नेपियर बाजरा घास पानी व पोषक की मांग कम होने के कारण खाली पड़े स्थान, पड़त भूमि, एकल फसली खेती के बाद खाली पड़े खेत सभी जगह उगाई जा सकती है । यह भूमि संरक्षण के लिए उपयुक्त व बहुवर्षीय चारा फसल है । करीब आधा बीघा भूमि में इस घास को लगाने के बाद 4-5 पशुओं को पूरे वर्ष हरा चारा उपलब्ध करा सकते हैं इस घास के खेतों में रोपाई के बाद करीब 11ध्2 . 2 माह में हरा चारा उपलब्ध कराना शुरू कर देती है ।
प्रत्येक 20 दिन बाद कटाई की जा सकती है । इस घास से करीब 5 वर्ष तक हरा चारा उपलब्ध होता रहता है । इस घास में बाजरे के आदर्श गुण जैसे रसीलापन, घनी पत्तियाँ, शीघ्र बढ़वार, उच्च प्रोटीन ( 8-10 प्रतिशत ) तथा 34.6 से 46.0 प्रतिशत तक कार्बोहाइड्रेट व 15-20 प्रतिशत शुष्क पदार्थ के अलावा नेपियर के प्रबल बढ़वार जैसे गुण विद्यमान रहते हैं । इस चारे की पाचनशीलता 50-70 प्रतिशत होती है ।
आवश्यक जलवायु
गर्म जलवायु वाले स्थानों जहाँ तापमान ऊँचा रहता हो वहां के लिए उपयुक्त रहता है, साथ-साथ इसे ठण्डे स्थानों व पाले वाले स्थानों पर भी उगाया जा सकता है ।
उपयुक्त भूमि
इस फसल की अधिक उपज के लिए अच्छे जल निकास वाली भूमि जैसे दोमट, बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है । निचले स्थान भूमि जहाँ पर पानी इकट्ठा होता हो इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है । धान के खेतों की मेड़ पर नेपियर स्थापित करने से पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराया जा सकता है ।
भूमि की तैयारी
एक गहरी जुताई करने के बाद बखर द्वारा खेत को भुर – भुरा बनायें । अन्त में पाटा चलाकर समतल करें, ताकि पानी का ठहराव न हो सके । बुवाई के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए ।
नेपियर बाजरा घास की किस्में
किस्में | उत्पादन (प्रति हैक्टेयर) |
पूसा ज्यांट | 100-160 टन प्रति हैक्टेयर |
एन.बी.-21 | 100-160 टन प्रति हैक्टेयर जल्दी बड़ने वाली |
सी.ओ.-1 | 300 टन प्रति हैक्टेयर |
आई. जी.एफ.आर.आई.- 3 | 90-160 टन प्रति हैक्टेयर |
आई. जी.एफ.आर.आई.- 6 | 90-160 टन प्रति हैक्टेयर |
आई. जी.एफ.आर.आई.- 7 | 140-170 टन प्रति हैक्टेयर |
आई. जी.एफ.आर.आई.- 10 | 150-180 टन प्रति हैक्टेयर |
यशवंत | 150 टन प्रति हैक्टेयर |
स्वातिका (हाईब्रिड नेपियर-3) | 70-80 टन प्रति हैक्टेयर, पाला रोधी चारा फसलें |
सी.ओ.- 3 | 130-200 टन प्रति हैक्टेयर |
अन्य किस्में – गजराज, संकर-1, संकर-2 शक्ति ।
बुआई का समय
नेपियर-बाजरा घास का रोपण जून-जुलाई माह में करते हैं । सिंचाई की सुविधा होने पर जड़युक्त तनों को फरवरी के दूसरे सप्ताह से जुलाई के मध्य में कभी भी लगा सकते हैं ।
बीज की मात्रा
इसमें बीज नहीं बनता, अतः इसकी बोआई जड़दार टुकड़ों या तनों के टुकड़ों को लगाकर करते हैं । एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 20,000 टुकड़ों की आवश्यकता होती हैं ।
रोपण का तरीका एवं अन्तराल:
शुद्ध फसल के रूप में इसे 50 ग 50 से.मी. के अन्तराल पर एवं अन्य फसलों के साथ लगाने पर इसे 100 ग 50 से.मी. के अन्तराल पर लगायें । बुआई करते समय टुकड़ों को लाईनों में बने गड्ढों पर जमीन में 45 डिग्री का कोण बनाते हुए लगायें और फिर जड़ के पास मिट्टी को अच्छी तरह से दबाते जायें । टुकड़ों में कम से कम तीन गांठें हों और 1-2 गांठें जमीन के अन्दर दबायें तथा एक जमीन के ऊपर रखें ।
नेपियर
बाजरा घास की बुवाई कूड़ों में भी की जा सकती है । नमीयुक्त तैयार खेत में 90 से.मी. की दूरी पर हल से कूड़ बना लिये जाते हैं तथा इनमें टुकड़ों को डालकर पाटा लगाकर ढंक दिया जाता है । इस विधि से प्रति हैक्टेयर लगभग 12-15 हजार टुकड़ों की आवश्यकता होती है ।
खाद एवं उर्वरक
अधिकतम उत्पादन हेतु 125-150 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हैक्टेयर की दर से अंतिम जुताई के समय खेत में मिलायें । बुआई के समय 40 कि.ग्रा. नत्रजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की दर से आधार खाद के रूप में डालें । प्रत्येक कटाई के बाद 30 कि.ग्रा. नत्रजन प्रति हैक्टेयर की दर से देना चाहिए ।
कटाई प्रबंधन
चारे की प्रथम कटाई बुवाई के तीन माह बाद की जाती है एवं बाद की अन्य कटाईयां 35-40 दिनों के अन्तर से करें । फसल की कटाई जमीन से 10-15 से.मी. की ऊँचाई से करना उपयुक्त रहता है । वर्ष भर में इसकी कुल 6-7 कटाईयाँ प्राप्त की जा सकती है ।
सिंचाई एवं जल निकास
नेपियर-बाजरा घास लगाने के तत्काल बाद खेत में पानी लगाना आवश्यक रहता है । गर्मियों में मार्च से जून तक फसल की सिंचाई 8-10 दिन के अन्तर पर करनी चाहिए । सर्दी के मौसम में फसल को 15-20 दिन के अन्तर पर पानी देना चाहिए । इसके अतिरिक्त प्रत्येक कटाई के बाद पानी देना आवश्यक है । पानी भरे खेतों में पौधे मर जाते हैं । अतएव खेत में जल निकास का समुचित प्रबन्ध होना चाहिए ।
निराई-गुड़ाई
नेपियर-बाजरा घास रोपने के 15 दिन बाद अंधी गुड़ाई करना चाहिए । प्रत्येक कटाई के बाद दो कतारों के बीच देशी हल या कल्टीवेटर द्वारा गुड़ाई करने से भूमि की जलधारण क्षमता में वृद्धि होने के साथ-साथ खरपतवार की समस्या नहीं रहती हैं और फसल बढ़वार अच्छी होती है ।
कटाई प्रबंधन एवं उपज
सामान्य तौर पर नेपियर घास प्रथम कटाई के लिए बुवाई के लगभग 70 दिन पश्चात तैयार तथा इसके बाद 35-45 दिन के अन्तराल से अन्य कटाईयाँ करनी चाहिए । पौधे लगभग जमीन से 8-10 से.मी. की ऊँचाई से काटने चाहिए । इस घास को 1 से 1.5 मीटर की ऊँचाई से ज्यादा बढ़ने से पहले ही काट देना चाहिए, अन्यथा पौधे के तने सख्त, अधिक रेशेदार हो जाते हैं, जो पशु कम खाते हैं । सामान्य अवस्थाओं में नेपियर बाजरा घास से प्रतिवर्ष 6-7 कटाईयाँ मिल जाती है, जिससे लगभग 1200-1600 क्विंटल हरा चारा संकर किस्मों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।
स्रोत-
- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय ,जबलपुर,मध्यप्रदेश