अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है और संतुलित भोजन विभिन्न प्रकार के अनाजों, दालों, शाक-सब्जियों एवं फलों के स्वादिष्ट व्यंजनों द्वारा प्राप्त होता है । अतः सभी फसलों की अधिक पैदावार देने वाली, कीट रोग एवं विपरीत मौसम के लिए सहनशील एवं अच्छा उत्पादन देने वाली जातियों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद, पानी व देखभाल करके अच्छी पैदावार लेकर अधिक आर्थिक लाभ कमायें । विभिन्न फसलों की उन्नतशील कीट रोग सहनशील जातियों को उनकी माॅग के अनुसार कितना, कब और कैसे कौन-कौन से उर्वरकों का उपयोग करने की जानकारी दी जा रही है कृषक भाई इस सलाह को मानकार लाभान्वित होंगें ।
अरहर की उन्नत किस्में (अ)-शीघ्र पकने वाली ( 125-150 दिन )
क्र. |
किस्म |
औसत पैदावार (किवंटल/है.) |
पकने की अवधी (दिन) |
1. | ट्राम्बे जवाहार तुवर-501 (2008) | 19-23 | 145-150 |
2. | उपास-120 (1996) | 10-12 | 130-140 |
3. | प्रगति AICPL 87 | 10-12 | 125-135 |
4. | पूसा 33 | 12-15 | 135-140 |
(ब)-मध्यम अवधी में पकने वाली (ब) ( 140-190 दिन )
क्र. |
किस्म |
औसत पैदावार (किवंटल/है.) |
पकने की अवधी (दिन) |
1. | जवाहार अरहर 4 | 18-20 | 180-190 |
2. | जवाहार खरगोन मिडियम-7 | 18-20 | 170-180 |
3. | जवाहार खरगोन मिडियम-189 | 20-22 | 140-160 |
4. | आई.सी.पी.87119 | 20-22 | 140-155 |
5. | विजया आइ पी एच | 22-25 | 165-185 |
6. | बी एस एम आर-736 | 18-20 | 180-190 |
7. | मालवी विकल्प (एम के-3) | 22-23 | 170-180 |
मूंग की उन्नत किस्में
क्र. |
किस्म |
औसत पैदावार (किवंटल/है.) |
पकने की अवधी (दिन) |
1. | पूसा विशाल | 12-14 | 60-65 |
2. | जवाहार मूंग 721 | 12-14 | 70-75 |
3. | ट्राम्बे जवाहार मूंग TMJ-3 | 10-12 | 60-75 |
4. | के. 851 | 8-10 | 70-75 |
उड़द की उन्नत किस्में
क्र. |
किस्म |
औसत पैदावार (किवंटल/है.) |
पकने की अवधी (दिन) |
1. | जवाहार उड़द 2 | 10-11 | 70 |
2. | पी. डी.यू.1 | 12-14 | 70-80 |
3. | टी-9 | 10-11 | 70-75 |
4. | पंत यू 30 | 10-12 | 70 |
5. | खरगोन-3 | 8-10 | 85-90 |
तिल की उन्नत किस्में
क्र. |
किस्म |
औसत पैदावार (किवंटल/है.) |
पकने की अवधी (दिन) |
1. | एन-32 | 770 | 100 |
2. | TKG-21 | 950 | 80 |
3. | TKG-22 | 950 | 80-90 |
4. | TKG-55 | 650 | 80 |
5. | JTS-8 | 650 | 80 |
6. | JTS-8 | 650 | 80 |
7. | PKDS-99 | 700 | 80 |
8. | PKG-09 | 400 | 80 |
9. | टाइप 93 | 950 | 95 |
मूँगफली की उन्नत किस्म
क्र. |
किस्म |
औसत पैदावार (किवंटल/है.) |
पकने की अवधी (दिन) |
1. | जे.जी.एन.-3 | 15-20 | 100-105 |
2. | जे.जी.एन.-23 | 15-20 | 90-95 |
3. | टी.जी.-37 ए | 18-20 | 100-105 |
4. | जे.एल.-501 | 20-25 | 105-110 |
5. | जी.जी.-20 | 100-110 | 20-25 |
सोयाबीन की उन्नत किस्म
प्रजाति |
विशेषताएं |
जे. एस.-335 | अवधि मध्यम, 95-100 दिन, उपज 25-30 किवं/हें. 100 दाने का वजन 10-13 ग्रा. अर्द्ध-परिमित वृद्धि, बैंगनी फूल, रोयें रहित फलियाँ, जीवाणु झुलसा प्रतिरोधी |
जे. एस.-90-05 | अवधि अगेती, 90-95 दिन, उपज 20-25 किवं/हें., 100 दाने का वजन 13 ग्रा. से ज्यादा विशेषताएं : अर्द्ध-परिमित वृद्धि, बैंगनी फूल कम चटकने वाली | |
जे. एस.-95-60 | अवधि अगेती, 80-85 दिन, उपज 20-25 किवं/हें., 100 दाने का वजन 13 ग्रा. से ज्यादा विशेषताएं : अर्द्ध-बौनी किस्म, ऊचाई 45-50 सेमी बैंगनी फूल, फल्लियाँ नहीं चटकती | |
जे. एस.-97-52 | अवधि मध्यम, 100-110 दिन, उपज 25-30 किवं/हें., 100 दाने का वजन 12-13 ग्रा. से ज्यादा
विशेषताएं : सफेद फूल, पीला दाना, काली नाभि, रोग एवं कीट के प्रति सहनशील, अधिक नमी वाले क्षेत्रों के लिए उपयोगी | |
जे. एस.-20-29 | अवधि मध्यम, 90-95 दिन, उपज 25-30 किवं/हें., 100 दाने का वजन 13 ग्रा. से ज्यादा
विशेषताएं : बैंगनी फूल, पीला दाना, पीला विषाणु रोग, चारकोल राट, बेक्टेरिययल पश्चूल एवं कीट प्रतिरोधी| |
जे. एस.-20-34 | अवधि मध्यम, 87-88 दिन, उपज 22-25 किवं/हें., 100 दाने का वजन 12-13 ग्रा.
विशेषताएं : बैंगनी फूल, पीला दाना, चारकोल राट, बेक्टेरिययल पश्चूल, पत्ती धब्बा एवं कीट प्रतिरोधी, कम वर्षा में उपयोगी| |
एन.आर.सी.-7 | अवधि मध्यम, 90-99 दिन, उपज 25-35 किवं/हें., 100 दाने का वजन 13 ग्रा. से ज्यादा
विशेषताएं : परिमित वृद्धि, फल्लियाँ चटकने के लिए प्रतिरोधी, बैंगनी फूल, गार्डल बीटल और तना-मक्खी के लिए सहनशील | |
एन.आर.सी.-12 | अवधि मध्यम, 96-99 दिन, उपज 25-30 किवं/हें., 100 दाने का वजन 13 ग्रा. से ज्यादा
विशेषताएं : परिमित वृद्धि, बैंगनी फूल, गार्डल बीटल और तना-मक्खी के लिए सहनशील पीलामोजेक प्रतिरोधी| |
एन.आर.सी.-86 | अवधि मध्यम, 90-95 दिन, उपज 20-25 किवं/हें., 100 दाने का वजन 13 ग्रा. से ज्यादा
विशेषताएं : सफेद फूल, भूरा नाभी एवं रोंय, परिमित वृद्धि, गार्डल बीटल और तना-मक्खी के लिए प्रतिरोधी, चारकोल रॉट एवं फल्लीझुलसा के लिए मध्यम प्रतिरोधी| |
धान की उन्नत किस्म अतिशीघ्र पकने वाली प्रजातियाँ
क्र. |
प्रजाति |
अवधि (दिन) |
उपज ((किवंटल/है.) |
विशेषताएं |
1. | सहभागी | 90-95 | 30-40 | छोटा पौधा, मध्यम पतला दाना |
2. | दंतेश्वरी | 90-95 | 40-50 | छोटा पौधा, मध्यम आकार का दाना |
मध्यम अवधि में पकने वाली प्रजातियाँ
क्र. |
प्रजाति |
अवधि (दिन) |
उपज ((किवंटल/है.) |
विशेषताएं |
1. | पूसा-1460 | 120-125 | 50-55 | छोटा पतला दाना छोटा पौधा |
2. | डब्ल्यूजीएल-32100 | 125-130 | 55-60 | छोटा पतला दाना छोटा पौधा |
3. | पूसा सुगंध-4 | 120-125 | 40-45 | लम्बा, पतला व सुगन्धित दाना |
4. | पूसा सुगंध-3 | 120-125 | 40-45 | लम्बा, पतला व सुगन्धित दाना |
5. | एम.टी.यू.-1010 | 110-115 | 50-55 | पतला दाना छोटा दाना |
6. | आई.आर.-64 | 125-130 | 50-55 | लम्बा पतला दाना, छोटा पौधा |
7. | आई.आर.-36 | 120-125 | 45-50 | लम्बा पतला दाना, छोटा पौधा |
विभिन्न क्षेत्रों के लिए संकर प्रजातियाँ एवं उनकी विशेषताएँ
क्र. |
प्रजाति |
पकने की अवधी |
औसत पैदावार (किवंटल/है.) |
1. | जे.आर.एच.-5 | 100-105 | 65.70 |
2. | जे.आर.एच.-8 | 95-100 | 60.65 |
3. | पी.आर.एच.-10 | 120-125 | 55.60 |
4. | नरेन्द्र संकर धान-2 | 125-130 | 55.60 |
5. | सी.ओ.आर.एच.-2 | 120-125 | 55.60 |
6. | सह्याद्री | 125-130 | 55.60 |
उपलब्ध भूमियों के अनुसार उपयुक्त प्रजातियों का चयन
क्र. |
खेतों की दशायें |
उपयुक्त प्रजातियाँ |
सम्भावित जिले |
1. | बिना बंधन वाले समतल/हल्के ढालान वाले खेत | पूर्णिमा, सहभागी, दंतेश्वरी | डिंडोरी, मंडला, सीधी, शहडोल, उमरिया |
2. | हल्की बंधान वाले | जे.आर.201, जे.आर.345 | रीवा, सीधी, पन्ना,शहडोल |
खेत व मध्यम भूमि | पूर्णिमा, दंतेश्वरी, डब्लू.जी.एल. | कटनी, छतरपुर,सतना | |
-32100, आई.आर.64 | टीकमगढ, ग्वालियर, बालाघाट, डिंडोरी, मंडला, कटनी | ||
3. | हल्की बंधान वाले भारी भूमि | पूर्णिमा, जे.आर.345, दंतेश्वरी | जबलपुर,सिवनी, दमोह, बालाघाट, डिंडोरी, मंडला, सतना, नरसिंगपुर, छिंदवाड़ा |
4. | ऊँची बंधान वाले | आई.आर.36, एम.टी. | जबलपुर,सिवनी |
हल्की व मध्यम भूमि | यू.-1010, दंतेश्वरी, डब्लू.जी.एल.32100 | दमोह, बालाघाट, डिंडोरी, मंडला, सतना, नरसिंगपुर, छिंदवाड़ा |
बीज की मात्रा
क्र. |
बोवाई की पद्धति |
बीजदर (कि.ग्रा./है.) |
1. | श्री पद्धति | 5 |
2. | रोपाई पद्धति | 10-12 |
3. | कतरों में बीज बोना | 20-25 |
बीजोपचार
बीज को फफूंदनाशक दवा कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्रा./कि.ग्रा. बीज या कार्बेन्डाजिम $ मैन्कोजेब 3 ग्रा./कि.ग्रा. बीजा या कार्बोक्सिन $ थायरम 3 ग्रा./कि.ग्रा. बीज से उपचारित करें ।
बोवाई का समय
वर्षा आरम्भ होते ही धान की बुवाई का कार्य आरम्भ कर देना चाहिए । जून मध्य से जुलाई प्रथम सप्ताह तक बोनी का समय सबसे उपयुक्त होता है ।
स्रोत-
- कृषक प्रशिक्षण केन्द्र नरसिंहपुर ,मध्यप्रदेश