कटाई उपरान्त खुम्ब का रख-रखाव

कटाई-उपरान्त खुम्ब अतिशीघ्र ख़राब होने वाली सब्जी है और साधारण तापमान पर एक दिन से अधिक रख पाना संभव नहीं होता। खुम्ब में कटाई-उपरांत होने वाले अवांछित परिवर्तन निम्न प्रकार हैं।

1. खुम्ब का काला पड़ना
2. भार में कमी आना
3. खुम्ब का खुल जाना
4. खुम्ब का खराब हो जाना
उपरोक्त परिवर्तनों के एक सीमा से अधिक हो जाने पर उपभोक्ता ऐसी खुम्ब को पसंद नहीं करते हैं और विक्रय न होने पर उत्पादक को पूर्ण-हानि का सामना करना पड़ता है। खुम्ब की उचित कटाई, रख-रखाव, भण्डारण तथा प्रसंस्करण की विधियों का सही अनुसरण करने से उत्पादक क्षति से बच सकते हैं तथा अतिरिक्त लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।

 

कटाई

सर्वप्रथम उत्पादक यह ध्यान रखें कि कटाई करते समय खुम्बों को बहुत हल्के हाथ (उंगलियों) से घुमाकर निकालें और साथ ही तेज धार वाले स्टील के चाकू से स्टेम (मिट्टी लगी जड़) काट लें। कटे हुए खुम्बों को, यदि वे अत्याधिक गंदे (केसिंग मिट्टी लगे) हों तो, 0.025 प्रतिशत (2.5 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) पोटाशियम मेटाबाईसल्फाईट और 1 ग्राम इ0डी0टी0ए0 प्रति 10 लीटर पानी के घोल में धोकर पंखे के नीचे पांच मिनट के लिये सुखा लें। तदुपरांत 100 गेज के पाॅलीप्रोपाईलीन थैलों में 200 ग्राम पैक करके बिजली सीलर या मोमबत्ती से सील कर दें।

 

भण्डारण

यदि किसी कारणवश खुम्ब एक या दो दिन रखने पड़ें तो लिफाफों मंे पैक की गई खुम्ब को फ्रिज में 50 सेल्सियस (फ्रीजर के नीचे की शेल्फ) में रखा जा सकता है। साधारण तापमान पर रखने से खुम्ब शीघ्र काले पड़ने लगेगें।

 

प्रसंस्करण

बटन खुम्बों को कई विधियों से प्रसंस्कृत किया जा सकता है।

1. अचार बनाना (पिकलिंग)

2. डिब्बाबन्दी (कैनिंग)
3. सुखाना (ड्राइंग) (सिर्फ ढिंगरी के लिये)

चूंकि डिब्बाबंदी हेतु यंत्र अत्याधिक महंगे होते हैं और उसके लिये कई अन्य चीजें जैसे एफ0पी0ओ0 लाइसेंस, एक हाल, अन्य इमारतें इत्यादि की आवश्यकता पड़ती है, इसलिये यहां छोटे आय वर्ग के उत्पादकों को ध्यान में रखते हुए केवल अचार बनाने की विधि का वर्णन विस्तार से किया जा रहा है तथा डिब्बाबंदी के बारे में केवल संक्षेप में बताया जा रहा है। डिब्बाबंदी हेतु उत्पादकों को अलग से प्रषिक्षण दिया जा सकता है।

 

खुम्ब की डिब्बाबन्दी

खुम्ब की डिब्बाबन्दी करने हेतु खुम्ब साफ-सुथरे होने चाहियें तथा खुले हुए नहीं हों। खुम्ब की डिब्बाबंदी करने के लिये नमक के घोल का इस्तेमाल करते हैं। खुम्ब की डिब्बाबन्दी करने का तरीका संक्षेप में निम्नलिखित है|

१.खुम्ब की छटाई एवं एकीकरण (ग्रेडिंग) करना

डिब्बाबंदी हेतु एक ही आकार की खुम्बों को प्रयोग में लाएं तथा यह भी ध्यान रखना चाहिए कि खुम्ब खुले न हों।

२. खुम्ब की धुलाई

एक जैसे आकार की इन खुम्बों की अच्छी प्रकार से धुलाई करते हैं ताकि खुम्ब की सतह पर किसी भी प्रकार की अवांछित चीज न लगी रहे।

3. खुम्ब को उबालना (ब्लांचिग) तथा ठण्डा करना

साफ किये हुए खुम्ब को (पूरा या आधा, जरूरत के आधार पर) उबलते हुए नमकीन (2ः) पानी में 5-6 मिनट के लिये रखते हैं उसके बाद सभी खुम्ब को तुरन्त एक साथ ठण्डे पानी में डाल देते हैं। इस प्रक्रिया को
ब्लांचिंग कहते हैं।

4. खुम्ब की भराई

ब्लांच किये हुए खुम्ब को डिब्बे 400 ग्राम (225 ग्राम); 800 ग्राम (440 ग्राम) में भरना चाहिए अर्थात लगभग खुम्ब को 1 पौण्ड जैम कैन में भरना चाहिए और शेष भाग नमक के घोल (विवरण नीचे) से ऊपर तक भर देना
चाहिए।

5. नमक का घोल डालना

नमक का घोल बनाने के लिये 2 प्रतिशत साधारण नमक, 1 प्रतिशत चीनी, 0.1 प्रतिशत साईट्रिक एसिड को निश्चित मात्रा में मिलाकर साफ कपड़े या छन्नी से छान लेना चाहिए जिससे कि घोल बिल्कुल साफ हो जाये।

6. डिब्बों को निर्वात करना

भरे हुए डिब्बों को उबलते हुए पानी में या एगजाॅस्ट बाॅक्स में रखते हैं जब तक कि उसके अन्दर विद्यमान
नमक के घोल का तापमान 80-850 सेल्सियस न हो जाये।

7. डिब्बाबंदी

एगजाॅस्टिंग (निर्वात) करने के तुरन्त बाद, पूरी तरह हवा मुक्त डिब्बे को अच्छी प्रकार से ढक्कन द्वारा बन्द
(सीलींग) करते हैं। डिब्बा बन्द करने की क्रिया एक विशेष प्रकार की मशीन, ‘डबुल सिमर‘ के द्वारा की जाती
है।

8. डिब्बों का संसाधन (निर्जिवीकरण) करना

बन्द किये हुए डिब्बों को एक निश्चित तापमान तथा निश्चित समय के लिये अर्थात् 115-1210 सेल्सियस
तापमान पर 25-30 मिनट तक रखते हैं ताकि डिब्बे पूर्ण रूप से सूक्ष्मजीव रहित हो सकें। संसाधन/निर्जिवीकरण
की प्रक्रिया डिब्बों के आकार पर निर्भर करती है अर्थात बड़े कैन के लिये 35-40 मिनट समय पर्याप्त रहता है।
साधारणतया आॅटोक्लेव (रिटार्ट) मंे 22 पौंड प्रेसर पर 30 मिनट रखते हैं।

9. डिब्बों को ठण्डा करना

संसाधन के तुरन्त बाद डिब्बों को 4-5 मिनट तक ठण्डे पानी में रखते हैं।

10. डिब्बों का भण्डारण

डिब्बा बन्द करने के बाद डिब्बों को भण्डार गृह में रखते हैं। भण्डारण स्थान ठण्डा तथा सूखा हो।

 

ढिंगरी खुम्ब को धूप में सुखाना

ढिंगरी खुम्ब को धूप में सुखाकर आसानी से परिरक्षित किया जा सकता है। इसमें न तो किसी मशीन की और न ही तेल, मसालों व रसायनों की आवश्यकता पड़ती है तथा जरूरत पड़ने पर उनसे थोड़ी देर पानी में भिगोकर मन पसन्द व्यंजन बनाये जा सकते हैं। ढिंगरी खुम्ब को धूप में सुखाने की विधि निम्नलिखित है। ढिंगरी खुम्ब को धूप में सुखाने से पहले यह आवश्यक है कि ढिंगरी की तुड़ाई करने के बाद उनकी अच्छी प्रकार से सफाई कर लें ताकि ढिंगरी की सतह पर किसी भी प्रकार की तूड़ी (भूसा) या कोई अन्य चीज न लगी  हे। सफाई करने के बाद ढिंगरी को किसी एल्यूमीनियम/स्टील की ट्रे या पाॅलीथीन या कपड़े की चादर के ऊपर तेज धूप में फैला कर रख देते हैं। जब तक की चादर पर फैली खुम्ब पूरी तरह से नहीं सूख जाती। पहचान के लिये ढिंगरी खुम्ब सूखने के बाद जब किसी एक सूखी ढिंगरी को तोड़ते हैं तो कट की आवाज (नमी 8% से कम हो) आती है। इस प्रकार से सूखी खुम्ब को पाॅलीथीन के बैग में छोटे या बड़े जैसी भी पैकिंग करनी हो, पैक करके अच्छी प्रकार से बन्द कर देते हैं। ढिंगरी को सूखाने के लिये तेज धूप का होना अति आवश्यक  है।

 

स्रोत-

  • खुम्ब अनुसंधान निदेषालय

 

 

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