तिलहनी फसलों में तिल का प्रमुख स्थान है इसकी खेती खरीफ एवं रबी मौसम में की जाती है।
तिल की उन्न्त किस्मे
किस्म | विमोचन वर्ष | अवधि (दिन) | उपज किलोग्राम हे. | तेल की मात्रा (प्रतिशत) |
टी.के.जी.308 | 2008 | 80-85 | 600-700 | 48-50 |
जे.टी.11 | 2008 | 82-85 | 650-700 | 46-53 |
जे.टी.12 | 2008 | 82-85 | 650-700 | 50-53 |
जे.टी.306 | 2004 | 86-90 | 600-900 | 52 |
जे.टी.एस.-8 | 2000 | 86 | 600-700 | 52 |
टी.के.जी.-55 | 1998 | 75-78 | 630-650 | 53 |
बीज की मात्रा
कतार विधि – 1.5 कि.ग्रा./एकड़ ।
बीजोपचार
कार्बेण्डाजिम 1 ग्राम + थायरम 2 ग्रा./कि.ग्रा. बीज या ट्राईकोडर्मा विरडी 5 ग्रा./कि.ग्रा. बीज ।
बुवाई का समय
खरीफ-25 जून से 15 जुलाई, ग्रीष्मकालीन-15 जनवरी से 15 फरवरी ।
बुवाई की विधि
कतार से कतार की दूरी – 30 से.मी., पौध से पौध की दूरी – 15 से.मी. और गहराई – 3 से.मी. ।
उर्वरक
(कि.ग्रा. प्रति एकड़)
असिंचित अवस्था
यूरिया 35, सिं.सु.फा.- 75, म्यूरेट आॅफ पोटाश-13 ।
सिंचित अवस्था
यूरिया 52, सिं.सु.फा.- 100, म्यूरेट आॅफ पोटाश-13 ।
कटाई
फलिया पीली एवं पत्तियां झड़ने लगे तब फसल की कटाई करें ।
गहाई
कटाई के 8 – 10 दिन फसल को सुखाकर डण्डों से पीटकर गहाई करें ।
भण्डारण
बीज को सुखाने पर उसमें 8 प्रतिशत नमी रह जाये तब उसका ठीक से भण्डारण करें ।
सिंचाई
फलियों में दाना भरते समय सिंचाई करें ।
निंदाई
प्रथम निंदाई
बुवाई के 15-20 दिन बाद और दूसरी निंदाई-बुवाई के 35-40 दिन बाद करें ।
नींदानाशक दवा
क्विजालोफाॅप 300 मि.ली./एकड़ बुवाई के 15-20 दिन बाद ।
रोग प्रबंधन
१.फाइटोफ्थोरा अंगमारी
पत्तियों तथा तनों पर भूरे धब्बे दिखते हैं जो बाद में काले हो जाते हैं ।
नियंत्रण
थायरम 3 ग्राम/कि.ग्रा. या ट्राईकोडर्मा विरडी 5 ग्रा./कि.ग्रा. बीज की दर से बीजोपचार करें । रोगग्रस्त फसल में रिडोमिल एम.जेड. 2.5 ग्रा./ली. पानी या काॅपर आॅक्सीक्लोराइड 2.5 ग्रा./ली. पानी का छिड़काव करें ।
२.पर्णताभ रोग (फायलोडी)
फूल के सभी भाग हरे पत्तियों के समान हो जाते हैं । सवंमित पौधें में पत्तियां गुच्छों में छोटी-छोटी दिखाई पड़ती हैं ।
नियंत्रण
नीम तेल 5 मि.ली. या डायमेथोएट 3 मि.ली./ली. पानी की दर से छिड़काव करें ।
३.जीवाणु अंगमारी
पत्तियों एवं फलियों पर अनियमित आकार के भूरे सघन छल्ले युक्त धब्बे बनते हैं ।
नियंत्रण
स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 200 पी.पी.एम. एवं काॅपर आॅक्सीक्लोराइड 500 ग्रा./एकड़ की दर से छिड़काव करें ।
प्रमुख कीट
१.पत्ती एवं फली छेदक
कीट पत्तियों को गूंथकर फलों में घुसकर भीतरी भाग खाकर तथा फल में छेदकर बीज खाकर फसल को नुक्सान पहुंचाता है ।
२.तिल पिटिका मक्खी (कली मक्खी)
इल्ली कलियों के अन्दर फूल के आवश्यक अंगों को नष्ट कर देती है जिससे फूल की जगह गांठे यानि कलियां सिकुड़ जाती हैं । क्वीनालफास दवा 25 ई.सी. 1.5 मि.ली. या ट्राइजोफाॅस 40 ई.सी. 2 मि.ली./ली. पानी का छिड़काव करें ।
स्रोत-
- कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना (म.प्र.) ,जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय