जैव उर्वरकों की प्रयोग विधि

जैव उर्वरकों को चार विभिन्न तरीकों से खेती में प्रयोग किया जाता है।

बीज उपचार विधि 

जैव उर्वरकों के प्रयोग की यहाँ सर्वोत्तम विधि है। ½ लीटर पानी में लगभग 50 ग्राम गुड़ या गोन्द के साथ जैव उर्वरक अच्छी तरह मिला लेते है जिससे प्रत्येक बीज पर इसकी परत चढ़ जाए। इसके उपरान्त बीजों को छायादार जगह में सुखा लेते हैं। उपचारित बीजों की बुवाई सूखने के तुरन्त बाद कर देनी चाहिए।

पौध जड़ उपचार विधि

धान तथा सब्जी वाली फसलें जिनके पौधों की रोपाई की जाती है जैसे टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, प्याज इत्यादि फसलों में पौधों की जड़ों को जैव उर्वरकों द्वारा उपचारित किया जाता है। इसके लिए किसी चौड़े व छिछले बर्तन में साथ मिला लेते हैं। इसके उपरांत नर्सरी में पौधों को उखाड़ कर तथा जड़ो में मिट्टी साफ करने के पश्चात 50-100 पौधों को बंडल में बांधकर जीवाणु खाद के घोल में 10 मिनट तक डुबो देते है। इसके बाद तुरंत रोपाई कर देते है|

कन्द उपचार

गन्ना, आलू, अदरक, अरबी जैसी फसलों में जैव उर्वरकों के प्रयोग हेतु कन्दों को उपचारित किया जाता है। एक किलोग्राम जैव उर्वरकों को 20-30 लीटर घोल में मिला लेते है। इसके उपरांत कन्दों को 10 मिनट तक घोल में डुबोकर रखने के पश्चात बुवाई कर देते है|

मृदा उपचार विधि

5-10 किलोग्राम जैव उर्वरक (एजोटोबैक्टर व पी.एस.बी. आधा आधा) 70-100 किग्रा. मिट्टी या कमोस्ट का मिश्रण तैयार करके रात भर छोड़ दें। इसके बाद अंतिम जुताई पर खेत में मिला देते है।

 

Source-

  • Krishi Vibhag, Uttar Pradesh.
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