कीट एवं रोगनाशी का सुरक्षित प्रयोग और इनके विषैले प्रभाव से बचाव के दिशा-निर्देश

(अ) सब्जियों में कीट एवं रोगनाशी का सुरक्षित प्रयोग-

1. आधार भूत सिंद्धान्त
  •  प्रयोग के पहले लीफ लेट पर छपे निर्देश को ध्यानपूर्वक पढ़े।
  •  उत्पाद प्रयोग के समय सावधानी पर ध्यान दें।
  •  स्प्रे मशीन का अच्छी वर्किग कण्डीशन में रखें।
  •  स्प्रे के पहले एवं बाद में स्वास्थ्य सम्बन्धी सावधानी बरतें।
  •  स्प्रे के समय बचाव के लिए मुँह एवं नाक केा ढ़ंक कर रखें एवं हाथ में दास्तना पहनें।
सावधानियां
  •  खाद्य पदार्थ क साथ ट्रान्सपोर्ट न करें।
  • रोग एवं कीटनाशी, ताला चाभी से बंद करके रखें।
  •  बच्चों के पहुँच से दूर रखें।
  •  पंजीकृत दुकान से खरीदें।
  •  संस्तुत मात्रा में प्रयोग करें।
  •  प्रयोग के माप के लिए कीप एवं मेजरिंग सिलेन्डर का प्रयोग करें।
  •  पानी में मिलाने के लिए लकड़ी का प्रयोग करें।
  •  हवा की दिशा के अनुरूप छिड़काव करें।
  •  छिड़काव के बाद प्रक्षेत्र पर चेतावनी बोर्ड लगा दे जिस पर दवा का नाम एवं दिनांक लिखा हो।
  •  नाजल को साफ करने के लिए मुँह से हवा का प्रयोग न करें।
  •  छिड़काव के समय धूम्रपान एवं खाना न खायें।
  • ऐसे स्प्रेयर का प्रयोग न करें जो ठीक न हो।
  •  दुर्धटना होने पर कपड़े एवं शरीर भाग को पानी से धोयें बच्चों से छिड़काव न करायें।
  •  छिड़काव के बाद खाने-पीने के पहले हाथ मुँह साबुन से अच्छी तरह धोएं।
  • किसी दुर्घटना के बाद प्रथम उपचार करें।
  •  दुर्घटना के बाद चिकित्सक के पास तुरन्त जाएं।
  •  खाली डिब्बे एवं पैकेट को नष्ट कर दें।
  •  स्प्रे के बाद स्नान करें एवं कपड़े साफ कर दें।
  •  वातावरण के नुकसान को बचाएं।

 

(ब) रोग/कीटनाशी के विषैले प्रभाव को दूर करने के दिशा-निर्देश

(1) त्वचा संक्रमण होने परः
  •  कपड़े उतार दें।
  •  कपड़े एवं शरीर को पानी से साफ करें।
  •  त्वचा एवं बाल को साबुन और पानी से साफ करें
  • जले हुए भाग पर मलहम, ग्रीस, पाउडर आदि का प्रयोग न करें।
(2) आंख सक्रमण होने पर:
  •  आराम से आंख को तुरन्त पानी से साफ करें। आंख खोलकर रनिंग वाटर से छीटें दें।
  • छीटें 15 मिनट तक लगातार करें।
  •  आंख को साफ कपड़े से ढ़के तुरंत चिकित्सकीय उपचार करायें।
(3) सांस में विष संक्रमण (डस्ट, वेपर, गैस) होने पर:
  • संक्रमित व्यक्ति को शुद्ध वातावरण में ले जाएं।
  •  घर, के दरवाजे और खिड़कियां खोल दें।
  •  यदि सांस रूक जाए तो कृत्रिम हवा दें।
  •  ठंड से बचाएं।
(4) निगला हुआ विष संक्रमण होने पर:
  • यदि संक्रमित व्यक्ति होश में नही है तो उसे उल्टी न करने दें।
  • उल्टी करने के लिए समय बर्बाद न करें। प्रथम उपचार के बाद तुंरत
  • अस्पताल ले जाएं। उल्टी करते समय मुंह को नीचे की तरफ रखें। पीठ नीचे करके न सोने दे।
  • अलग-अलग कीट एवं रोगनाशियों से संक्रमण का लक्षण एवं उपचार सारिणी में दिया गया है-

 

रोग एवं कीटनाशी संक्रमण के लक्षण एवं उनके उपचार हेतु एण्टी डोट

रसायन समूह
उदाहरण
लक्षण
उपचार/एण्टीडोट
आरगैनोक्लोरीन एल्ड्रीन, डाइएल्ड्रीन,

इण्डोसल्फान

सरदर्द, गिडीनेस,

ग्रीपिंग, नौसिया

उल्टी, कमजोरी,

हाथ एवं पैर में

कोमा, श्वसन बंद

मृत्य

कोई विशिष्ट एण्टीडोट नही,

उल्टी कराने के लिए 2-4

लीटर पानी में 30 ग्राम

सोडियम सल्फेट मिलाकर

पिलायें सामान्य मात्रा में

बार्वीटुरेट/डाइजेपाम या

बेजोडिआजेपिन दें। तेल एवं

तेल लेक्जेटिव न दें।

कैल्शियम ग्लूकोनेट (10

प्रतिशत का 10 मिली एम्पुल)

प्रत्येक चार घंटे पर

इन्ट्रावेनसली दें। तुरन्त डाक्टर

से सम्पर्क करे।

आरगेनो-

फास्फोटस

फेनथियान,

क्वीनालफास,

क्लोर-

पाइरीफास,

प्रोफेनोपास

आदि

थकावट,

कमजोरी, उल्टी,

पेट दर्द, आईवाल

का सिकुड़ना,

पसीना आना,

डायरिया, श्वसन

रूकना, हर्ट

ब्लाक

खुली हवा में रखें। कृत्रिम

आक्सीजन दें। इंजेक्शन द्वारा

प्रत्येक 10 मिनट पर एट्रोपिन

दे। एट्रोपिन की जगह

ग्लाइे कोपाइरोलेट भी दे सकते

है। प्रालीक्जोडिम (2 पी.ए.एम.)

का प्रयोग 48 घंटे के अन्दर

करें। चिकित्सक से तुरन्त

सम्पर्क करें।

कार्वामेट कार्बोफ्यूरान,

कार्बरिल,

मेथोमिल

बुखार, उल्टी,

सरदर्द, सुस्ती,

ग्रीपिंग इन

मसल, पेट दर्द,

अधिक पसीना

आना

सक्रं मित कपडे़ हटा दो कपडे़

एवं शरीर को पानी से साफ

करें। खुली हवा में रखें।

वेन्टिलेटर से कृत्रिम

आक्सीजन दें। यदि सांस रूक

रही हो तो एट्रोपिन देने के

पहले टिशू आक्सीजेनेशन

करें। बेहोशी होने पर एट्रोपिन

का इंजेक्शन दें। चिकित्सक

के पास ले जाए।

पाइरेथ्रिन या

सिन्थेटिक

पाइरेथ्राइड्स

साइपरमेथ्रिन

अल्फा साइपर

मेथ्रिन फेनवलेरेट

सरदर्द, पाल

पिटेशन, उल्टी,

नाक, काला

आँख में

इरीटेशन, अधिक

संक्रमण होने पर

बेहोशी आना

कोई विशिष्ट एण्टीडोट नही

है। उल्टी करायें। लक्षण के

अनुसार उपचार करें। यदि

स्वालोड हो तो चारकोल पानी

में घोलकर दें। गम्भीर स्थिति

में डाइजेपाम 5-10

मिलीग्राम/आइ वी दे। तुरन्त चिकित्सक के पास ले जाएं।

 

फास्फिन एलुमिनियम

फास्फाइड, जिंक

फास्फाइड

पेट दर्द, थकावट,

बेहोशी, ग्रीपिंग

इन मसल,

मांसपेशी में दर्द,

उल्टी, डायरिया,

ठंड लगना

एन-एसेटिक सिस्टिन दें।

यदि स्वालोड हो उल्टी रोके।

सक्रिय चारकोल-स्लरी विथ

सारविटाल-एडजार्व फास्फीन।

डाइजेपाम- गीव अनडायलूटेड

एवं ब्लड प्रेशर चेक करें।

डोपामिन 4.6

माइक्रोग्राम/किग्रा/मिन. आइ

वी. मैग्न्शियम सल्फेट 3 ग्राम

आइ.वी. रेनीटीडिन-50 मिली

ग्राम आइ.वी. प्रत्येक आठ घंटे

पर।

डाइथायोकार्वामेट मैंकोजेब, मेनेव, थीरम आदि आंख, चमड़ी एवं

मुंह में जलन,

झुंझलाहट, सांस

लेने में परेशानी

कोई विशिष्ट एण्टीडोट नही

है। लक्षण के अनुसार उपचार

करें। सक्रिय चारकोल पानी में

घोलकर संक्रमित व्यक्ति को

पिलायें।

उल्टी करायें एवं शीघ्र

चिकित्सक के पास ले जाएं।

क्लोरोफेनाक्सी 2,4-डी (2,4

डाइक्लोरोफेनाक्

सी एसीटिक

एसीड)

उल्टी, दस्त,

सरदर्द, बेहोशी

 

कोई विशिष्ट एण्टीडोट नही

है। लक्षण के अनुसार उपचार

करें। डाक्टर से तुरन्त सम्पर्क

करें।

 

स्रोत-

  • भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी

 

 

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