प्लास्टिक मल्चिंग से सब्जियों को मिलेगी चमत्कारिक ग्रोथ

कैमिकल रहित सब्जियां सेहत बनाती हैं । ये जैविक खेती से ही संभव है । जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्लास्टिक मल्चिंग से खेती के गुर खरपतवार अनुसंधान निदेशालय किसानों को सिखा रहा है । अभी निदेशालय में प्रायोगिक तौर पर भिंडी की पैदावार की जा रही है । जिसे खरपतवारी नियंत्रण के तरीकों से बचाया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक हैल्दी भिंडी पैदा हो । भिंडी के पहले टमाटर पर भी ये प्रयोग करते देखा जा चुका है, जो सफल रहा ।

प्लास्टिक मल्चिंग क्या है

खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक फिल्म के द्वारा सही तरीके से ढंकने की प्रणाली को प्लास्टिक मल्चिंग कहते हैं । यह फिल्म कई प्रकार और कई रंग में आती है । इस तकनीक से खेत में पानी की नमी को बनाए रखने और वाष्पीकरण को रोका जाता है और खेत में खरपतवार को होने से बचाया जाता है । बागवानी  में होने वाले खरपतवार नियंत्रण एवं पौधों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने में बहुत सहायक होती है, क्योंकि इसमें भूमि को कठोर होने से बचाया जा सकता है और पौधों की जड़ों का विकास अच्छा होता है|

सब्जियों की फसल में इसको प्रयोग

जिस खेत में सब्जी की फसल लगानी है, उसे पहले अच्छे से जुताई कर उसमें गोबर की खाद और मिट्टी परीक्षण करवा के उचित मात्रा में खाद डाली जाती है, फिर खेत में उठी हुई क्यारी बनाकर उनके ऊपर ड्रिप सिंचाई की पाइप लाइन को बिछा बिछा दिया जाता है, फिर 25 से 30 माइक्रोन प्लास्टिक मल्च फिल्म जो सब्जियों के लिए बेहतर रहती है उसे उचित तरीके से बिछाकर फिल्म के दोनों किनारों को मिट्टी की परत से दबा दिया जाता है । उस फिल्म पर गोलाई में पाइप से पौधों से पौधों की दूरी तय कर के छिद्र बना लिए जाते हैं । किये हुए छेदों में बीज या नर्सरी में तैयार पौधों का रोपण कर लेते हैं ।

फल वाली फसल में

फलदार पौधों के लिए इसका उपयोग जहां तक उस पौधे की छांव रहती है, वहां तक करना उचित रहता है । इसके लिए फिल्म मल्च की लम्बाई और चैड़ाई को बराबर करके कटिंग की जाती है । सिंचाई को बराबर करके कटिंग की जाती है । सिंचाई की नली को सही से सेट करने के बाद 100 माइक्रोन की प्लास्टिक की फिल्म मल्च जो फल वाले पौधों के लिए उपयुक्त रहती है, उसे हाथों से पौधे के तने के आसपास अच्छे से लगाई जाती है फिर उसके चारों कोनों को 6 से 8 इंच तक मिट्टी की परत से ढंका जाता है ।

बरती जाने वाली सावधानियां

  •     प्लास्टिक फिल्म हमेशा सुबह या शाम के समय लगानी चाहिए ।
  •     फिल्म में ज्यादा तनाव नहीं रखना चाहिए ।
  •     फिल्म में जो भी राल हो उसे निकलने के बाद ही मिट्टी चढ़ावें ।
  •     फिल्म में छेद करते वक्त सावधानी बरतें सिंचाई नली का ध्यान रखें ।
  •     छेद एक जैसे करें और फिल्म न फटे इस बात का ध्यान रखें ।
  •     मिट्टी चढ़ाने में दोनों साइड एक जैसे रखें ।
  •     फिल्म की घड़ी हमेशा गोलाई में करें ।
  •     फिल्म को फटने से बचाएं ताकि उसका उपयोग दूसरी बार भी कर पायें ।प्लास्टिक मल्चिंग में शासन की मददकृषि को उन्नत करने और इसे बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उद्यानिकी विभाग में इसके लिए समस्त किसानों को 50: या अधिकतम 16000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अनुदान उपलब्ध कराया जाता है । इस योजना का लाभ पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर दिया जाता है । इसका अनुदान पाने के लिए अपने जिले के विकास खंड में वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी को अपने आवेदन जमा करवाने होते हैं और जानकारी ग्राम सेवक से भी ली जा सकती है ।प्लास्टिक मल्चिंग के इस्तेमाल से खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है । पौधे को ही सारे पोषक तत्व मिलते हैं और फसल अच्छी होती है । सब्जियां, फल व अनाज हैल्दी होते हैं, इसमें रसायन का उपयोग नहीं होता । भूमि की उर्वरक क्षमता बनी रहती है ।

 

 

स्रोत-

  • डाॅ. सुशील कुमार, प्रधान वैज्ञानिक खरपतवार अनुसंधान निदेशालय 
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