पत्तेदार सब्जियों में लगने वाले प्रमुख कीट एवं रोग इस प्रकार है:-
प्रमुख रोग एवं नियंत्रण
१.पर्णदाग
यह रोग सभी पत्तेदार सब्जियों (पालक, चैलाई) की एक प्रमुख समस्या है। हल्के, भूरे गोल धब्बे जिसके किनारे लाल होते हैं पालक को छोड़कर अन्य पत्तीदार सब्जियों में बहुत स्पष्ट नहीं दिखाई देते हैं। यह रोग सामान्यतया सरकोस्पोरा प्रभेद के कवकों द्वारा होता है। यह रोग सलाद, सेलरी एवं चाइनीज पत्तागोभी में अल्टरनेरिया प्रभेद के कवकों द्वारा होता है। अल्टरनेरिया के धब्बे भूरे गोल और पत्ती की पूरी सतह पर फैले होते हैं। चैलाई में सफेद रस्ट नामक बीमारी तेजी से फैल रही हे जिसमें पत्तियों पर सफेद एवं बहुत छोटा धब्बा बनता है। इसका संक्रमण दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा होता है।
नियंत्रण
घनी बुआई न करें। पौधों की निचली पत्तियों को तोड़कर जला देना चाहिए। बहुत अत्यधिक संक्रमण की अवस्था में क्लोरोथैलोनिल या मैंकोजेब या जीनेब की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर 2-3 छिड़काव करें। खेत में संतुलित उर्वरक तथा कम्पोस्ट का प्रयोग करें।
२.सफेद गलन
यह रोग सर्वत्र विद्यमान कवक स्कलेरोटीनिया स्कलेरोसियोरम द्वारा उत्पन्न होता है। यह रोग सामान्यतया ठण्डे एवं नम मौसम में अधिक आता है। रोग के लक्षण जलीय मृदुगलन के रूप में पर्ण वृन्त, पुष्प वृन्त एवं तने पर शुरू होता है और पत्ती के कुछ भाग तक फैल जाता है। संक्रमण के बाद कवक जाल घनी हो जाती है एवं कवक तन्तुओं पर जल बिन्दु दिखने लगते हैं। बाद में संक्रमित भागों के ऊपर कवक जाल बहुत घनी हो जाती है और काले रंग की कवक संरचना (स्कलेरोसिया) से ढँक जाता है।
नियंत्रण
संक्रमित फूलों, पत्तियों इत्यादि को कुछ स्वस्थ भाग के सहित सुबह के समय काटकर सावधानीपूर्वक इकट्ठा करना चाहिए जिससे स्कलेरोसिया जमीन पर न गिर सकें और फिर खेत के बाहर ले जाकर जला देना चाहिए। कार्बेन्डाजिम कवकनाशी की 1 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर पर्णीय छिड़काव करें और इसके 6-10 दिन बाद मैंकोजेब 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। छिड़काव निचली पत्तियों एवं तने तक अवश्य पहुँचना चाहिए। वैलिडामाईसीन (2 मी.ली./ली.) या ब्टेलुकोनाजोला, 1.5 मी.ली./ली. पानी के साथ मिलाकर मश्दा सिंचन करें।
३.चूर्णिल आसिता
संक्रमण की प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों पर सफेद पाउडर दिखाई देता है जो संक्रमण बढ़ जाने पर पूरे पौधे पर सफेद चूर्णिल आवरण बना देता है। यह बीमारी मेंथी की फसल को अधिक प्रभावित करती है।
नियंत्रण
घुलनशील गंधक 20-25 ग्राम/10 लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।
प्रमुख कीट एवं नियंत्रण
पत्तेदार सब्जियों में मुख्यतः कत्र्तन कीट (पत्ती काटने वाले कीट) एवं चैंपा (एफिड) नुकसान पहुँचाते हैं। कत्र्तन कीट पत्तियों को काटकर नुकसान पहुँचाता है जबकि चैंपा पत्तियों एवं पौधों के कोमल भाग से रस चूसता है तथा उसकी वृद्धि को प्रभावित करता है। इसके नियंत्रण के लिए मालाथियान 0.05 प्रतिशत का छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर कर सकते है। जहाँ तक हो सके जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। नीम तेल (4 प्रतिशत) का छिड़काव 10 दिन के अन्तराल पर 4 बार करने से कीटों से सुरक्षा मिलती है।
पत्तियों की कटाई कीटनाशकों के प्रयोग से कम से कम 10 दिन बाद करनी चाहिए।
स्रोत-
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान