भारत की तेज गति से बढ़ती हुई जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए प्रति इकाई क्षेत्र समय एवं साधन से अधिक से अधिक उत्पादन करना नितांत आवश्यक है । इसके लिए सघन कृषि प्रणली अपनाने के साथ-साथ उत्तम किस्म का चुनाव, सही समय पर बुवाई, संतुलित मात्रा में पोषक तत्व देना, उचित समय पर सिंचाई करना, फसल को कीड़ों, बीमारियों एवं खरपतवारों से बचाकर रखना बहुत जरूरी है, जिससे न केवल फसल की पैदावार बढ़ेगी, वरन् उत्पादन कारकों की क्षमता भी बढ़ेगी तथा किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी ।
खरपतवारों से हानियां
- खरपतवार उपलब्ध पोषक तत्वों, नमी, प्रकाश एवं स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं तथा फलस्परूप् फसल की पैदावार एवं गुणवत्ता में भारी कमी ला देते हैं ।
- खरपतवार फसल में लगने वाले रोगों के जीवाणुओं एवं कीट-व्याधियों को भी आश्रय देते हैं ।
प्रमुख खरपतवार
खरीफ की अनाज वाली फसलों में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन,मूंगफली एवं अरहर आदि प्रमुख हैं । इन फसलों में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए उसमें उगने वाले खरपतवारों की जानकारी होना आवश्यक है खरपतवारों की रोकथाम कब करें: अतः फसलों को प्रारम्भ से ही ख्खरपतवार रहित रखना आवश्यक हो जाता है । यहां पर यह भी बात ध्यान देने योग्य है कि फसल को हमेशा न तो खरपतवार मुक्त रखा जा सकता है और न ही ऐसा करना आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है । अतः क्रान्तिक नाजुुक अवस्था विशेष पर खरपतवार नियंत्रण के तरीकों को अपनाकर पैदावार में कमी को रोका जा सकता है । खरीफ की विभिन्न फसलों में क्रान्तिक अवस्था भिन्न-भिन्न होती है
खरीफ की प्रमुख फसलों में खरपतवार प्रतिस्पर्धा का क्रान्तिक समय एवं पैदावार में कमी
फसलें |
क्रांतिक समय बुवाई के दिन |
पैदावार में कमी प्रतिशत में |
धान रोपाई | 30-45 | 15-31 |
धान सीधी बुवाई | 15-45 | 43-78 |
मक्का | 15-45 | 26-43 |
ज्वार | 15-45 | 18-35 |
बाजरा | 30-45 | 18-40 |
मूंगफली | 25-60 | 33-45 |
सोयाबीन | 20-45 | 27-71 |
अरहर | 15-60 | 31-35 |
खरपतवारों की रोकथाम कैसे करें
फसलों में खरपतवारों की रोकथाम ग्रीष्मकालीन जुताई, शुद्ध बीज, बीज दर, फसलों की किस्में, बुवाई विधि तथा यांत्रिक विधि से भी की जा सकती है ।
खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग
समय को देखते हुए खरपतवारों का नियंत्रण शाकनाशी रसायनों द्वारा करने से जहां एक ओर खरपतवारों का उचित समय पर नियंत्रण हो जाता है, वहीं दूसरी ओर लागत एवं समय की भी बचत होती है । लेकिन खरपतवार नाशकों का उपयोग करते समय यह ध्यान रखना होगा कि उसकी उचित सान्द्रता को उचित विधि द्वारा उपयुक्त समय पर प्रयोग करें ताकि इनसे समुचित लाभ प्राप्त हो सके अन्यथा लाभ के बजाय हानि हो सकती है ।
विभिन्न खरीफ फसलों में प्रयोग किये जाने वाले शाकनाशी रसायनों का विवरण
फसल | शाकनाशी रसायन का नाम | मात्रा(ग्राम सक्रिय पदार्थ/है.) | प्रयोग का समय | नियंत्रण खरपतवार |
धान | बेनस्फयूरान मिथाइल 0.6%+ प्रीटीलाक्योर 6%(लोन्ड़ेक्स पावर) | 10 किलोग्राम/है. | बुवाई/रोपाई के 3-6 दिन तक | घास कुल मोथा तथा चौड़ी पत्ति |
बिस्पायरी बैंक सोडियम (नामनी गोल्ड) | 25 | बुवाई/रोपाई 15-20 दिन बाद | घास कुल मोथाकुल तथा चौड़ी पत्ती के खरपतवार छिड़काव के समय खेत में पानी भरा न हो | ऐसी स्थिति छिड़काव के 2-3 दिन तक होनी चाहिए | | |
ब्यूटाक्लोर | 1500-2000 | बुवाई/रोपाई के 4-6 दिन बाद | घास कुल के खरपतवार | |
प्रेटिलाक्लोर (रिफिट 50%) | 100 | – तदेव – | घास कुल | |
पेंडीमेथालिन (स्टाम्प 30%) | 100 | – तदेव- | घास, मोथा एवं चौड़ी पत्ति | |
2,4-डी (नाकबीड) | 500-750 | बुवाई/रोपाई के 20-25 दिन | चौड़ी पत्ती एवं मोथा कुल | |
क्लोरिम्यूरान ईथाइल मेटस्ल्फ्यूरान मिथाइल (आलमिक्स) | 4 | बुवाई/रोपाई के 25 दिन बाद | चौड़ी पत्ती एवं मोथा कुल | |
फेनाक्जाप्राप (व्हीप सुपर 9% ई.सी.) | 70 | बुवाई/रोपाई के 30-35 दिन बाद तक | घास कुल | |
सोयाबीन | इमेजेथापायर (परस्युट) | 100 | बुवाई/रोपाई के 15-20 दिन बाद | घासकुल, मोथा कुल तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार |
फेनाक्साप्राप (व्हीप क्लोरिम्यूरान ईथाईल क्लोबेन) | 100+8 | बुवाई के 20-25 दिन बाद | घासकुल, मोथा कुल तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार | |
इमेजेथापायर+इमेजामोक्स (ओडीसी) | 70 | बुवाई के 15-20 दिन बाद | घासकुल, मोथा कुल तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार | |
मक्का, ज्वार, बाजरा | एट्राजिन (एट्राटाफ 50%) | 500-1000 | बुवाई के बाद परंतु अंकुरण के पूर्व | सभी प्रकार के खरपतवार |
सिमाजिन (टिफाजिन 50%) | 500-1000 | बुवाई के बाद परंतु अंकुरण के पूर्व | सभी प्रकार के खरपतवार | |
2, 4-डी (नाकवीड) | 500-750 | बुवाई के 25-30 दिन बाद | चौड़ी पत्ती वाले एवं मोथा कुल | |
पेंडेमिथलीन (स्टाम्पएक्स्ट्रा) 38.7% | 500-700 | बुवाई पश्चात अंकुरण के पूर्व | घासकुल एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार | |
मूंगफली | इमेजेथापायर (परस्युट) | 100 | बुवाई के 15-20 दिन | |
पेंडीमिथालीन | 700 | बुवाई के 3 दिन के भीतर | घासकुल एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार | |
क्यूजालोफाप ईथाइल (टरगासुपर) | 40-50 | बुवाई के 15-20 दिन के बाद | घासकुल के खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण | |
मूंग, उरद | पेंडीमिथिलीन (स्टाम्पएक्स्ट्रा) | 700 ग्राम | बुवाई के 0-3 दिन तक | घासकुल एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार |
इमेजेथापायर (परस्युट) | 100 ग्राम | बुवाई के 20 दिन बाद | घासकुल, मोथा कुल एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार | |
क्युजलोफाप ईथाइल (टरगासुपर) | 40-50 ग्राम | बुवाई के 15-20 दिन बाद |
स्रोत-
- खरपतवार विज्ञान अनुसंधान निदेशालय ,जबलपुर,मध्यप्रदेश