प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य यह है कि निम्नांकित उपायों के द्वारा कृषि क्षेत्र से सम्बंधित संधारणीय उत्पादन को सहायता उपलब्ध करायी जाए-

क) अनपेक्षित घटनाक्रम के कारण फसल हानि / क्षति से पीड़ित किसानो को वित्तीय सहायता उपलब्ध करना|

ख) किसानों को नवीन और आधुनिक कृषि अभ्यास अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना|

ग) किसानों की आय को सुदृढ़ करना ताकि वे अपने कृषि कार्य को जारी रख सकें|

घ)कृषि कार्य हेतु में ऐसा ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना जिससे किसानों की उत्पादन जोखिम से संरक्षा होने के अलावा कृषि से सम्बंधित खाद्य सुरक्षा , फसल विविधिकरण ,तीव्र विकास और प्रतिस्पर्धा का मार्ग प्रशस्त हो|

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतगत फसल के अनुसार  किसान द्वारा देय प्रीमियम राशि बहुत कम कर दी गई है जो निम्नानुसार है:-

क्र फसल किसान द्वारा देय अधिकतम बीमा प्रभार (बीमित राशि का प्रतिशत)
1 खरीफ 2.0%
2 रबी 1.5%
3 वार्षिक वाणिज्यक एवं बागवानी फसलें 5%

 

वर्ष 2010 से प्रभावी Modified NAIS में प्रीमियम अधिक हो जाने की दशा में एक कैप निर्धारित रहती थी जिससे कि सरकार के द्वारा वहन की जाने वाली  प्रीमियम राशि कम हो जाती थी, परिणामतः किसान को मिलने वाली दावा राशि भी अनुपातिक रूप से कम हो जाती थी।

 

उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में धान की फसल के लिए 22 प्रतिशत Actuarial Premium था |किसान  को 30 हजार रूपए के Sum Insured पर कैप के कारण मात्र  900 रूपए और सरकार को 2400 रूपए प्रीमियम देना पड़ता था। किन्तु शतप्रतिशत नुकिसान की दशा में भी किसान को मात्र  15 हजार रूपए की दावा राशि प्राप्त होती।

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 30 हजार Sum Insured पर 22 प्रतिशत Actuarial Premium आने पर किसान मात्र  600 रूपए प्रीमियम देगा और सरकार 6000 हजार रूपए का प्रीमियम देगी। शतप्रतिशत नुक्सान की दशा में  किसान को 30 हजार रूपए की पूरी  दावा राशि प्राप्त होगी । अर्थात उदहारण के प्रकरण में  किसान के लिए प्रीमियम 900 रूपए से कम होकर 600 रूपए। दावा राशि 15000 रूपए के स्थान पर 30 हजार रूपए।

 

  • बीमित किसान  यदि प्राकृतिक आपदा के कारण बोनी नहीं कर पाता तो यह जोखिम भी शामिल है उसे दावा राशि मिल सकेगी।
  • ओला,जलभराव और लैंड स्लाइड जैसी आपदाओं को स्थानीय आपदा माना जाएगा। पुरानी योजनाओं के अंतगत यदि किसान  के खेत में जल भराव (पानी में डूब ) हो जाता तो किसानो को मिलने वाली दावा राशि इस पर निर्भर करती की यूनिट ऑफ़ इंश्योरेंस (गाँव या गाँवों के समूह) में कुल नुकसानी कितनी है। इस कारण कई बार  नदी नाले के कीनारे या निचले स्थल में स्थित खेतों में नुक्सान के बावजूद किसानो को दावा राशि प्राप्त नहीं होती थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इसे स्थानीय  हानि मानकर केवल प्रभावित किसानो का  सर्वे कर उन्हें दावा राशि प्रदान की जाएगी।
  • पोस्ट हार्वेस्ट नुक्सान भी शामिल किया गया है। फसल कटने के 14 दिन तक यदि फसल खेत   में है और उस दौरान कोई आपदा आ जाती है तो किसानों  को दावा राशि प्राप्त हो सकेगी ।
  • योजना में टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा जिससे की फसल कटाई/नुकसान का आकलन शीघ्र  और सही  हो सके और किसानों की दावा राशि त्वरित रूप से मिल  सके । रिमोट सेंसिंग के माध्यम से फसल कटाई प्रयोगों की संख्या कम की जाएगी। फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े तत्काल स्मार्टफोन के मध्यम से अप-लोड कराए जाएंगे।

 

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें

 

 

Source-

  • agri-insurance.gov.in
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