चने की उन्नत किस्में इस प्रकार है:-
१.पूसा 2085 (काबुली)
विमोचन वर्षः 2013 (एस.वी.आर.सी., दिल्ली)
अनुमोदित क्षेत्रः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
परिस्थितियांः सिंचित अवस्था
औसत उपजः 20 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः इसके दाने एक समान, आकर्षक, चमकीले वहल्के भूरे रंग के होते है, दानों का आकारबड़ा (36 ग्राम प्रति 100 दाने) है। इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक है तथा पानी सोखनेकी अधिक क्षमता है। यह किस्म मृदा जनितबीमारियों के लिए प्रतिरोधी है। विभिन्न बीमारियों जैसे कि सूखा जड़ गलन एवंबौनापन के प्रति प्रतिरोधक तथा मुरझानएवं बाॅट्राईटिस ग्रे मोल्ड के प्रति मध्यमप्रतिरोधक एवं काॅलर राॅट नामक बीमारी केप्रति सहनशील है।
२.पूसा हरा चना 112
विमोचन वर्षः 2013 (एस.वी.आर.सी., दिल्ली)
अनुमोदित क्षेत्रः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
परिस्थितियांः सिंचित अवस्था में समय पर बुवाई
औसत उपजः 23 कुन्तल/हेक्टेयर (क्षमता 27 कु./है.)
विशेषताएंः इसके दाने गहरे हरे रंग के तथा समानआकार के हैं, और पकाने में बहुत अच्छे हैं। ये फ्युजेरियम सूखा रोग तथा सूखे के प्रति उच्च प्रतिरोधी हैं। बहु दबाव प्रतिरोधिता के कारण यह किस्म सीमांत किसानों के लिए एक वरदान साबित होगी। शहरी शहरी क्षेत्रो हरे चनो की मागँ विभिन्न खाने के व्यंजन बनाने के लिए अधिक है|
३.पूसा 5023 (काबुली)
विमोचन वर्षः 2011 (एस.वी.आर.सी., दिल्ली)
अनुमोदित क्षेत्रः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
परिस्थितियांः सिंचित अवस्था
औसत उपजः 25 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः इसका दाना अत्यधिक मोटा तथा 100 दानों का वजन 50 ग्राम है। यह किस्म उक्ठा बीमारी के प्रति मध्यम अवरोधी है।
४.पूसा 5028 (देशी)
विमोचन वर्षः 2011 (एस.वी.आर.सी., दिल्ली)
अनुमोदित क्षेत्रः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
परिस्थितियांः सिंचित अवस्था
औसत उपजः 27 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः इसका दाना अत्यधिक मोटा तथा 100 दानों का वजन 41 ग्राम है। यह किस्म उक्ठा बीमारी के प्रति मध्यम अवरोधी है।
५.पूसा 547 (देशी)
विमोचन वर्षः 2006 (सी.वी.आर.सी.)
अनुमोदित क्षेत्रः उत्तर-पश्चिमी भारत (दिल्ली, पंजाब, हरियाणा,राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश)
परिस्थितियांः सिंचित पछेती बुवाई के लिए
औसत उपजः 18-25 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः यह किस्म मध्यम अवधि (135 दिन) में पकती है तथा मुरझान, जड़ गलन, वृद्धिरोधी रोगों व फली छेदक के प्रति सहिष्णु है।
६.पूसा चमत्कार (बी.जी. 1053) (काबुली)
विमोचन वर्षः 1999 (सी.वी.आर.सी.)
अनुमोदित क्षेत्रः दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश
परिस्थितियांः सिंचित क्षेत्रों में बुवाई के लिए
औसत उपजः 25-30 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः मृदा नित रोग की प्रतिरोधी है।इसके दाने मोटे गोलाकार आरै उच्च पकाने की गुणवत्ता वाले है|यह 145-150 दिन में पक जाती है|
७.पूसा 362 (देशी)
विमोचन वर्षः 1994 (सी.वी.आर.सी.)
अनुमोदित क्षेत्रःउत्तर भारत
परिस्थितियांः सामान्य पछेती बुवाई के लिए
औसत उपजः 25-30 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः यह किस्म मृदा जनित रोगों की प्रतिरोधी,सूखे के प्रति सहिष्णु है तथा पकाने के लिए बहुत अच्छी है। दाने भूरे पीले रंग के होते हैं तथा 155 दिन में पककर तैयार हो जाते हैं।
८.पूसा 372 (देशी)
विमोचन वर्षः 1993 (सी.वी.आर.सी.)
अनुमोदित क्षेत्रः दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात
परिस्थितियांः सिंचित व बारानी क्षत्रो में पछेती छेत्रो में बुनाई के लिए
औसत उपजः 18-22 कुन्तल/हेक्टेयर सामान्य बुवाई 25-30 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः मृदा जनित रोगों जैसे मुरझान व जड़ गलन के प्रति साधारण प्रतिरोधी। दाल व बेसन बनाने के लिए अच्छी तथा 140-145 दिन में पक जाती है।
९.पूसा शुभ्रा (बी.जी.डी. 128)
विमोचन वर्षः 2006 (सी.वी.आर.सी.)
अनुमोदित क्षेत्रः मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड भाग तथा राजस्थान का समीपवर्ती हिस्सा|
परिस्थितियांः सिंचित अवस्था में पछेती बुवाई के लिए
औसत उपजः 17-23 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः यह किस्म मृदा जनित बीमारियों की मध्यम प्रतिरोधी है तथा कुछ सीधी बढ़वार प्रकृति वाली है तथा मशीनी कटाई के लिए भीउपयुक्त है। यह 110-115 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
१०.पूसा धारवाड़ प्रगति (बी.जी.डी. 72)
विमोचन वर्षः 1999 (सी.वी.आर.सी.)
अनुमोदित क्षेत्रः मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड भाग तथा राजस्थान का समीपवर्ती हिस्सा|
परिस्थितियांः बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए
औसत उपजः 22-28 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएं: यह किस्म मृदा जनित रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है तथा सूखे की प्रतिरोधी है। मोटे दाने वाली और 115-120 दिन में तैयार हो जाती है।
११.पूसा 2024 (काबुली)
विमोचन वर्षः 2008 (एस.वी.आर.सी., दिल्ली)
अनुमोदित क्षेत्रः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
परिस्थितियांः सिंचित व बारानी क्षेत्रों के लिए
औसत उपजः 25-28 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः यह किस्म मृदा जनित रोगों व सूखे के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। यह 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
१२.पूसा 1108 (काबुली)
विमोचन वर्षः 2006 (एस.वी.आर.सी., दिल्ली)
अनुमोदित क्षेत्रः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
परिस्थितियांः सिंचित अवस्था में समय पर बुवाई के लिए
औसत उपजः 25-30 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः यह किस्म मृदा जनित रोगों की प्रतिरोधी है। इसका दाना मोटा, एक समान, सफेद रंग का तथा आकर्षक है। इसकी पकाने की गुणवत्ता बहुत ही अच्छी है। इसी वजह से बाजार में इसकी कीमत काफी अधिक मिलती है। यह किस्म 145-150 दिन में पककर तैयार हो
जाती है।
१३.पूसा 1105 (काबुली)
विमोचन वर्षः 2005 (एस.वी.आर.सी., दिल्ली)
अनुमोदित क्षेत्रः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली एवं कर्नाटक
परिस्थितियांः सिंचित अवस्था में सामान्य बुवाई के लिए
औसत उपजः 25-30 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः यह किस्म मोटे दाने वाली (30 ग्राम/100दाने), मृदा जनित रोगों के प्रति मध्यमप्रतिरोधी तथा सूखे के प्रति उच्च सहिष्णु है।
पकने में दक्षिणी भारत में 120 दिनों का तथा उत्तरी भारत में 145 दिनों का समय लेती है।
१४.पूसा 1088 (काबुली)
विमोचन वर्षः 2004 (एस.वी.आर.सी., दिल्ली)
अनुमोदित क्षेत्रः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
परिस्थितियांः बारानी व सिंचित क्षेत्रों में बुवाई के लिए
औसत उपजः 20-30 कुन्तल/हेक्टेयर
विशेषताएंः यह किस्म मृदा जनित रोगों जैसे मुरझान,जड़ गलन व स्टंट वायरस की प्रतिरोधी हैतथा सूखे की उच्च सहिष्णु है। 135-140 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
Source-
- iari.res.in