
मौसम आधारित कृषि सलाह 09 जनवरी तक के लिए
कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि सलाह दी जाती है।
- आने वाले तीन दिनों में वर्षा की सम्भावना को देखते हुए किसानों को सलाह है कि खड़ी फसलों व सब्जियों में सिंचाई तथा किसी प्रकार का छिडकाव ना करें।
- गेहूँ की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव हेतु किसान भाई क्लोरपायरीफाँस 20 ई.सी. @ 2.0 ली. प्रति एकड़ 20 कि.ग्रा. बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दे।
- मौसम को ध्यान में रखते हुएकिसानो को सलाह है कि सरसों की फसल में चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। प्रारम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दे।
- चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी हेतु फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं जहां पौधों में 10-15% फूल खिल गये हों। “T” अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के विभिन्न जगहों पर लगाए।
- कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थेलों में भर कर पाली घरों में रखें।
- इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं।
- इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
- यह मौसम गाजर का बीज बनाने के लिए उपयुक्त है अत: जिनकिसानों ने फसल के लिए उन्नत किस्मों की उच्च गुणवत्ता वाले बीज का प्रयोग किया है तथा फसल 90-105 दिन की होने वाली है,वे जनवरी माह के प्रथम पखवाडें में खुदाई करते समय अच्छी, लम्बी गाजर का चुनाव करें, जिनमे पत्ते कम हो । इन गाजरों के पत्तो को 4 इंच का छोड़ कर उपर से काट दें। गाजरों का भी उपरी 4 इंच हिस्सा रखकर बाकी को काट दें। अब इन बीज वाली गाजरों को 45 से.मी. की दूरी पर कतारों में 6 इंच के अंतराल पर लगाकर पानी लगाए।
- इस मौसम में तैयार खेतोंमें प्याज की रोपाई करें। रोपाई वाले पौधे छ: सप्ताह से ज्यादा के नही होने चाहिए। पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें। रोपाई से 10-15 दिन पूर्व खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें। 20 कि.ग्रा. नत्रजन, 60-70 कि.ग्रा. फ़ॉस्फोरस तथा 80-100 कि.ग्रा. पोटाश आखिरी जुताई में ड़ालें। पौधों की रोपाई अधिक गहराई में ना करें तथा कतार से कतार की दूरी 15 से.मी. पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखें।
- गोभीवर्गीय फसल मेंहीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड खेतों में लगाएं।
- मटर की फसल पर यूरिया या पोटेशियम सल्फेट 2 % के घोल का छिड़काव करें। जिससे मटर की फल्लियों की सख्याँ में बढोतरी होती है साथ ही फसल का पाले से भी बचाव होता है।
- गेंदे की फसल में पूष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें। यदि लक्षण दिखाई दें तोबाविस्टिन 1 ग्राम/लीटर अथवा इन्डोफिल-एम 45 @ 2 मिली./लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव आसमान साफ होने पर करें ।
सलाहकार समिति के वैज्ञानिक
- डा.अनन्ता वशिष्ठ(नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)
- डा.प्र. कृष्णन (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)
- डा.देब कुमार दास(प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)
- डा.सुभाष चन्द्र (प्रधान वैज्ञानिक, कीट विज्ञान संभाग)
- डा.जे.पी.एस. ड़बास(प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)
- डा.बी.एस.तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)
- डा.दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)
- डा.पी.सिन्हा(प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)
Aashutosh
12/11/2018 at 10:38 AMPusa ke sabhi seeds indore me kaha milenge
SannyCap
07/12/2018 at 7:09 PMMake a more new posts please 🙂
___
Sanny
JasonCoign
17/12/2018 at 4:41 PMit’s my very first time visiting your blog and I am very fascinated. Thank you for sharing and keep up 😉
pattern of essay writing in english
SATISH SANGITA
09/01/2019 at 1:35 AMvery much satisfying