्य वर्षों में 150 ग्राम नाइट्रोजन की आधी मात्रा जून – जुलाई व आधी मात्रा फूल आते समय देना चाहिए । दिसम्बर – जनवरी में 200 ग्रा. फाॅस्फोरस व 100 ग्रा. पोटाश प्रति पौधा प्रति वर्ष देना चाहिए ।
नींबू के बाग
प्रथम वर्ष 10 कि.ग्रा. गोबर की खाद तथा 100 ग्रा. नाइट्रोजन 200 ग्रा. फाॅस्फोरस साथ – साथ 100 ग्रा. पोटाश प्रति पेड़ देना चाहिए । 5वर्ष या इससे अधिक वर्ष वाले पेड़ों के लिए 50 कि.ग्रा. गोबर की खाद तथा 1 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 1.5 कि.ग्रा. फाॅस्फोरस तथा 500 ग्रा. पोटाश प्रति पौधा प्रति वर्ष देना चाहिए । जुताई करते समय तना के चारों और लगभग 1 – 1.5 मीटर घेरे के अन्दर न जुताई की जाये और न ही खाद दी जाये । यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि खाद उर्वरक के व्यवहार के बाद सिंचाई कर देना चाहिए ।
स्रोत-
- श्री ब्रिजेश कुमार, सह-कनीय वैज्ञानिक(मृदा विज्ञान),बिहार