फल और सब्जी आहार के महत्वपूर्ण अंग हैं। इनके द्वारा प्रचुर मात्रा में विटामिन्स, मिनरल तथा फाइबर मिलता है जो अनेक बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। मौसमी होने के कारण, सभी फल व सब्जियाँ हर समय और हर स्थान पर प्राप्त नहीं होते अतः इनको भण्डारण के जरिये या फिर प्रसंस्करण व परिरक्षण करके लंबी अबधि तक उपलब्ध कराया जा सकता है।
वर्तमान समय में फल एवं सब्जी का कुल वार्षिक उत्पादन लगभग 130 मिलियन टन जिसमें उनका योगदान क्रमशः 37 एवं 63 प्रतिशत है|फल और सब्जी की तुडाई से लेकर उनके उपयोग तक के दौरान लगभग 30 प्रतिशत अंश खराब हो जाता है, इसलिए मौसमी पैदावार अधिक होने की वजह से इनके मूल्यों में गिरावट को रोकने और अधिक दिनो तक इच्छानुसार इस्तेमाल के लिए कटाई उपरांत उनका प्रसंस्करण एवं गुणवत्ता में सुधार हेतु उपलब्ध तकनीक का ज्ञान एवं इस्तेमाल विधियों की जानकारी होना अतियन्त आवश्यक हैं। फलों और सब्जियों में विभिन्न किस्म के रासायनिक यौगिक होते है और उनकी रचना में काफी विविधता होती है। इनमें निम्नलिखित तत्व होते है।
जल
फलों एवं सब्जियों में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला तत्व जल ही है, जो इनके सम्पूर्ण वजन का 95 प्रतिशत तक हो सकता है। इनमें जल की मात्रा पौधे को प्राप्त होने वाले पानी, संरचनात्मक विभिन्नता और संवर्धन की अवस्थानुसार विभिन्न हो सकती हैं।
कार्बोहाइड्रेट
सामान्य शर्करा, प्रकाश संश्लेषण का तुरंत उत्पाद हैं और पादप ऊतकों का वृहद् ढाँचा रूप से मोनोसैकराइडके जटिल अणुओं से बनता है। फल एवं सब्जियों का सम्पूर्ण कार्बोहाइड्रेट दो से तीस प्रतिशत के बीच रहता है। फलों में सामान्यतया कार्बोहाइड्रेट उच्चतम मात्रा में होता है और परिपक्व अवस्था में, इसका अधिकांश भाग शर्कराके रूप में होता है।
प्रोटीन
प्रोटीन फल एवं सब्जियों में एक प्रतिशत से भी कम होती है, परन्तु जीवित कोशिका-द्रव्य का एक मुख्य ठोस तत्व होने से इसे भी संरचना का एक आवश्यक तत्व समझना चाहिए। कुछ पत्ती वाले सागों तथा मीठी मक्का में 4 प्रतिशत से भी ज्यादा प्रोटीन हो सकती है। फलीदार फसलों के बीजों में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है जो आठ प्रतिशत तक हो सकता है।
लिपिड
लिपिड की मात्रा एक प्रतिशत से भी कम होती है। यह एवाकेडो और जैतून को छोड़कर पौधों के अंगों की सतह पर, रक्षणीय ऊतकों में ही पाई जाती है।
जैव अम्ल
जैव अम्ल, कार्बोहाइड्रेट के धीरे-धीरे पचने के समय पैदा होते हैं। फल एवं सब्जियाँ, स्वाद में मूल रूप से खट्टे होते हैं। खटास की मात्रा नींबू में 6 प्रतिशत तक होती है। आडू में मैलिक अम्ल की मात्रा अधिक पाई जाती है। पालक में आक्सैलिक अम्ल तथा अंगूर में टार्टरिक अम्ल की वजह से खटास होती है।
खनिज और विटामिन्स
खनिज लवण की मात्रा 0.1 से 4.4 प्रतिशत तक हो सकती है। फल एवं सब्जियों में खनिज लवण की मौजूदगी इनकी किस्म, भूमि तथा उर्वरक इत्यादि पर निर्भर करती है। सब्जियों में खनिज लवण की मात्रा फलों की अपेक्षा अधिक होती है। कुछ लवण प्रचुर मात्रा में होते हैं जैसे पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लोहा, गंधक, फास्फोरस, नाइट्रोजन इत्यादि तथा कुछ सूक्ष्म मात्रा में रहते हैं, जैसे तांबा, मैगनीज, जस्ता, बोराॅन, क्लोराइड इत्यादि। फल एवं सब्जियों में विटामिन का अंश, उनकी ताजगी, किस्म और बढ़वार के दौरान जलवायु सम्बन्धी अवस्था पर निर्भर करता है।
फल एवं सब्जियों में विटामिन ‘ए‘ कैरोटीन के रूप में रहता है। पीले रंग के फल जैसे आम, पपीता, कद्दू और हरी सब्जियाँ जैसे गाजर इत्यादि कैरोटीन का मुख्य स्रोत है। विटामिन ‘सी‘ भी आंवला, अमरूद, बेर, नींबू वर्गीय फलों, टमाटर, आलू और हरी सब्जियों में बहुतायत में पाया जाता है। ‘बी‘ समूह के विटामिन भी फल और सब्जियों में पाये जाते हैं।
परिरक्षण/प्रसंस्करण की विधियाँ
फल एवं सब्जियों के परिरक्षण एवं प्रसंस्करण की अनेक विधियाँ हैं। इनका प्रयोग फल एवं सब्जियों की अवस्था, किस्म व उपयोग, अवधि, पौष्टिकता इत्यादि कई बातों पर निर्भर करता है। प्रसंस्करण एवं परिरक्षण की मुख्य विधियों का वर्णन निम्नलिखित है।
1. सुखाना एवं निर्जालीकरण
2. ताप उपचार-पास्तेतीकरण और निर्जमीकरण |
3. निम्न-ताप उपचार -प्रशीतन और हिमीकरण
4विभिन्न रासायनिक योज्य
5. आयनकारी विकिरण
6. फल एवं सब्जी उत्पाद-जैम, जेली, अचार, सिरका, स्क्वैश, डिब्बाबंद फल एवं सब्जी, टमाटर केचप,चटनी इत्यादि।
फल एवं सब्जियों को निम्न विधियों के द्वारा सुखाया जा सकता है-
(1) धूप (सूरज की रोशनी) द्वारा, (2) पाली हाउस/सोलर ड्रायर, (3) ट्रे ड्रायर, (4) वैक्यूम ड्रायर, (5)
फ्लूडाइज्ड बेड ड्रायर, (6) स्प्रे ड्रायर, (7) ड्रम ड्रायर,(8) फ्रीज ड्रायर, (9) माइक्रोवेव हीटिंग द्वारा।
उद्यमिता विकास सम्बन्धी जानकारियाँ
प्रसंस्करण की इकाइयों की स्थापना कहाँ, कैसे और क्यों किया जाये? इन सभी बातों पर ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए जिससे नई फैक्ट्रियाँ स्थापित करने और भविष्य में विस्तार करने में सुविधा हो। उद्यमिता विकास के लिए निम्नलिखित व्यावसायिक जानकारी प्राप्त करना बहुत आवश्यक है।
फल उत्पाद आदेश (1955, 1974 (संशोधित) – (फूड प्राडक्ट्स आर्डर)
निदेशक (फल और सब्जी परिरक्षण), खाद्य व पोशाहार मण्डल, खाद्य विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ही अनुज्ञापन अधिकारी होता है। यहीं, व्यावसायिक तौर पर फल और सब्जी परिरक्षित उत्पाद बनाने के वास्ते अनुज्ञापत्र जारी करता है। बिना इस अनुज्ञापत्र के कोई भी व्यक्ति परिरक्षित उत्पाद न तो बना सकता है और न बेच सकता है।
फल एवं सब्जी के विभिन्न उत्पाद
1.सुखे फल एवं सब्जी: आम, केला, चीकू, गाजर, मूली, शलजम, तथा अन्य फल एवं सब्जी से सूखे उत्पाद बनाये जा सकते हैं।
2.फल एवं सब्जी पाउडर: मशरूम, चीकू, पपीता, आंवला, टमाटर इत्यादि।
3.डिब्बाबन्द फल एवं सब्जी (कैन्ड): अमरूद, अंगूर, आडू, आलू बुखारा, आम, केला, खुमानी, पपीता, नाशपाती, स्ट्रोबेरी, नारंगी, मशरूम, आलू, गाजर, चुकन्दर, टमाटर, पत्तागोभी, पालक, फूलगोभी, मटर, शकरकंद, शलजम, सेम
4.जैम, जैली एवं मार्मलेड: जैम-सेव, पपीता, चीकू, बेर, सन्तरा, नाशपाती, आम, जैली-अमरूद, अंगूर, स्ट्राबेरी, अन्य खट्टे फल, मार्मलेड-नीबू, सन्तरा, माल्टा
5.फल रस और पेय: विशुद्ध फल रस, स्क्वाश, फल शर्बत, कार्डियल, नेक्टर, आर.टी.एस. पेय। उपरोक्त पेय चीकू, बेर, नीबू वर्गीय फल, गूज बेरी, आम व स्ट्राबेरी से बनाये जा सकते हैं।
6.मुरब्बा व कैन्डी: आंवला, कच्चे आम, गाजर, बेर
7.अचार, चटनी व साॅस: नींबू, आम, करौंदा, फूलगोभी, मिर्च, गाजर
8. टमाटर के उत्पाद: टमाटर रस, प्यूरी, पेस्ट, कैचप, चटनी, साॅस, सूप इत्यादि उत्पाद बनाये जा सकते हैं।फल एवं सब्जियों के अपशिष्ट पदार्थो (बाई-प्राडक्ट्स) से भी अन्य उत्पाद जैसे तेल, पेक्टिन, नीबू अम्ल, फेस पैक तथा सिरका इत्यादि बनाये जाते हैं।
स्रोत-
- कृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना निदेषालय