पारिस्थितिक अभियांत्रिकी द्वारा फसलों में कीट प्रबंधन

फसलों में कीट प्रबंधन के लिए पारिस्थितिक अभियांत्रिकी  हाल ही में एक नए आयाम के रूप में उभरी हे जिसमे मुख्यतया कृषिगत क्रियाओ द्वारा कीटो के निवास स्थान में हेर फेर किया जाता है , ताकि हानिकारक कीटो का जैविक नियत्रण हो सके । यह विधि आधुनिक काल में प्रचलित अन्य तरीको जैसे संश्लेषित कीटनाशको, किट प्रतिरोधी किस्मो इत्यादि से परे, पारिस्थितिक ज्ञान पर आधारित है ।

वर्तमान में बढ़ते हुए कीटनाशी रसायनो के अंधाधुन्द उपयोग से कृषि पारिस्थितिक तंत्र में मित्र कीटो की जैव विविधता में काफी कमी आई है | इसीलिए जरुरी हे की फसलों में मित्र कीटो की जैव विविधता में बढ़ावा देने वाली क्रियाये अपने जाये जो भविष्य में कृषि क्षेत्र  में सतत  विकास के लक्ष्यो को प्राप्त करने में सक्षम हो सके |

पारिस्थितिक आभियांत्रिकी क्या हैं?

पारिस्थितिक अभियांत्रिकी कीट नियंत्रण की एक पारिस्थितिकीय विधि हे जिसमे पराग या नेक्टर उपलब्ध करने वाली फसलों को मुख्या फसल के किनारो पर तथा मध्य में पाश फसलों, किटकारी पोधो, अंतराशस्य, मिश्रित शस्य को ढकने वाली फसलों के रूप में लगाया जाता हे ताकि यह फैसले अधिक से अधिक संख्या में मित्र कीटो को आकर्षित कर हानिकारक कीटो की समष्टि को कम कर सके।   इस विधि में मित्र कीटो को छोटा पशुधन समझा जाता हे तथा उनके लिए भोजन के विभिन्न फैसले ऊगाई जाती है जि‍ससे उनकी संख्या में इज़ाफ़ा किया जा सके। यह पद्त्ति दो प्रकार से अपने जा सकती है|

1. जमीन के ऊपर पारिस्थितिक आभियांत्रिकी

प्राकर्तिक शत्रु हानिकारक कीटो के नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हे मित्र कीटो की जैव विविधता इसके लिए महत्वपूर्ण योगदान देती है | मित्र कीटो के लिए पर्याप्त मात्रा में पराग व नेक्टर के रूप में भोजन, आश्रय, वैकल्पिक मेज़बान पौधे, जब मुख्य मेज़बान फसल मौजूद नहीं हो आदि की आवस्यकता होती है|

जिसके लिए –

  • पुष्पीय पोधो को खेत की सीमा पर लगाए।
  • खेत के आंतरिक मेड़ो पर पुष्पीये लगाए।
  • व्यापक स्पेक्ट्रम वाले कीटनाशी रसायनो को नहीं अपनाये।

इस प्रकार फसलों में शिकारी तथा परजीव्याम कीटो जैसे – लेडी बर्ड बीटल, मकडिया , लासविंग, एअरविंग्स, लम्बे सींग वाली टिड्डिया इत्यादि की संख्या में इज़ाफ़ा होगा।

क्र   मित्र कीट           शत्रु कीट मित्र कीटो को आकर्षित करने  वाले पौधे
1 लैसेविंग्स एफ़िड, थ्रिप्स, मेलीबग, स्केल, कैटरपिलर और माइट्स पर सूर्यमुखी, गाजर,  धनिया , मक्का
2 लेडीबर्ड बीटल्स कोमल त्वचा वाले कीट सूर्यमुखी, गाजर , मक्का, सॉफ, धनिया, सरसो , लोबिया , पोदीना
3 परजीव्याम ततैये सैन्य कीट, कडलिंग शलभ, भृंग के सुन्डिया , मक्खिया , इल्लिया दिल, पार्स्ली, सॉफ, बक्व्हीट, सरसो
4 परभक्षी कैरेबिड भृंग घोंघे, कटरवर्म, टेंट कैटरपिलर, गोभी-जड़ मेगट, कोलोराडो आलू बीटल और जिप्सी कीट अम्रेन्थस, क्लोवर

मित्र कीटो को आकर्षित करने वाले पौधे

धनिया, गाजर, सूर्यमुखी , बक्व्हीट, रतनजोत , गुलदाउदी , सरसो , पार्शली, सुवा दिल, रिजका , कॉस्मॉस, जीरा , अजवाइन, सॉफ , गेंदा इत्यादि।

हानिकारक कीटो को दूर करने वाले पौधे

तुलसी, पोदीना आदि।

बॉर्डर फसले

मक्का , बाजरा।

अंतराशस्य फसले

मक्का , मूंगफली , ग्वार , लोबिया।

मिश्रित फसले

बेबी कॉर्न , मूली , ग्वार  आदि।

फंदा फसलों के कुछ उदाहरण

फंदा फसलों मुख्य फसल रोपण की विधि नियंत्रित  कीट
अल्फाल्फा कपास स्ट्रिप अंतर फसल  लीगुस मत्कुण
गेंदे का फूल लहसुन सीमा फसलों थ्रिप्स
चीनी गोभी, सरसों,  मूली गोभी गोभी के हर 15 पंक्ति में लगाया गोभी  की सुंडी तथा महू
एरंड कपास सीमा फसल कटवर्म
चना कपास 20 पौधों / वर्ग मीटर में ब्लॉक फंदा फसल कटवर्म
लोबिया कपास कपास की हर 5 पंक्तियों में पंक्ति अंतर
हरी सेम सोयाबीन पंक्ति अंतर फसल मेक्सिकन बीन भृंग
नेपियर घास मक्का अंतर फसल और सीमा फसल कपास का पुष्पीये धुन
भिन्डी कपास सीमा फसल कोलोराडो आलू भृंग
टैन्ज़ी आलू अंतर फसल कपास का पुष्पीये धुन
तंबाकू कपास पंक्ति अंतर फसल, कपास के हर 20 पंक्ति में लगाए कटवर्म
टमाटर गोभी अंतर फसल हिराक प्रस्तक भृंग

2. जमीन  के नीचे पारिस्थितिक आभियांत्रिकी-

इस विधि में जमीन में अंदर पैदा होने होने वाले कीट एवं  व्याधियो का समुचित प्रबंन्ध किया जाता हे जैसे-

ग्रीष्म ऋतू में खेतो की गहरी जुताई करके कीटो एवं अन्य रोगकारको को नस्ट कर देवे |

बुवाई से पूर्व की अवस्था  में मृदा में भली-भातिसड़ी हुयी गोबर की खाद अवस्य मिलाये |

संतुलित पोषक तत्वों को मृदा परिक्षण के आधार पर ही उपयोग करे व उनमे कार्बनिक खादों को जैसे केचुए की खाद आदि को सम्मिलित करे |

मृदा में मित्र जीवाणु जैसे ट्राईकोदर्मा एवं स्यूडोमोनास को भली- भाति मिलावे |

पारिस्थितिक अभियांत्रिकी अपनाते समय ध्यान में रखने योग्य बाते

नाशक कीट व  मित्र कीट  की  पारिस्थितिक  आवश्य्कताओ की जानकारी –

सबसे महत्वपूर्ण नाशीजीव  कीट जि‍सके प्रबंधन की आवस्यकता  होती हे, उसके परजीवियों व परजीव्याम कीटो की जानकारी तथा उसके मित्र कीटो को आकर्षित करने वाल पोधो को जानकारी होना भी लाभकारी रहता है|

उचित समय

सामान्यतः नाशी कीट  फसलों   समय ;- सामान्यत नाशी कीट फसलों में पहले आते हे।  तो यह जान ना  जरुरी  हे की कब इनकी आर्थिक दहलीज़ सीमा आएगी और उस समय पर कोनसे मित्र कीट उपस्थित होंगे।

रणनीतियों की पहचान

नाशी कीटो के आवास में कटौती तथा लाभकारी कीटो के आवास का विकास इत्यादि।

पारिस्थितिक आभियांत्रिकी द्वारा कीट प्रबंधन के लाभ

जैसा की हम जानते हे की यह विधि काफी सस्ती एवं प्राकृतिक रूप से सुरक्षित हे इसके द्वारा वातावरण  में किसी  भी प्रकार के नुक्सान नहीं पहुचये जाते हे।  कृषक इस विधि को क्षेत्रीय आधार पर उपलब्ध कीट प्रबंधन की  विधियों के साथ  अपनाकर कम से कम लागत पर अधिक से अद्धिक मुनाफा कमा सकते हे।  साथ ही साथ यह विधि सर्कार द्वारा चलाये जा रहे कृषि में सतत  विकास के लक्ष्यो को भी हासिल करने में सहायक होगी।

आसान उपाय

प्राकृतिक विधियों द्वारा कम से  कम प्रत्यक्ष हस्तक्षेप द्वारा कीट नियंत्रण जिस से श्रमिक लागत में कमी तथा उत्पादकता में बढ़ावा होगा। साथ ही साथ यह विधि पारिस्तितिक संतुलन बनाये रखने में भी कारगर सिद्द होगी।

आर्थिक रूप से सक्षम

मित्र कीटो को प्रोत्साहन करके हानिकारक कीटो के स्तर में कमी करके फसलों की उत्पादन लागत कम की  जा सकती हे. पारिस्थितिक आभियांत्रिकी द्वारा कीट प्रबंधन के लिए खेत का केवल पांच प्रतिशत या इस से भी कम भाग काम में लिया जाता हे, इसका मतलब हे की हर एकड़ के लिए केवल 2200 वर्ग फिट क्षेत्रफल स्थान की जरुरत होती हे।एवं कृषि रसायनों को खरीदने में आने वाले खर्चे को भी कम  किया जा सकता है|

कीट नियंत्रण में समय की खपत में कमी

कीट नियंत्रण में अपनाये गए विभिन्न उपायों जैसे कीटनाशकों  का छिड़काव आदि में  समय  की खपत को भी  कम किया  जा  सकता हे।  इसी के  साथ साथ कृषक पुष्पीय पोधो पर मधुमखी पालन भी कर सकते हे, जो  की किसानो  के लिए  अतिरिक्त आय का एक महत्वपूर्ण  स्रोत है|

 

Source-

  • krishisewa.com
Show Buttons
Hide Buttons