गन्ने की उन्नत किस्में
शीघ्र पकने वाली जातियां
किस्म | शक्कर (प्रतिशत में | अवधि (माह) | उपज (टन/हे.) | प्रमुख विशेषताए |
को.सी.-671 | 20-22 | 10-12 | 90-120 | शक्कर के लिए उपयुक्त, जड़ी के लिए उपयुक्त, पपड़ी कीटरोधी। |
को.जे.एन. 86-141 | 22-24 | 10-12 | 90-110 | जड़ी अच्छी, उत्तम गुड़, शक्कर अधिक, उक्ठा, कंडवा, लाल सड़न अवरोधी। |
को.86-572 | 20-24 | 10-12 | 90-112 | अधिक शक्कर, अधिक कल्ले, पाईरिल्ला व अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, उक्ठा, कंडवा, लाल सड़न अवरोधी। |
को. 94008 | 18-20 | 10-12 | 100-110 | अधिक उत्पादन, अधिक शक्कर, उक्ठा, कंडवा, लाल सड़न अवरोधी। |
को.जे.एन.9823 | 20-20 | 10-12 | 100-110 | अधिक उत्पादन, अधिक शक्कर, उक्ठा, कंडवा, लाल सड़न अवरोधी। |
मध्यम व देर से पकने वाली जातियां
किस्म | शक्कर (प्रतिशत में | अवधि (माह) | उपज (टन/हे.) | प्रमुख विशेषताए |
को. 86032 | 22-24 | 12-14 | 110-120 | उत्तम गुड़, अधिक शक्कर, कम गिरना, जडी गन्ने के लिए उपयुक्त, पाईरिल्ला व अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी। |
को. 7318 | 18-20 | 12-14 | 120-130 | अधिक शक्कर, रोगों का प्रकोप कम, पपड़ी कीटरोधी। |
के. 99004 | 20-22 | 12-14 | 120-140 | लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी। |
को.जे.एन.86-600 | 22-23 | 12-14 | 110-130 | उत्तम गुड़, अधिक शक्कर, पाईरिल्ला व अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी। |
को.जे.एन.9505 | 20-22 | 10-14 | 100-110 | अधिक उत्पादन, अधिक शक्कर, उक्ठा, कंडवा, लाल सड़न अवरोधी। |
गन्ना फसल उत्पादन की प्रमुख समस्याएं
- रा अनुशंसित जातियों का उपयोग न करना व पुरानी जातियों पर निर्भर रहना
- रोगरोधी उपयुक्त किस्मों की उन्नत बीजों की अनुपलब्धता।
- बीजो उत्पादन कार्यक्रम का अभाव।
- बीज उपचार न करने से बीज जनित रोगों व कीड़ों का प्रकोप अधिक एवं एकीकृत पौध संरक्षण उपायों को न अपनाना।
- कतार से कतार कम दूरी व अंतरवर्तीय फसलें न लेने से प्रति हे. उपज व आय में कमी।
- पोषक तत्वों का संतुलित एवं एकीकृत प्रबंधन न किया जाना।
- उचित जल निकास एवं सिंचाई प्रबंधन का अभाव।
- उचित जड़ी प्रबंधन का अभाव।
- गन्ना फसल के लिए उपयोगी कृषि यंत्रों का अभाव जिसके कारण श्रम लागत अधिक होना
क्यों चुने गन्ना फसल ही क्यों चुनेफसल ही क्यों चुने
- गन्ना एक प्रमुख बहुवर्षीय फसल है अच्छे प्रबंधन से साल दर साल 1,50,000 रूपये प्रति हेक्टेयर से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
- प्रचलित फसल चक्रों जैसे मक्का-गेंहू या धान-गेंहू, सोयाबीन-गेंहू की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त होता है
- यह निम्नतम जोखिम भरी फसल है जिस पर रोग, कीट ग्रस्तता एवं विपरीत परिस्थितियों का अपेक्षाकृत कम असर होता है।
- गन्ना के साथ अन्तवर्तीय फसल लगाकर 3-4 माह में ही प्रारंभिक लागत मूल्य प्राप्त किया जा सकता है
- गन्ना की किसी भी अन्य फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं है। वर्ष भर उपलब्ध साधनों एवं मजदूरों का सद्उपयोग होता है।
अधिक उपज प्राप्त करने हेतु प्रमुख बिन्दु
- प्रदेश में गन्ना क्षेत्र विकास के लिए होशंगाबाद, बड़वानी, बालाघाट, सिवनी, मंडला, धार, सतना, रीवा कटनी, जबलपुर, खरगोन, विदिशा आदि जिलों में अपार सम्भावनाएं है।
- अनुशंसित प्रजातियां (शीघ्र पकने वाली) को.जे.एन. 86-141, को.सी. 671 एवं को. 94008 , (मध्यम अवधि) को.जे.एन. 86-600, को. 86032 को .99004 का उपयोग करें।
- गन्ना फसल हेतु 8 माह की आयु का ही गन्ना बीज उपयोग करे।
- शरदकालीन गन्ना (अक्टूर-नवम्बर) की ही बुवाई करें।
- गन्ना की बुवाई कतार से कतार 120-150 से.मी. दूरी पर गीली कूंड पद्धति से करें।
- बीजोपचार (फफूदनाशक-कार्बेन्डाजेम 2 ग्रा. प्रति ली. एवं कीटनाशक -क्लोरोपायरीफास 5मि.ली./ली.15-20 मि. तक डुबाकर ) ही बुवाई करें।
- जड़ी प्रबंधन के तहत-ठूंट जमीन की सतह से काटना, गरेड़ तोड़ना, फफूदनाशक व कीटनाशक से ठूट का उपचार, गेप फिलिंग, संतुलित उर्वरक (एन.पी.के.-300:85:60) का उपयोग करें।
- गन्ने की फसल के कतारों के मध्य कम समय में तैयार होने वाली फसलों चना, मटर, धनिया, आलू, प्याज आदि फसलें लें
- खरपतवार नियंत्रण हेतु ऐट्राजिन 1.0 कि.ग्रा./हे. सक्रिय तत्व की दर से बुवाई के 3 से 5 दिन के अंदर एवं 2-4-डी 750 ग्रा./हे. सक्रिय तत्व 35 दिन के अंदर छिडकाव करे।।
- गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में टपक सिंचाई पद्वति को प्रोत्साहन दिया जाए।
- गन्ना क्षेत्र विस्तार हेतु गन्ना उत्पादक किसानों के समूहों को शुगर केन हारवेस्टर, पावर बडचिपर एवं अन्य उन्नत कृषियंत्रों को राष्टीय कृषिविकास योजना अंतर्गत 40 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
Source-
- किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग,मध्य प्रदेश