धान-फूलगोभी-लौकी उन्नत फसल प्रणाली इस प्रकार है:-
धान-फूलगोभी-लोकी
जून के दूसरे सप्ताह से अक्टूबर का प्रथम सप्ताह
धान
उन्नत प्रजातियाँ
साकेत-1, साकेत-4, नर¢न्द्र-1, पी.आर.एच.-10 एव् हाईब्रिड-986
रोपाई
नर्सरी डालने के 22-25 दिन बाद 2-3 पौधे/हिल लाईन से लाईन की दूरी:- 20 संे.मीपौध्
पौधे से पौधे की दूरी
10 से.मी.
खाद एवं उर्वरक
नाईटोजन-100, फास्फोरस-60 एव् पोटाश- 40 कि.ग्रा./हे0
खरपतवार नियत्रंण
(प) रोपाई के 48 घंटे के अन्दर ब्यूटाक्लोर 1.5 लीटर को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव या बालू में मिला कर प्रयोग करें या आलमिक्स 20 कि.ग्रा./हे0 फसल में डालें।
कीट नियंत्रण
फुदके, मिलीवग, गन्दी कीट एवं सूडी की रोकथाम के लिये मैलाथियान 50 प्रतिशत 1.5 ली0/हे0 800 ली0 पानी में घोलकर छिड़काव करें।
बीमारियाँ
1. थाईरम, कार्बोन्डाजिम 50 डब्लू.पी. से 2.5 ग्राम/कि.ग्रा. बीज को उपचारित
करके बोये।
2. खैरा रोगः- जिंक सल्फेट 5 कि.ग्रा. को 20 किलो यूरिया तथा 2.5 कि.ग्रा बुझा हुआ चुने को 500 ली0 पानी में मिलाकर प्रति हे0 की दर से रोपाई के 15-20 दिन के अन्दर छिडकाव करें।
अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से फरवरी का अन्तिम सप्ताह
फूलगोभी
उन्नत प्रजातियाँ
पूसा हाईब्रिड-2, पूसा सिथेंटिक, ईम्परूब्ड जापानी, पूसा सावनी, पूसा स्न¨बाल एव् स्न¨बाल-16
नर्सरी का समय
– जुलाई-अगस्त एक है0 खेत के लिये 250 ग्राम बीज की नर्सरीे
रोपाई का समय
अक्टूबर
पंक्ति से पंक्ति की दूरी
45-60 सें.मीपौध्
पौधो से पौधे की दूरी
45 सें.मी.
खाद व उर्वरक
गोबर की सडी खाद 30 टन/हे0, नाईट्रोजन-250, फास्फोरस-120 एव् पोटाश-120-150 कि.ग्रा./हे0
सिचाई
10-15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवारों को एक या दो बार खुरपी से निकालना चाहिए।
कीट एवं व्याधियाँ
डाईथेन एम-45 के साथ सेविन (2 ग्राम प्रति लीटर) पानी की दर से छिडकाव करें। दस दिन के अन्तराल पर पुनः छिड़काव जा
सकता है।
मार्च के प्रथम सप्ताह से जून का अन्तिम सप्ताह
लौकी
उन्नत प्रजातियाँ
बायो गौरव, पूसा सन्देश, पूसा नवीन, पूसा समर, गोंरी एव् नरगिस
बीज दर
1.5 से 2.0 कि.ग्रा./हे0
लाईन से लाईन की दूरी
150 से.मीपौध्
पौधो से पौधे की दूरी
100 से.मी.
खाद एवं उर्वरक
गोबर की खाद 25-30 टन/हे0, नाईट्रोजन-150, फास्फोरस-80 एव् पोटाश-60 कि.ग्रा./हे0
सिंचाई
5-6 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण
आवश्यकतानुसार एक या दो बार निराई करे।
कीट एवं व्याधियाँ
1. तेला एवं फफूद की रोकथाम हेतु डाइमेथियोट 2 मिली तथा ड्राईथेन एम-45, 3 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से छिडकाव करें।
2. रस चूसने वाले कीटों एवं चूर्णी रोग की रोकथाम हेतु मोनोक्रोटोफास 1.5 मिली, केराथिन 2 मिली प्रति ली0 पानी की दर से छिडकाव करें।
स्रोत-
- कृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना निदेशालय