अरहर कीट एवं रोग नियंत्रण

१.फलीबेधक कीट

इनकी गिडारे फलिय़ों के अदंर घुसकर दाने को खाकर हानि पहुॅचाती है। प्रौढ कीटो का अनुश्रवण करने के लिए 5-6 फरेमेने प्रपचं/है. की दर से फसल मे फूल आते समय लगाय़े यदि 5-6 माथ प्रति प्रपचं दो-तीन दिन लगातार दिखाई देतो निम्नलिखितमे किसी एक दवा का प्रयागे फसल मे फूल आने पर करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दसूरा छिडक़ाव 15 दिन के बाद करे, इससे अरहर की फसल का कीटो से वचाव किय़ा जा सकता है।

 

अरहर कीट नियंत्रण

1. एन.पी.बी. 500 सूडी तुल्याकं अथवा बी.टी. 1 कि.ग्रा./है. की दर चना फली बेधक के नियत्रंण के लिए प्रयागे करे।

2. निबोली 5 प्रतिशत 1 प्रतिशत साबुन का घोले

3. इन्डोक्साकार्व 14.5 ई.सी. की 400-500 मि.ली. प्रति है. की मात्रा

 

२.अरहर की फली मक्खी

यह फली के अदंर दाने को खाकर हानि पहुँचाती है इसके उपचार हेतु फूल आने के बाद डाईमिथाऐट 30 ई.सी. एक लीटर प्रति हैक्टर की दर से प्रभावित फसल पर छिडक़ाव करे। निबोली 5 प्रतिशत का भी छिडक़ाव कर सकते है।

 

रोग नियंत्रण

अरहर की फसल को रोगों से वचाव के लिए क्या करे?

1.अरहर का उक्ठा रोग

यह फ्यजूेरयम नामक कवक से हाते है। यह पौधो मे पानी व खाद्य पदार्थ के सचांर को राके दते है जिससे पत्तियॉ पीली पडक़र सूख जाती है और पौधा सूख जाता है। इसमे जडें सडक़र गहरे रगं की हो जाती है तथा छाल हटाने पर जड से लेकर तने की ऊँचाई तक काले रगं की धारियॉ पड जाती है। इसका अग्रानुसार उपचार करना चाहिए।

1. जिस खते मे उकठा रागे का प्रकापे अधिक हो उस खते मे 3-4 साल तक अरहर की फसल नही लगानी चाहिए।

 2. ज्वार के साथ अरहर की सहफसल लेने से कुछ हद तक उकठा रागे का प्रभाव कम हो जाता है।

3. थीरम एवं कार्बेन्डाजिम को 2:1 अनुपात मे मिलाकर 3 ग्राम प्रति कि.ग्राबीज की दर से बीज उपचारित करना चाहिए।

4. रागे अवराधी जातियॉ पतं अरहर 3, पतं अरहर 291, वी.एल. अरहर 1, नरन्द्र अरहर 1 उगाय़े।

 

2.अरहर का बंझा रोग

इसमे ग्रसित पौधे मे पत्तियॉ अधिक लगती है। फूल नही आते जिससे दाना नही बनता है पत्तियॉ छाटे तथा हलके रगं की हो जाती है। यह रोगी माइट द्वारा फैलता है। फसल मे मिथाइल आिडमटेन की एक लीटर प्रति 800 लीटर पानी मे घालेकर 3-4 छिडक़ाव 15 दिन पर करे। प्रथम छिडक़ाव रागे के लक्षण दिखाई दते ही करे। रोगी पौधों को काट कर जला दे। बीमारिय़ो एवं कीट नियत्रंण हेतु एकीकृतनाशी जीव प्रबंधन मोड्यल।

 

3.फाइटोपथोरा तना झुलसा

इस रोग से पत्तियॉ पीली पड जाती है। पौधे कमजारे पड जाते है तथा तना झुल जाता है।

 

अरहर की फसल का उपचार

1. अरहर के खेत  मे जल निकास का उचित प्रबंधन करे तथा बुवाई मेडो पर करे।

2. मैटिलाक्सिल से 5 ग्रा./कि.ग्रा. बीज उपचार करे तथा इसी दवा का 2.5 कि.ग्रा./हैक्टर 2-3 छिडक़ाव करे।

3. अरहर की बुवाई जनू के मध्य मे करे।

 

अरहर की फसल की कटाई कब की जानी चाहिए?

इसकी जल्दी पकने वाली प्रजातियाँ की कटाई वुवाई के १४० दिन से १५० दिन अथार्त १५ नवम्बर से १५ जनवरी तक की जाती है देर से पकने वाली प्रजातियाँ जो किसान भाई उगाते है ,उस फसल की कटाई २६०  से २७० दिन अथार्त  १५ मार्च से १५ अप्रैल की वीच कटाई की जाती है ।

 

अरहर की फसल की उपज प्रति हेक्टर कितनी प्राप्त होती है?

उपरोक्त सघन पद्वतियॉ अपनाकर अगते किस्मो की उपज 16-20 कुन्तल/हैक्टर एवं पछते किस्मो की उपज 25-30 कुन्तल/हैक्टर तक प्राप्त किया जा सकता है।

 

Source-

  • agriavenue.com
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