भरपूर उत्पादन प्राप्त करने की लिये फसल की विभिन्न अवस्थाओं में कई प्रकार के कृषि रसायन का उपयोग समय समय पर करना नितांत आवश्यक हैं। खड़ी फसल में कीट, रोग एवं खरपतवार नियंत्रण के अलावा कई हारमोन्स का प्रयोग भी किया जाता हैं। ये रसायन द्रव अथवा ठोस रूप में साधारणतः उपलब्ध होते हैं। इन्हे भुरकाव, छिड़काव, धुआ और चुग्गा बेट के रूप में उपयोग में लाया जाता हैं। दवा रसायन का प्रभावी होना, सही छिड़काव व भुरकाव विधि पर भी बहुत निर्भर करता है। अतः इनकी विषेषतायें एवं कमियाँ जानना अत्यंत आवश्यक हैं।
भुरकाव विधि
ठसमें चूर्ण या पावडर का भुरकव यंत्र डस्टर द्वारा किया जाता है। चूर्ण बाजार में तैयार रूप में मिलते हैं। ये अधिकतर 0.04, 1.2 , 2:, 4:, 5:, एवं 10: सान्द्रता के सीधे उपयोग में लाये जाते हैं।
छिड़काव विधि
इसमें दवा को पानी में घोलकर यंत्र द्वारा छिड़काव किया जाता है। दवायें कई प्रारूपों में जैसे पायसेय सान्द्र (ई.सी.) जल व्यासरित चूर्ण (डब्लू डी.पी.) सान्द्र बिलयन आदि में पाया जाता है। ज्यादातर कृषि रसायन पानी में अघुलनशील होते हैं। इस कारण इनका घोल बनाने के लिये पहले छिड़काव करने वाली दवा की मात्रा लेकर उससे थोड़ा सा पानी मिलाकर फेंटा जाता है। (पेस्ट) तत्पश्चात इसमें पानी की बाकी मात्रा मिलाई जाती है। अब यह घोल छिड़काव के लिये तैयार हैं।
छिड़काव की विधियाँ
- उच्च आयतन विधि (हाई वाल्यूम स्प्रैयिंग) – इसमें 400 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर या अधिक का छिड़काव किया जाता हैं।
- कम आयतन छिड़काव विधि (लो वाल्यूम स्पे्रयिंग) – इसमें 40-150 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर छिड़काव किया जाता हैं।
- अल्प आयतन छिड़काव विधि (अल्ट्रा लो वाल्यूम स्प्रेयिंग) इसमें 5 लीटर प्रति हेक्टेयर से कम घोल का उपयोग होता हैं। अधिकतर सान्द्र दवाओं का उपयोग ही किया जाता है।
- जैसे साधारण स्पे्रयर (15 लीटर) के लगने वाली दवा की मात्रा 45 ग्राम/पम्प है तो पावर स्प्रेयर में दवा की मात्रा चैगुनी (45 ग 4) 180 ग्राम लगेगी।
फसले |
छिडकाव (सप्रेंईग के लिए) |
भुरकाव के लिए |
||
पानी (घोल की मात्रा) प्रति एकड़ के लिए |
चूर्ण की मात्रा प्रति हेक्टेयर के लिए |
प्रति एकड़ के लिए |
प्रति हेक्टेयर के लिए |
|
अ- कम ऊंचाई की फसले (मूंगफली, सोयाबीन, मुंग उड़द आदि) | 200 लीटर | 500 लीटर | 8 किलो | 20 किलो |
ब- मध्यम ऊंचाई की फसले (कपास, तिल, धान आदि) | 300 लीटर | 750 लीटर | 10 किलो | 25 किलो |
स- अधिक ऊंचाई की फसले (अरहर, गन्ना आदि) | 400 लीटर | 1000 लीटर | 12 किलो | 30 किलो |
छिड़काव विधि की विषेषतायें
- छिड़काव विधि से दवा समान रूप से फैलाई जा सकती है एवं फसल पर लंबे समय तक चिपकती रहती हैं।
- दवा का अधिकाधिक उपयोग होता है क्योंकि दवा अपने स्थान से इधर उधर कम गिरती हैं।
- छिड़काव विधि द्वारा दवा कम लगती हैं जिससे दवा का खर्च कम आता हैं।
- छिड़काव करने के लिये भिन्न भिन्न प्रकार के छिड़काव यंत्र उपलब्ध हैं।
- हल्की हवा चलती रहने पर भी छिड़काव किया जा सकता हैं।
- नोजल को नियंत्रित कर आवश्यकतानुसार फब्बारे का आकार छोटा या बड़ा किया जा सकता हैं।
- एक से अधिक दवाओं को मिलाकर (कम्बीनेशन है) छिड़काव करने से लागत में कमी की जा सकती हैं।
छिड़काव विधि की कमियाँ
- छिड़काव विधि में समय अधिक लगता हैं।
- छिड़काव यंत्र अपेक्षाकृत मंहगे हैं।
- उपचार लागत अधिक लगती हैं।
- पानी की कमी वाले स्थानों में अधिक पानी की आवश्यकता एक समस्या रहती हैं।
- छिड़काव यंत्र प्रायः भारी होते हैं एवं उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने में कठिनाई हो सकती हैं।
- छिड़काव विधि में दवा के बह जाने का अंदेशा रहता हैं।
भुरकाव विधि की विशेषताऐं
- भुरकाव विधि द्वारा कम समय में अधिक क्षेत्र (एरिया) में दवा डाली जा सकती हैं।
- इस विधि का उपयोग आसानी से किया जा सकता है क्योंकि इसमें घोल बनाने के लिये पानी की आवश्यकता नहीं होती ।
- इसमें लागत खर्च कम आता हैं।
- भुरकाव यंत्र अपेक्षाकृत कम कीमत के होते है और उनकी बनावट भी सरल होती हैं।
- दवा का भुरकाव करने के लिये धीमी गति से बहती हुई हवा का लाभ भी उठाया जा सकता हैं।
- भुरकाव विधि में भुरकाव चूर्ण की षक्ति कम नही हो पाती ।
- भुरकाव यंत्र अपेक्षाकृत हल्के होते हैं एवं उन्हे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया, ले जाया जा सकता हैं।
भुरकाव विधि की कमियाँ
- भुरकाव विधि के द्वारा दवा का समान रूप से फैलाव नही रह पाता।
- अधिक दवा लगने के कारण लागत खर्च अधिक होता हैं।
- दवा के इधर उधर उड़ जाने के कारण दवा की हानि अिधक होती हैं।
- अधिक प्रकार के भुरकाव यंत्र उपलब्ध नही हैं।
- दवा की अधिक मात्रा की आवश्यकता रहने के कारण दवा को खेत पर ले जाने का खर्च अधिक पड़ता हैं।
- भुरकाव केवल षाम को ही किया जा सकता हैं।
- अधिक तेज हवा रहने के समय भुरकाव नही किया जा सकता।
- भुरकाव विधि में ब्याधि नियंत्रण की क्षमता अपेक्षाकृत कम रहती हैं।
100 लीटर स्प्रे घोल को बनाने की तालिका एवं मार्ग दर्शिका
घोल में दवा का वांछित प्रतिशत |
बाजार में उपलब्ध दवा में तत्व का प्रतिशत |
|||||||
75% | 50% | 40% | 30% | 14% | 20% | 10% | ||
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
1
2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 |
.09
.015 .020 .025 .030 .035 .040 .045 .050 .075 .10 .20 .25 .30 |
1330
19.95 2650 33.25 36.90 45.55 43.2 49.8 66.4 100 133.3 266.6 333.9 3999 |
20
30 40 50 60 70 80 90 100 150 200 400 500 600 |
25
375 50.0 625 750 85.5 100 112.5 125.0 187.5 250.0 500 624.0 750.0 |
34
59 68 85 102 119 136 153 167 252 334 668 835 1002 |
40
60 80 100 120 140 160 180 200 300 400 800 1000 1200 |
50
75 100 125 150 175 200 225 250 375 500 1000 1250 1500 |
100
150 200 250 300 350 400 450 500 750 1000 2000 2500 3000 |
100 लीटर पानी के लिए बाजार में उपलब्ध दवा की मात्रा की आवश्यकता (ग्राम अथवा मिली लीटर में)
पौध संरक्षण दवाओं के उपयोग में सुरक्षात्मक सावधानियाँ
- दवाओं को उनके वास्तविक पैक में ही खरीदें।
- दवाई खरीदते वक्त उसके पत्रक को पढ़े तथा नियत तिथि की जाँच करें।
- खुली दवा न खरीदें।
- ठन दवाओं को सुरक्षित जगह पर बच्चो की पहुँच से दूर ताले में बंद करके रखें।
- प्रयोग के पहले संलग्न निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ लें।
- छिड़काव यंत्र को अच्छी तरह से साफ करें तथा जाँच करें।
- छिड़काव के पहले सुरक्षात्मक कपड़े पहने।
- दवाओं का प्रयोग उचित मात्रा में तथा सही सांद्रता में करें।
- घोल को हिलाने के लिये लकड़ी का उपयोग करें।
- प्रयोग के समय कुछ भी खाना, पानी पीना एवं धुम्रपान नही करना चाहिये।
- छिड़काव यंत्र में घोल भरते समय चाडी का उपयोग करें।
- दवाओं का उपयोग खाली पेट कदापि न करें।
- नोजल अवरूद्ध होने पर कभी भी मूहँ से फूकना नही चाहिये। धोने के लिये पानी एवं षुई का इस्तेमाल करें।
- दवाओं का छिड़काव या भुरकाव हवा की दिषा में ही करें।
- चोट लगे अथवा चर्म रोग वाले व्यक्ति दवा का प्रयोग न करें।
- तेज हवा चलने पर दवा का उपयोग न करें।
- खाली दवाओं के डिब्बे/शीशियों को तोड़कर जमीन में गड़ा देवें।
- उपयोग के तुरंत बाद कपड़े उतार कर साबुन से कपड़े धो लें तथा स्नान करें।
- छिड़काव एवं भुरकाव लगातार अधिक समय तक न करें तथा तेज धूप में भी यह कार्य न करें।
- प्रयोग के समय या बाद में यदि चक्कर या उल्टी महसूस होने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लें।
Source-
- Jawaharlal Nehru Krishi VishwaVidyalaya, Jabalpur (M.P.)